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Tuesday, January 5, 2021

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रायसेन/देवरी, विश्व की दूसरे नंबर की करीब 80 किमी लंबी और 14 से 15 फीट चौड़ी प्राचीन दीवार देखने पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम।
रायसेन/देवरी, विश्व की दूसरे नंबर की करीब 80 किमी लंबी और 14 से 15 फीट चौड़ी प्राचीन दीवार देखने पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम।
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घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
थालादिधावन। गोरखपुर-देवरी से चैनपुर-बाड़ी तक करीब 80 किमी लंबी और 14 से 15 फीट चौड़ी प्राचीन दीवार है। विंध्याचल पर्वत के ऊपर से निकली यह दीवार आज भी लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है। दीवार के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण परमार कालीन राजाओं ने करवाया होगा। दीवार के बनाने का उददेश्य परमार राजाओं द्वारा अपने राज्य की सीमा को सुरक्षित रखना माना जा रहा है। यह तथ्य पुरातत्वविदों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दीवार का जायजा लेने के बाद सामने आए हैं। इस दीवार का फिर से सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ हो रहा है। सैकडों गांवों के बीच से गुजरती है यह दीवार। रायसेन मुख्यालय से 140 किमी दूर स्थित ग्राम गोरखपुर-देवरी से इस प्राचीन दीवार की शुरुआत हुई है जो सैकड़ों गावों के बीच से होकर बाड़ी के चौकीगढ़ किले तक पहुंची है। जयपुर-जबलपुर नेशनल हाईवे क्रमांक-12 से लगे ग्राम गोरखपुर से बाड़ी की दूरी 80 किमी है। लेकिन प्राचीन दीवार विंध्याचल पर्वत के ऊपर से तो कहीं पर गांवों के आसपास से निकली है। इस लिहाज से इस दीवार की लंबाई कुछ ज्यादा भी हो सकती है। लेकिन कई स्थानों पर दीवार को तोड़ भी दिया गया है। टूटी दीवार के अवशेष गांवों के आसपास दिखाई देते हैं। जहां पर दीवार में खेप दिखाई देता है, तो वहां पर लगता है कि ग्रामीणों ने इस दीवार के पत्थर निकाल लिए हैं और उसका उपयोग अपने निजी कार्यों के लिए कर लिया है। इस कारण यह प्राचीन दीवार कई स्थानों पर टूटी हुई दिखाई देती है।
गोरखपुर दीवार देखने के लिए मंगलवार की दोपहर मध्यप्रदेश के पूर्व सेक्रेटरी अवनि वैश्य, रायसेन के पूर्व कलेक्टर डीएस राय, अजय जासु रिटायर्ड डायरेक्टर, आदिम जाति कल्याण विभाग राजीव चौबे, पुरातत्व एवं इतिहासकार की टीम द्वारा गोरखपुर का निरीक्षण किया गया। साथ में देवरी तहसीलदार छोटे गिरी गोस्वामी ने पूर्व अधिकारियों को दीवार के बारे में अवगत कराया।
गोरखपुर-देवरी से चैनपुर-बाड़ी तक निकली यह दीवार चीन के बाद दूसरी लंबी दीवार हैं। यह तथ्य भी पुरातत्वविदों द्वारा खोजने का प्रयास किया जा रहा है। उनका मानना है कि जिले में स्थित में यह दीवार काफी लंबे क्षेत्र तक फैली हुई है। ये दीवार को बड़े-बड़े पत्थरों का उपयोग कर बनाई गई है। दीवार का संरक्षण कर दिया जाए तो वह देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण के साथ ही उनके लिए शोथ करने का माध्यम भी बन सकती है।
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