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Friday, October 23, 2020

रायसेन/बरेली, यूं ही नहीं हुई थी शारदीय नवरात्र की शुरुआत, जानिये क्या है पौराणिक कथा।

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यूं ही नहीं हुई थी शारदीय नवरात्र की शुरुआत, जानिये क्या है पौराणिक कथा।

यूं ही नहीं हुई थी शारदीय नवरात्र की शुरुआत, क्या है पौराणिक कथा।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। शारदीय नवरात्र मां दुर्गा जी की उपासना का पर्व हर वर्ष यह महान पर श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा अधिक मास के कारण संभव नहीं हो पाया। इस बार नवरात्र पर्व 17 अक्टूबर से प्रारंभ हुए और 25 अक्टूबर तक चलेंगे।
 
आइए जानते हैं क्या है शारदीय नवरात्र का महत्व और क्या है इसकी पौराणिक कथा। धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्र भगवती दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जो अपने भक्तों को खुशी शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है। नवरात्र का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं, नवरात्र का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है।

शास्त्रों में नवरात्र पर्व मनाया जाने की दो पौराणिक कथा में हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था उसने अपने तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया।  वरदान में उसे कोई देव-दानव या पृथ्वी पर रहने वाला मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते हुए वह बहुत निर्दई हो गया और तीनों लोको में आतंक मचाने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवे दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।

यूं ही नहीं हुई थी शारदीय नवरात्र की शुरुआत, क्या है पौराणिक कथा।

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के साथ होने वाले युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी मां भगवती जी की आराधना की थी। रामेश्वरम में उन्होंने 9 दिनों तक माता की पूजा की उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने श्री राम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। 10 दिन बाद भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजयदशमी के रूप में माना जाता है।

1 comment:

  1. भयंकर युद्ध हुआ और दसवे दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
    कृपया सही लिखे धन्यवाद

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