रायसेन/सिलवानी, मानव जीवन सच्चाई - भक्ति में ढल गया, उस का परलोक सुधर गया - वेदाचार्य पंडित रामकृपालू शर्मा। - Ghatak Reporter

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Friday, September 24, 2021

रायसेन/सिलवानी, मानव जीवन सच्चाई - भक्ति में ढल गया, उस का परलोक सुधर गया - वेदाचार्य पंडित रामकृपालू शर्मा।

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मानव जीवन सच्चाई - भक्ति में ढल गया, उस का परलोक सुधर गया - वेदाचार्य पंडित रामकृपालू शर्मा।

रायसेन/सिलवानी, मानव जीवन सच्चाई - भक्ति में ढल गया, उस का परलोक सुधर गया - वेदाचार्य पंडित रामकृपालू शर्मा।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। पूज्य वेदाचार्य पंडित रामकृपालू जी के पावन सानिध्य में ग्राम विघरा में आयोजित विशाल श्रीमद भागवत कथा में सभी भक्तों को तृतीय दिवस की कथा स्व. उमेश पटेल की पुण्य स्मृति में श्रवण कराई गई। कथा प्रसंग को प्रारम्भ करते हुए श्री वेदाचार्य बीकलपुर ने कहा की कथा को हमें एकाग्रचित होकर सुनना चाहिए और जितने विश्वास के साथ हम भगवान की कथा सुनते हैं उतना ही फल हमें अधिक प्राप्त होता है और दुनिया में कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो भगवान की कथा से बड़ा है। जिसने हमें ये मानव जीवन दिया, जिसका दिया हुआ हम खाते हैं उसी की भक्ति के लिए हमारे पास समय नहीं है। परीक्षित जी महाराज के प्रसंग को प्रारम्भ करते हुए कहा की जब परीक्षित जी महाराज को पता चला कि सातवें दिन उनकी मृत्यु निश्चित है तो अपना सब कुछ त्याग दिया और शुकदेव जी से पूछा जिसकी मृत्यु निश्चित हो उसे क्या करना चाहिए और मृत्यु हमारे जीवन का कटु सत्य है। हम इस संसार में खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जायंगे। यह  पता होने के बावजूद भी हम अपना सारा जीवन सांसारिक भोगविलास में गुजार देते हैं और प्रभु ने हमें जिस कार्य के लिए मानव जीवन दिया है उससे हम भटक जाते हैं। शुकदेव जी ने परीक्षित जी महाराज से कहा हे राजन जिस की मृत्यु निश्चित हो उसे भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए। उसी प्रकार हमें भी सच्चे मन से भागवत कथा श्रवण करनी चाहिए और भगवान की भक्ति करनी चाहिए। मानव जीवन का लक्ष्य क्या है। मानव जीवन मिल जाने के बाद जीव को जीवन भर क्या करना चाहिए। किस पर विश्वास करना चाहिए और किस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। मानव जीवन मिलने के बाद जीव को जीवन पर्यन्त भगवान को मनाने की कोशिश करते रहना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन द्वार है परमात्मा मिलन का, सतकर्म का और मोक्ष प्राप्ति का। माँ के गर्भ में जब बच्चे रहते है तो भगवान मुझे बचाओ, मुझे यहाँ से बाहर निकालो तब प्रभु कहते हैं की मैं तुम्हें यहाँ से बहार निकाल दूँगा लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा की जन्म लेने के बाद तुम्हे अपने धर्म को आगे बढ़ना होगा। धर्म का प्रचार करना होगा। लेकिन बच्चा जन्म लेने के बाद प्रभु से किया हुआ वादा भूल जाता है और संसार की मोहमाया में लिप्त हो जाता है और फिर मृत्यु के बाद दुबारा उसी कष्ट से होकर गुजरना पड़ता है। अगर हमें इस कष्ट से बचना है, जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त होना है और मोक्ष को प्राप्त करना है तो प्रभु से किया हुआ वादा निभाना होगा। श्री कृपालू जी ने कहा कि जितने सृष्टि पर कार्य हो रहे है परमात्मा की कृपा से हो रहे है। जिस व्यक्ति ने सत्यसंग श्रवण कर लिया वह पुण्य का प्राप्त होता है। कथा श्रवण करने से भगवान दर्शन की प्राप्ति होती है। जो भगवान का भक्त होता हैं वह बैराग्य होता है। उसे मोह से कोई मतलब नही होता। सत्यसंग से भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है और वह व्यक्ति बैराग्य की ओर बढ़ जाता है ओर उसकी परलोक की यात्रा सुधर जाती है। बस श्री हरि से जीव सम्बन्ध जोड़ ले सब विकारों से दूर हो जावेगा। जिन का जीवन सच्ची में ढल गया वह व्यक्ति परलोक में यश पाता है। संत ऋषियों की वाणी मानो, सत्य क्या है जगत का ये जानो। विवेक रघुवंशी, विकास रघुवंशी ने सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से कथा श्रवण करने का आग्रह किया है। कथा सुनकर धर्म लाभ उठायें।

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