पहले खबर पाने के लिए यहाँ लिंक पर क्लिक कर एप्लीकेशन डाउनलोड करेंयहां दलाली बन्द हुई तो नए जिलों मैं फैला रहा है जाल
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आईबीएन और तहलका यूट्यूबर दलाल अजय आहूजा का यह खेल कोई नया नहीं, यह सब ब्लैकमेल करने का इसका पुराना तरीका।
- जांच आगे बढ़ी तो इसके कई स्ट्रिंगर कथित पत्रकार खा सकते है जेल की हवा।
- सही जांच हुई तो कभी भी जा सकता है जेल।
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सोशल मीडिया से ब्लैक मेलिंग व दलाली का धंधा चलाने वाला अजय आहूजा। |
घातक रिपोर्टर, अरविंद सिंह जादौन, भोपाल।
9329393447/9009202060
मीडिया के क्षेत्र में आजकल दलालों का बोलबाला है। प्रेस की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी में लोग फर्क करना भूल गए हैं। जहां एक तरफ अभिव्यक्ति की आजादी है उसी का फायदा उठाकर कुछ लोग अपने आप को प्रेस और पत्रकार सोशल मीडिया पर ही बताने लगते हैं और संगठित होकर ब्लैक मेलिंग जैसे अपराधों में संलिप्त हो जाते हैं, वहां से अच्छी खासी इनकम जैसे ही बढ़ती है अपने साथ एक लंबी अच्छी खासी टीम बना लेते हैं। ऐसा ही राजधानी भोपाल के क्षेत्र सहित मप्र में एक यूटुबर अजय आहूजा तहलका और आईबीएन के नाम से युट्यूब न्यूज चैनल चलता है उसी से ये बड़े स्तर पर ब्लैक मेलिंग और पुलिस की दलाली के धंधे में संलिप्त है। इसके दलाली व ब्लैक मेलिंग के इनकम सोर्स ने इसके साथ एक अपराधियों की लंबी फौज खड़ी कर दी है जो किसी की हत्या से लेकर हाथ-पैर तोड़ने, धमकाने का कार्य से लेकर महिला छेड़खानी तक मैं फ़साने का कार्य करते है। ऐसा ही एक मामला इसने मंडीदीप के पत्रकार के साथ कराने की सूचना भी है जो मामला अभी पुलिस प्रशाशन की जांच मैं है। इसको पिछले दरवाजे से हर तरीके से इस को बचाने का समर्थन करती है। सूत्रों की माने तो इसके पीछे एक अनुभवी मास्टर माइंड भी कार्य करता है जो बदले मैं इससे बडी वसूली भी करता है।
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इस दलाल ओर ब्लैक मैलर के फ़ेसबूक अकाउंट पर मानसिक दबाव डालकर ब्लैक मेलिंग के उद्देश्य से 18/12/2020 को की गई एक पोस्ट, नहीं हुआ इसके बाद अभी तक कोई खुलासा। |
इसका ब्लैकमेल करने का तरीका लक्ष्य को टारगेट कर कई दिन पहले से प्रारंभ हो जाता है, कई बार तो यह हफ्तों तक सोशल मीडिया के माध्यम से एक ही मैसेज वायरल करता है अब होगा खुलासा फलाना-फलाना-फलाना, अब मिलेगी आपको यह खबर बने रहिए तहलका इंडिया न्यूज या आई बी एन के साथ। कई बार यह मैसेज इसके हफ्तों चलते हैं जिसमें संबंधित कमजोर पक्ष को मानसिक रूप से दबाव में ले सके और वह दबाव में आकर इससे सौदेबाजी कर सके, अगर सौदेबाजी होकर मोटी रकम मिल गयी तो आपको महीनों-सालों क्या कभी पूरी जिंदगी कोई खुलासा आपको इस के समाचारों में प्रकाशित नहीं मिलेगा। अगर सामने वाला दबाव में नहीं आया तो एक आध हफ्ते इंतजार करने के बाद उसके वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल कर देगा। हालांकि यह अपने आप को एक न्यूज़ की पंजीकृत संस्था बताता है इसका रिकॉर्ड कहीं भी हमको सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार में कहीं नहीं मिला। अगर सूत्रों की माने तो इसने न्यूज़ एजेंसी के रूप में उद्योग मंत्रालय के उद्योग आधार से सर्विस केटेगरी मैं न्यूज़ एजेंसी के रूप में कई वेबसाइट पंजीकृत करवा रखी हैं जबकि युट्यूब का समाचार प्रकाशित करने के पंजीयन की व्यवस्था देश मे कहीं है ही नहीं, केवल वेवसाइट पंजीयन के आधार पर यह लोगों को प्रेस कार्ड जारी कर माइक आईडी वितरित कर स्ट्रिंगर, पत्रकार बनाने का दावा करता है। अक्सर इसके साथ या तो मीडिया क्षेत्र मे ब्लैकमेलिंग के पुराने खिलाड़ी आते है या फिर नए युवक-यूवतियाँ फसने मैं आ जाते है। वैसे इस तरीके की रजिस्टर्ड एजेंसियों को प्रेस कार्ड जारी करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता और न ही विज्ञापन संकलन का अधिकार इनको प्राप्त होता है।
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इस दलाल ओर ब्लैक मैलर के फ़ेसबूक अकाउंट पर नए जिलो में जाल फैलाने के लिए की गई एक पोस्ट। |
समझे विशेषज्ञों की नजर में एजेंसी का क्या होता है कार्य करने का तरीका
देशभर में कई न्यूज़ एजेंसी संचालित हैं, यह न्यूज़ एजेंसी समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनलों को समाचारों का संकलन कर उपलब्ध कराते हैं बदले में मासिक फीस हर एजेंसी अपने तरीके से अपने अनुभव और कार्यक्षेत्र के आधार पर समाचार पत्रों और चैनलों से लेती हैं जिसके लिए बाकायदा एक अनुबंध भी होता है। यह न्यूज़ एजेंसी समाचारों के संकलन के लिए देशभर के कोने-कोने में अपने प्रतिनिधि रखते हैं जिनको यह एजेंसियां या तो मासिक वेतन देते हैं या फिर समाचारों के संकलन का आधार पर अनुबंध होता है। जितने समाचार अप्रूवल होकर उनकी एजेंसी में चले जाएं उन समाचारों के आधार पर उनके प्रतिनिधियों को भुगतान किया जाता है। न्यूज़ एजेंसी एक कारपोरेट के रूप में काम करती हैं, इन न्यूज़ एजेंसी के प्रतिनिधि समाचार संकलन करने वाले एंप्लॉयर को विज्ञापन संकलन करने का अधिकार नहीं होता, ना हीं न्यूज एजेंसी समाचारों का प्रकाशन करतीं। अगर इन एजेंसियों को समाचारों का प्रकाशन डिजिटल या समाचार पत्र या चैनल के रूप में करना होता है तो इनको भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीयन कराकर चैनल या समाचार पत्र रजिस्टर्ड कराना होता है फिर उस के माध्यम से यह न्यूज़ एजेंसी समाचारों का प्रकाशन करती हैं।
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