रायसेन/बरेली, राक्षसी पूतना को भी भगवान कृष्ण ने मां का दर्जा दिया है - दीदी सखी साध्वी। - Ghatak Reporter

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Tuesday, March 2, 2021

रायसेन/बरेली, राक्षसी पूतना को भी भगवान कृष्ण ने मां का दर्जा दिया है - दीदी सखी साध्वी।

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राक्षसी पूतना को भी भगवान कृष्ण ने मां का दर्जा दिया है - दीदी सखी साध्वी।

  • श्री शिव महिला मंडल के तत्वावधान में चल रही भागवत कथा।

रायसेन/बरेली, राक्षसी पूतना को भी भगवान कृष्ण ने मां का दर्जा दिया है - दीदी सखी साध्वी।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। श्री शिव महिला मंडल बरेली के तत्वावधान में पशु चिकित्सालय रोड पर आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस श्रीजी मंदिर से कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा के आगे-आगे कथा के मुख्य यजमान ज्योति पूरन सिंह धाकड अपने सिर पर भागवत कथा लिए हुए कथा स्थल पहुंचे जहां पर पूजन अर्चना के बाद कथा प्रारंभ की गई। कथा के द्वितीय दिवस श्रीधाम वृन्दावन से आईं कथा वाचक राष्ट्रीय संत प्रवक्ता दीदी सखी साध्वी ने पूतना वध का प्रसंग सुनाया। जब भगवान श्रीकृष्ण बाल अवस्था मे नंद बाबा के यहां थे तो राजा कंस से प्रेरित राक्षसी पूतना उनको मारने के उद्देश्य से भेष बदलकर गोकुल पहुंची ओर नन्हे बालक कृष्ण को अपनी गोद मे उठाकर आकाश मार्ग की तरफ चली जाती है। अपने स्तनों पर विश लगाकर स्तन पान करवाने लगी। भगवान ने स्तन पान करते हुए ही उसके प्राण हर लिए।


स्तनपान करने की वजह से पूतना को माँ का दर्जा देते हुए उसे मोक्ष प्रदान करते है। कथा वाचक कथा पांडाल में कथा का रसपान करने पहुंचे श्रद्धालुओ को महाभारत काल में दुर्योधन वध के बारे में बताते हुए कहती हैं कि एक-एक करके दुर्योधन के 99 भाईयों का वध हो चुका था अब दुर्योधन अपनी टूटी जंगा को लेकर मैदान में पडा हुआ है तभी वहां अश्वत्थामा पहुंचते हैं और अपने मित्र दुर्योधन से बोलते हैं कि बताओ मित्र में तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं तब दुर्योधन कहते हें कि मेरे सभी भाई युद्ध में मारे गए लेकिन पांचो पांडव अभी भी जिंदा हैं इनमें से एक भी अगर मृत्यु को प्राप्त हो जाता तो मुझे तसल्ली मिलती तभी अश्वत्थामा क्रोध में पांडवों के पांडाल में पहुंचते हैं और वहां पांडवों की जगह सो रहे उनके पांचों पुत्रों के सीस काटकर दुर्योधन के समक्ष लेकर आते है।

रायसेन/बरेली, राक्षसी पूतना को भी भगवान कृष्ण ने मां का दर्जा दिया है - दीदी सखी साध्वी।

तभी दुर्योधन कहता है कि यह पांडव नही है वहीं अर्जुन क्रोध में अश्वत्थाम को रस्सियों से जकड कर जब द्रोपदी के पास लेकर पहुचते हैं तो तब द्रोपदी कहती हैं कि अश्वत्थामा को छोड दो जो दुख मेंने उठाया है वह दूसरी मां न उठा सके क्योंकि यह गुरू पुत्र हैं और गुरू द्रोणाचार्य ने पांडवों को गुरू शिक्षा दी है इसलिए ब्राह्मण पुत्र का और ब्रह्मण का वध नही करना चाहिए।

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