रायसेन/बरेली, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों ही बहुत ही रहस्यमयी है - देवी रत्नमणि द्विवेदी। - Ghatak Reporter

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Sunday, August 13, 2023

रायसेन/बरेली, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों ही बहुत ही रहस्यमयी है - देवी रत्नमणि द्विवेदी।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों ही बहुत ही रहस्यमयी है - देवी रत्नमणि द्विवेदी।

रायसेन/बरेली, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों ही बहुत ही रहस्यमयी है - देवी रत्नमणि द्विवेदी।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। खेरापति माता मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन को संघर्ष की बजाय उत्साह और उत्सव में बिताने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। कंस जब अपनी चचेरी बहन देवकी और वासुदेव को उनके ससुराल छोड़ने जा रहा तो उसने रास्ते में भविष्यवाणी सुनी की हे कंस जिस बहन को तु छोड़ने जा रहा है उसकी आठवीं संतान तेरा वध करेगी। यह सुनकर कंस दोनों को कारागार में डाल देता है और एक-एक करके देवकी की छह संतानों का वध कर देता है। भगवान श्रीकृष्ण वसुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे, उसके पूर्व शेषानाग ने सातवीं संतान के रूप में जन्म लिया था। योगमाया से वे देवकी के गर्भ से निकलकर रोहिणी के गर्भ में चले गए और देवकी के गर्भ में रोहिणी का गर्भ आ गया। शेषनाग ने ही उनके जन्म की बाधाओं को हटाकर कारागर के मार्ग खोल दिए थे। श्री कृष्ण ने विष्णु के 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां उपस्थित हुआ। तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न में उन्होंने जन्म लिया। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। तब रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व को उनका जन्म हुआ था। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। जब उनके गर्भ में आते ही कारागार में आलौकिक प्रकाश फैल गया और चारों और फूल बिछ गए। यह सुनकर कंस भयभीत हो गया। जब भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ तब भारी बारिश हो रही थी और यमुना नदी में उफान था। उनके माता और पिता को उनकी मृत्यु का डर था। अंधेरा भी भयंकर था, क्योंकि उस वक्त बिजली नहीं होती थी। कहते हैं कि जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो जेल के सभी संतरी माया द्वारा गहरी नींद में सो गए। उस बारिश में ही वसुदेव ने नन्हे कृष्ण को एक सूफड़े में रखा और उसको लेकर वे जेल से बाहर निकल आए।

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