Silwani Election Results 2023: जानें, मप्र के सिलवानी विधानसभा क्षेत्र का चुनावी हाल
- जब रामपाल सिंह राजपूत प्रत्यासी देवेन्द्र पटेल से हार गए थे चुनाव....
राजधानी भोपाल से लगे जिले रायसेन में चार विधान सभा क्षेत्र हैं साँची सिलवानी, उदयपुरा,भोजपुर अब हम सिलवानी विधानसभा क्षेत्र के पिछले रिजल्ट की बात करें तो साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 198039 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 64222 ने बीजेपी उम्मीदवार रामपाल सिंह को वोट देकर जिताया था, जबकि 57150 वोट पा सके कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र पटेल 7072 वोटों से चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ा था .
इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में सिलवानी विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रामपाल सिंह ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 68926 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र पटेल को 51848 वोट मिल पाए थे, और वह 17078 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.
जब रामपाल सिंह राजपूत प्रत्यासी देवेन्द्र पटेल से हार गए थे चुनाव
इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में सिलवानी विधानसभा क्षेत्र से बीजेएसएच उम्मीदवार देवेंद्र पटेल को कुल 40115 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी रामपाल सिंह दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 39868 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 247 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.
वैसे, गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश राज्य में 114 सीटों पर जीतकर कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि 230-सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में 109 सीटें ही आ पाई थीं. बाद में कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था और कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. लेकिन फिर डेढ़ साल बाद ही राज्य में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ BJP में शामिल हो गए. इससे बहुमत BJP के पास पहुंच गया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद, राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव भी करवाए गए और BJP ने उनमें से 19 सीटें जीतकर मैजिक नंबर के पार पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. फिलहाल शिवराज सिंह 18 साल की अपनी सरकार की एन्टी-इन्कम्बेन्सी की लहर के बावजूद अगला कार्यकाल हासिल करने के प्रयास में जुटे हैं, वहीँ पार्टी, यानी भाजपा ने अपने राज्य के सभी दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी एन्टी-इन्कम्बेन्सी की ही लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस बार उसकी संभावनाएं पहले से बेहतर हैं. अब कामयाबी किसे मिलेगी, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही तय करेंगे जो भी हो चुनावी टक्कर तो कांटे की ही रहेगी .
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