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Sunday, April 4, 2021
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रायसेन/बरेली, 4 अप्रैल, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर विशेष।
रायसेन/बरेली, 4 अप्रैल, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर विशेष।
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घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में एक ऐसा नाम है जिसे छोड़ कर हम पूरे नहीं हो सकते। उनकी संपूर्ण जीवन यात्रा आत्मसमर्पण के खिलाफ लड़ने वाले की यात्रा है। रचना और संघर्ष की भाग भूमि पर समृद्ध हुई उनकी लेखनी मैं अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध का जज्बा न चुका, न कम हुआ। वस्तुतः वे एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रहे थे और कोई मोर्चा ऐसा ना था जहां उन्होंने अपनी छाप ना छोड़ी हो। माखनलाल जी ने जब पत्रकारिता शुरू की तो सारे देश में राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव देखा जा रहा था। राष्ट्रीयता एवं समाज सुधार की चर्चा और फिरंगीयों को देश बंदर करने की भावनाएं बलवती थी। इसी के साथ महात्मा गांधी जैसी तेजस्वी विभूति के आगमन ने सारे आंदोलन को एक नई ऊर्जा से भर दिया। दादा माखनलाल जी भी उन्हीं गांधी भक्तों की टोली में शामिल हो गए। गांधी के जीवन दर्शन से अनुप्राणित दादा ने रचना और कर्म के स्तर पर जिस तेजी के साथ राष्ट्रीय आंदोलन की उर्जा एवं गति दी वह महत्व का विषय है। इस दौर की पत्रकारिता भी कमोबेश गांधी के विचारों से खासी प्रभावित थी। सच कहें तो हिंदी पत्रकारिता का वह जमाना ही अजीब था। आम कहावत थी- जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो और सच में अखबार की ताकत का एहसास आजादी के दीवानों को हो गया था। इसी के चलते सारे देश में आंदोलन से जुड़े नेताओं ने अपने पत्र निकाले जिनके माध्यम से ऐसी जनचेतना पैदा हुई कि भारत आजादी की सांस ले सका।
वस्तुतः इस दौर में अखबारों का इस्तेमाल एक अस्त्र के रूप में हो रहा था और माखनलाल जी का कर्मवीर इसमें एक जरूरी नाम बन गया था। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का नाम भारत के विख्यात पत्रकार कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखा गया है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित विश्वविद्यालय के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य देश में मास मीडिया के क्षेत्र में बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षण। मध्यप्रदेश विधानसभा की धारा 15 के तहत 1990 में विश्व विद्यालय की नींव पड़ी जिसे यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी सहमति प्रदान की है। हम जहां पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन कर रहे हैं वहीं वर्तमान में देखा जा रहा है कि अब पत्रकारिता को आय का जरिया पत्रकारिता की आड़ में बना लिया गया। पत्रकारिता के नाम पर अपनी जेब भरने वाले देश हित में नहीं बल्कि अपने हित में कार्य कर रहे हैं और कलम को बदनाम कर रहे।
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