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Sunday, May 2, 2021

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नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को जरूरत है नए और व्यवस्थित भवन की।
नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को जरूरत है नए और व्यवस्थित भवन की।
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घातक रिपोर्टर, धर्मेन्द्र साहू, नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा।
तेंदूखेड़ा। तीन जिलों की सीमाओं पर स्थित तहसील मुख्यालय तेंदूखेड़ा में वर्ष 2007 मे लोकार्पित हुये 30 विस्तर वाले अस्पताल की स्थिति अब गंभीर हो चली है। डेढ़ दशक पूर्व के जनसंख्या के घनत्व और निर्माण की गुणवत्ता के हिसाव से बने यह भवन वर्तमान मरीजों की संख्या और विभिन्न प्रकार की मौसमी बीमारियों महामारियों मरीजो के बढ़ते दवाव के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केेंद्र व्यवस्थित और सर्वसुविधायुक्त बनाये जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह भवन वर्ष 2004 में बनना प्रारंभ हुआ था। तथा 12 जनवरी 2007 में इसका लोकार्पण किया जाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जगह पूर्व मंत्री दीवान चंद्रभान सिंह के अथक प्रयासों से इसे 30 विस्तर का अस्पताल बनाते हुये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का रूप दिया गया था। लेकिन पूर्व की तकनीकी और निर्माण कार्यो की गुणवत्ता के चलते इस भवन की भी अनेकों वार मरम्मत की जा चुकी है। नहीं तो यह भवन भी जगह जगह से उधड़ने की स्थिति में आ गया था। केंद्र पर पड़ती मरीजों की मार और भार को देखते हुये तत्काल प्रभाव से या तो इसी भवन के उपर पलंग की संख्या बढ़़ाने के साथ अन्य सुविधाओं की दृष्टि से भवन के उपर ही अतिरिक्त कक्ष निर्माण करा दिये जाये जिससे नीचे वाले हिस्से मे होने वाली संर्कीणता को कम और संक्रमण के खतरे को फैलने से वचाया जा सकता है। वर्तमान परिस्थितियों के चलते जहां आज स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की वाते हो रहीं है वहीं उक्त विषय केवल थोती घोषणाये ना बनकर इन्हे अमल में लाने की आवश्यकता है।
भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार सागर रायसेन जिले के अंतर्गत आने वाले सीमावर्ती आदिवासी वाहुल्य सुदूर ग्रामीण अंचलो के लगभग दो दर्जन से अधिक ग्राम इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आश्रित बने हुये है। जो प्रसुति से लेकर सड़क दुर्घटनाओं या अन्य गंभीर बीमारियों की त्वरित चिकित्सा के हिसाव से यहां पंहुचते है। 40 कि.मी. ऐरिया में कोई भी सर्वसुविधायुक्त चिकित्सालय ना होने के कारण यही केंद्र आशा का केंद्र बना हुआ है। केंद्र मे विशेषज्ञ डाक्टरों के साथ पर्याप्त स्टाफ और सुविधाओं की भी महती जरूरत है। वर्तमान रोगी कल्याण समिति के माध्यम से गार्ड के रूप में लगे कर्मचारी पदस्थ संविदा डाक्टरों के साथ उनका हाथ वटवातें है।
इसे विडंवना ही कहा जाना चाहिये कि स्वास्थ्य को लेकर विभिन्न प्रकार की जांचो को लेकर मरीजों को 60 कि. मी. दूर जिला मुख्यालय नरसिंहपुर जाना पड़ता है। केवल जांचो को लेकर नरसिंहपुर जाने मे ही 1 मरीज का 1 हजार रू. केवल आवागमन में ही खर्च हो जाता है। जांचो की फीस तो दूर का विषय है। संपन्न वर्ग तो उक्त व्यवस्थाये किसी भी तरह बना ही लेता है। लेकिन निर्धन और आम वर्ग के लिये यह विषय काफी गंभीर हो जाता है। शासकीय तौर पर ना तो यहां पर एक्सरे मशीन, सोनोग्राफी, सिटी स्कैन की व्यवस्था है। 60 कि.मी. दूरी पर ही यह व्यवस्था मुहैया हो पाती है। वह भी प्राईवेट स्तर पर। इस विषय को लेकर जग कुछ जनप्रतिनिधियों से स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की बात की जाती है। उनका एक ही पुराना जबाब मिलता है कि उक्त सुविधाये यहा पर संभव नही हो सकेंगी क्योंकि मशीनों को चलाने वाले कुशल प्रशिक्षक कर्मचारियों की कमी है। सरकार मे बैठे नुमाइंदांे ने निश्चित तौर पर तेंदूखेड़ा क्षेत्र की स्वास्थ्य एवं शिक्षा व्यवस्था पर यदि पूरी इच्छा शक्ति के साथ सरकार मे पहल की होती तो आज तेंदूखेड़ा बेहतर स्थिति पर खड़ा होता। ईश्वर की बहुत बड़ी अनुकंपा है कि कुछ प्राईवेट विशेषज्ञ अनुभवशील डाक्टरों की बजह से आज तेंदूखेड़ा की स्थिति संभली हुई है। नही तो स्थिति कुछ और ही होती। संकट की घ़ड़ी में यह विषय आज चर्चाओं में बने हुये है और क्षेत्र की जनता स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की मांग करने लगी है। स्थिति यह है कि शासकीय अस्पताल तेंदूखेड़ा में आवश्यक उपकरणों की कमी अभी भी बनी हुई है।
जनसंख्या के घनत्व एवं भौगोलिक स्थिति को देखते हुये लगभग 60 से 70 हजार महिला वर्ग को समय समय पर होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिये जबलपुर भोपाल और नागपुर के चक्कर लगाने पड़ते है। महिला विशेषज्ञ डाक्टर की मांग तीन दशकों से जारी होने के वावजूद शासन प्रशासन द्वारा आज तक उचित पहल नही की है। जबकि महिलाओं को वरावरी का दर्जाऔर महिला सशक्तिकरण को लेकर कोरे गाल बजाये जाते है। वर्तमान में यहां पर एक आयुष महिला डाक्टर और कुछ सेवाभावी नर्सो की बदोैलत ही क्षेत्र की महिला स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था बनी हुई है। साथ ही एक और स्थानीय संविदा महिला चिकित्सक की नियुक्ति 30 मई तक के लिये ही की गई है। समय रहते यहां पर 1 विशेषज्ञ महिला चिकित्सक प्रमुखता से होना जरूरी है।
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