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Wednesday, February 24, 2021

रायसेन/बरेली, भागवत देवी पुराण, गायत्री महायज्ञ में श्रद्धालु उठा रहे धर्मलाभ।

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भागवत देवी पुराण, गायत्री महायज्ञ में श्रद्धालु उठा रहे धर्मलाभ।

रायसेन/बरेली, भागवत देवी पुराण, गायत्री महायज्ञ में श्रद्धालु उठा रहे धर्मलाभ।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। नगर सीमा से दो किलो मीटर दूर ग्राम पंचायत धौंखेडा में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत देवी पुराण के पांचवे दिन कथा मंच पर बैठे कथा व्यास कथा पांडाल में उपस्थित सैंकडों श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कहते हैं कि महर्षि पराशर और देवी सत्यवती के संयोग से श्रीनारायण के अंशावतार देव व्यासजी का जन्म हुआ। व्यासजी ने अपने समय और समाज की स्थिति पहचानते हुए वेदों को चार भागों में विभक्त किया और अपने चार पटु शिष्यों को उनका बोध कराया। इसके पश्चात् वेदाध्ययन के अधिकार से वंचित नर-नारियों का मंदबुद्धियों के कल्याण के लिए पुराणों की रचना की ताकि वे भी धर्म-पालन में समर्थ हो सकें।


सूतजी ने कहा गुरुजी के आदेशानुसार सत्रह पुराणों के प्रसार एवं प्रचार का दायित्व मुझ पर आया, किंतु भोग और मोक्षदाता भागवत पुराण स्वयं गुरुजी ने जन्मेजय को सुनाया। कथा स्थल पर बने पंचकुण्डात्मक गायत्री महायज्ञ में भी श्रद्धालु अपनी आहुती दे रहे हैं प्रात: समय से देर रात तक हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा गायत्री यज्ञ की परिक्रमा की जा रही है। यहां पर कई वर्षों बाद यागत्री यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसका धर्मलाभ लेने के लिए नगर ही नही अपितु अन्य शहरों और कस्बो से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। रात्रि समय से कथा मंच से ही मधुरा वृन्दावन से यहां आये कलाकारों के द्वारा रासलीला की जा रही है।

रायसेन/बरेली, भागवत देवी पुराण, गायत्री महायज्ञ में श्रद्धालु उठा रहे धर्मलाभ।

देवी पुराण की महिमा

कथा व्यास बताते हैं कि देवी पुराण के पढने एवं सुनने से भयंकर रोग, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूत-प्रेत बाधा, कष्ट योग और दूसरे आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आधिदैहिक कष्टों का निवारण हो जाता है। सूतजी ने इसके लिए एक कथा का उल्लेख करते हुए कहा-वसुदेव जी द्वारा देवी भागवत पुराण को पारायण का फल ही था कि प्रसेनजित को ढूंढने गए श्रीकृष्ण संकट से मुक्त होकर सकुशल घर लौट आए थे। इस पुराण के श्रवण से दरिद्र धनी, रोगी-नीरोगी तथा पुत्रहीन स्त्री पुत्रवती हो जाती है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र चतुर्वर्णों के व्यक्तियों द्वारा समान रूप से पठनीय एवं श्रवण योग्य यह पुराण आयु, विद्या, बल, धन, यश तथा प्रतिष्ठा देने वाला अनुपम ग्रंथ है।

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