- मुझे मानसिक रोगी बताकर, हमले करवाकर, हमारे पुराने वीडियोज, जिनकी जांचे हो चुकी है या जांचों के लिए लिख चुके है उनके वीडियोज वायरल कर केवल हमारी कलम को रोकने का प्रयास है जो कभी सफल नहीं होगा।
- मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कई कथित पत्रकारों ने षड्यंत्र रचकर अधिकारियों व समाज का ध्यान हटाने का प्रयास किया है जो सफल नहीं होगा।
- किसी भी कथित पत्रकार ने मेरी किसी भी मेरी चल अचल संपत्ति पर कोई कब्जा नहीं किया तो लड़ाई व्यकिगत क्यों होगी।
- लड़ाई और जान पर हमले यह सब उसका परिणाम है जो हमने पत्रकार होने के नाते अपना कर्तव्य समझते हुए हमने पिछले दिनों समाचार पत्र में प्रकाशित किया है।
- कुछ लोग इसको पत्रकारों की आपस की लड़ाई बताने का प्रयास कर रहे हैं यह बहुत सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है ताकि ध्यान असल मुद्दे से भटकाया जा सके।
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घातक रिपोर्टर संपादक अरविंद सिंह जादौन |
घातक रिपोर्टर, अरविंद सिंह जादौन, भोपाल।
9329393447/9009202060
असल मुद्दे की बात तो यह है कि पिछले दिनों के कुछ लेखों में हमने पुलिस की आलोचना के साथ ही समाज मे हो रही घटनाओं पर प्रकाश डाला है जिससे उन दलाल पत्रकारों की भी कलई खुली है जो दलाल कथित पत्रकार समाज में आप लोगों को किसी ना किसी रूप से ब्लैकमेल कर रहे थे चाहे वह पुलिस की वर्दी के नाम पर महिलाओं के झुमके उतरवा रहे हों या फिर हनी ट्रैप जैसे मामले कर मंडीदीप के उन व्यापारियों को ब्लैकमेल कर रहे हो जो अपनी इज्जत की खातिर पैसा देकर चुपचाप बैठ जाते हैं। पिछले दिनों ऐसे ही अनेकों मामले मंडीदीप में दबी जबान से सुनने को मिले। पुलिस थाने के प्रांगण मैं खुलेआम दलाली का खेल चलने लगा था यहां तक की कुछ कथित पत्रकार अपने कार्यालयों में जुआ तक चलवा रहे थे, कुछ पत्रकार यहां से मुम्बई की तर्ज पर पूरे देश मे सट्टा संचालित करने का प्लान बना चुके थे, कुछ पत्रकारों ने सट्टा खिलाकर अकूत संपत्ति अर्जित की है और अभी भी ये निरंतर सट्टा खिला रहे है। ये सभी सूचनाएं घातक रिपोर्टर समाचार पत्र के संपादक अरविंद सिंह जादौन के पास थी, इन्हीं सूचनाओं के आधार पर निरंतर समाचारों का प्रकाशन हम अपने समाचार पत्र मै बिना किसी का नाम लिये कर रहे थे कि हमारे उन लेखों में यहां के कुछ कथित पत्रकार जो अपने आपको वरिष्ठ पत्रकार कहलवाने मैं अनुभूति समझते हैं। उन लेखों मैं उनकी अपनी छवि नजर आने लगी थी उनको लग रहा था कि उनके हाथ मैं जो काली कमाई करने का जो तरीका है वह निकलता जा रहा है इसलिए पहले मुझे फोन पर समाचार प्रकाशन रोकने के लिए डराया, धमकाया गया नहीं मानने पर हमारी प्रेस जिस प्रेस से हमारा समाचार पत्र छपने के अनुबंध है उनको डराया धमकाया गया फिर हमारे समरदा भोपाल स्थित कार्यालय पर हमारे स्टाफ को भी डराया धमकाया गया। पिछले दिनों मेरे समरदा स्थित कार्यालय पर हमारे स्टाफ ने जाने से मना कर दिया यहां तक कि उसकी रोजी रोटी को भी इन दलाल पत्रकारों ने नहीं छोड़ा। जब हम इससे भी व्यथित नहीं हुए तो तीन दिन तक हमको शोशल मीडिया के माध्यम से बिना हमारा नाम लिए अपराधियों द्वारा धमकाया जाता रहा जो हमको तो सब कुछ समझ आ रहा था मगर हमारे पास उसको हमसे जोड़ने के लिए प्रमाण नहीं थे इसलिए हमने कानूनी सहारा नही लिया। जब कथित दलाल पत्रकार ने उन सभी गतिविधियों को हमसे जोड़ दिया तो न्यायिक व्यवस्था मैं जाने का फैसला हमने लिया है, आश्चर्य की बात तो यह है कि धर्म का चोला पहने एक पाखंडी को भी दलाल कथित पत्रकार ने अपना दलाल बना लिया। ज्ञात हो धर्म का चोला