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Tuesday, March 22, 2022

नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा, जहां-तहां घायल और बीमार होकर असमय काल के गाल में समा रहे मवेशी।

जहां-तहां घायल और बीमार होकर असमय काल के गाल में समा रहे मवेशी।

  • गौ शालाओं का समुचित दिशा में नहीं हो पा रहा उपयोग।

नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा, जहां-तहां घायल और बीमार होकर असमय काल के गाल में समा रहे मवेशी।

घातक रिपोर्टर, धर्मेन्द्र साहू, नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा।
तेंदूखेड़ा। गौ संरक्षण और सुरक्षा की दिशा में कमलनाथ सरकार द्वारा जिस मंशा को लेकर गांव गांव में गौ शालायें खुलवाने का निर्णय लिया था, लेकिन उनके उद्देश्य की पूर्ति होती नहीं दिख रही है। जिसका मुख्य कारण गौ शालाओं का उचित संधारण रख रखाव एवं जिन योजनाओं के माध्यम से इनके संचालन की व्यवस्थायें बनाई गई थी उनकी पूर्ति न हो पाने के कारण गौ शालाओं का संचालन केवल कॉगजी पुलिंदा ही साबित हो रहा है। और मूक आवारा पशु जहां तहां घायल और बीमार होकर असमय काल के गाल में समा रहे है। चांवरपाठा विकासखंड के अंतर्गत 15 विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में गौ शालाओं का निर्माण कराया गया है। जिनमें 5 तो बनकर तैयार हो चुकी है। और 10 गौ शालाओं पर अभी काम होना है। लेकिन पिछले 7-8 महीनांे से राशि न आ पाने के कारण निर्माण कार्य रूके पड़े हुये है। लेकिन जहां जहां निर्माण हो चुका है वहां की गौ शालाओं की स्थिति पटरी के बाहर बनी हुई है। स्थिति यह है कि स्व सहायता समूहों को समय पर मानदेय न मिल पाने के कारण चारा भूसा के लिए मनरेगा से राशि का समय पर आवंटन न होने की स्थिति में गौ शालाएं नहीं चल पा रही है और मवेशी आवारा बने घूम रहे है।

गौ शालाओं की भूमि पर उपजाया जा रहा अनाज

चांवरपाठा विकासखंड में विकासखंड अधिकारियों की उदासनीता कहे या लापरवाहपूर्ण कार्यशैली, इन अधिकारियों को अभी तक यही मालूम नहीं है कि किस ग्राम में गौ शाला का निर्माण होना है। किस स्थिति में है कैसे संचालित हो रही है। जब समाचार पत्रों के माध्यम से उन तक यह विषय पहुंचता है या जानकारी मांगी जाती है तो उनका एक ही जबाब होता है कि आपके माध्यम से मुझे यह जानकारी लगी। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों ग्राम भौंरा का प्रकाश में आया है। जहां गौ शाला के लिए निर्धारित भूमि के कुछ भाग में ही गौशाला का निर्माणकार्य प्रारंभ तो कर दिया गया है लेकिन शेष भाग में बड़े पैमाने पर चन उगाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 12 एकड़ भूमि में से 9 एकड़ भूमि में चना की फसल उगाई जा रही है। इस भूमि पर उगाई जा रही फसल का मामला जब समचार पत्रों के माध्यम से उजागर किया गया तो उक्त भूमि पर उगाई जा रही फसल के दाम मंदिर में दानस्वरूप जमा कर देने को कहा गया है। एवं भूसा गौ शाला में दान कर दिया जायेगा। यह सब ग्रामीणों की सहमति से किया गया है। पूर्व में इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया था।

नरसिंहपुर/तेंदूखेड़ा, जहां-तहां घायल और बीमार होकर असमय काल के गाल में समा रहे मवेशी।

सड़क किनारे घायल और बीमार पड़े मिल रहे मवेशी

स्थिति यह है कि जब जब जिले के वरिष्ठ अधिकारी जिले के दौरो पर निकला करते है तब तब उस क्षेत्र के मवेशियों को संबंधित स्थानीय इकाईयों के कर्मचारी मवेशियों को ईद गिर्द हकवा दिया करते है। लेकिन धरातल की वस्तुस्थिति यह है कि शाम के समय सड़क चौराहों या किसी वृक्ष के तले बैठे हुए देखे जा सकते है। इन आवारा पशुओं की दुदर्शा यह बनी हुई है कि कोई भी वाहन चालक इन्हें टक्कर मारकर आगे बढ़ जाता है। घायल पीड़ित अवस्था में मवेशी तड़पते देख सेवाभावी संस्थाएं उनकी सेवाएं करते है। वहीं पॉलीथिन या दूषित खाद्य सामग्री खाकर मवेशी यहां वहां बीमार अवस्था में पड़े मिलते है। चूंकि मवेशी किसानों के ही है, कहीं बाहर से नहीं आये है। पशु पालकों द्वारा ध्यान न दिये जाने और उनकी लापरवाही से ही यह समस्या बनी हुई है। उचित रखरखाव खान पान समय पर बांधना छोड़ना होता रहता तो यह नौबत नहीं आती।

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