पहने पाखंडी दलाल अपने साथ युवकों को भी आपराधिक प्रवर्ति मैं ढाल रहा है यह पाखंडी अपने साथ 10-20 युवकों की टोली लेकर जुए, सट्टे, अवैध शराब वालों के यहां जाकर अवैध वसूली के लिए झगड़ा करवाने लगा है। कई युवकों को इसने अपने जाल में ऐसा फसाया कि वह भी अपराधी बन गए है। आजकल यह पाखंडी अपने आपको आशा राम, बाबा राम रहीम से भी बड़ा समझने लगा है मगर यह भूल रहा है कि बाबा राम रहीम का भी सफाया एक साप्ताहिक समाचार पत्र चलाने वाले रामचंद्रन जी ने किया था। मैं रामचंद्रन जी को बारंबार सर झुका कर प्रणाम करता हूं हालांकि रामचंद्रन जी को अपनी जान की आहुति देनी पड़ी थी मगर उनकी पहल इतना रंग लाई कि आज भी बाबा राम रहीम सलाखों के पीछे है। आजकल ये पाखंडी नगर के पहले नगर पालिका अध्य्क्ष के चुनाव हार चुके वरिष्ठ राजनेता के पीछे लगा रहता है जिससे उनकी छवि भी नगर मैं धूमिल हो रही है, अगर इहोने जल्द ही इसका साथ नहीं छोड़ा तो ये गारंटी भी दी जा सकती है कि आने वाले चुनावों मैं भी उनको हार का सामना अवश्य ही करना पड़ेगा। हालांकि मेरे लिए अपराधियो द्वारा शोशल मीडिया पर कहा तो यहां तक जाने लगा की काला मुहँ कर गधे पर बैठाकर नगर मैं घुमाने की बात की जाने लगी हमने फिर भी लेखन जारी रख समाचार पत्र का प्रकाशन जारी रखा। इसके बाद एक दलाल और कथित पत्रकार अजय आहूजा ने हमारा एक पुराना 2019 का वीडियो तोड़-मरोड़ कर वायरल किया वो भी उस घटना का वीडियो जिस घटना की जांच की गुहार हम पहले ही पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश से गुहार लगा चुके थे। हम को नीचा दिखाने, हमारे प्रकाशन और लेखों को रोकने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर वायरल किया जिससे कि हमारा मानसिक मनोबल टूट सके इसके बाद भी जब हमारा मनोबल उस वीडियो से भी नहीं टूटा। बल्कि उस वीडियो पर वैधानिक कार्यवाही कराने के लिए हम अपने अधिवक्ता से मिलने भोपाल जा रहे थे तब ट्रक से दुर्घटना कर हमारी हत्या का प्रयास कराया गया।
मैं समाज के उन तमाम लोगों से यह कहना चाहूंगा जो लोग इसे केवल पत्रकारों की आपस की लड़ाई मान रहे है। वह कथित दलाल पत्रकार इस लड़ाई को केवल पत्रकारों की आपसी लड़ाई बताकर मुझे मानसिक रोगी बताकर ध्यान को बांटना चाहते हैं ताकि आम आदमी के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान मूल मुद्दे से हट जाए। यहां गौर करने लायक बात यह है कि मेरा किसी भी पत्रकार या कथित पत्रकार ने मेरी पैतृक चल अचल संपत्ति, मेरी दुकान, मेरे मकान, मेरे समाचार पत्र के किसी भी विज्ञापन, मेरी फैक्ट्री किसी में से कोई भी हिस्सेदारी किसी पत्रकार ने नहीं ली है और ना ही मेरी किसी संपत्ति को जबरदस्ती उन्होंने अपने कब्जे में लिया है तो आप खुद समझ सकते हैं जब मेरी किसी ने भी कोई भी किसी प्रकार की किसी संपत्ति को किसी किसी पत्रकार ने नहीं लिया है तो मेरा उनसे व्यक्तिगत झगड़ा क्यों हो सकता है।
परेशानी तो सिर्फ इतनी सी है...
हमारे समाचार पत्रों के लेखन से उन कथित पत्रकारिता का चोला पहने दलालों के अनैतिक तरीके से धन कमाने के साधन समाप्त हो रहे थे व उन कथित पत्रकारों को मेरे समाचार पत्र के प्रकाशन से निरंतर परेशानियां उत्पन्न हो रही थी वह हमारे समाचार पत्र के प्रकाशन को रोकने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे और अपने प्रयासों में असफल होने के बाद उन लोगों ने ही हमारी हत्या का प्रयास किया हैं।
किसी भी पत्रकार से लड़ाई मेरी व्यक्तिगत नहीं, सभी पत्रकार मेरे मित्र (दलाल नहीं) - घातक रिपोर्टर संपादक अरविंद सिंह जादौन।
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