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चिताओं से उठती ज्वाला भी लोगों में नही ला पा रही जाग्रति।
हम हैं खतरों के खिलाड़ी, खतरा लेना भी जानते हैं और खतरा देना भी जानते है, आपदा को भी अवसर बनाते हैं?
- हम आपदा को भी अवसर बनाना जानते है
- पिछले दो हफ्तों में नगर के चार व्यापारी भी गवां चुके हैं अपनी जान
- सतलापुर श्मशान घाट मैं अप्रेल मैं अंतिम संस्कारो के बढ़े आंकड़े
- चिताओं से उठती ज्वाला भी लोगों में नही ला पा रही जाग्रति
- अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी पड़ी कम
- कबिस्तान मैं भी बढ़े आंकड़े
घातक रिपोर्टर, अरविंद सिंह जदौन, भोपाल।
मंडीदीप। जी हां आपने बिल्कुल सही पढ़ा, यही हाल है यहाँ के ज्यादातर दुकानदारों के। आपको चाहे कपड़ा लेना हो या सोना-चांदी हो या जूते लेना हो या बाल कटाने हो या सब्जी और फल लेना हो सभी जगह एक ही हालत है। सब्जी और फल के ठेले खोलने को जहां अनुमति मिली हुई है वहां उस अनुमति का फायदा केवल ठेले वाले ही नहीं उठा रहे, बल्कि फल और सब्जी के खरीददार भी अपनी जान जोखिम में डालकर खरीदी कर रहे हैं। फल और सब्जी के बाजार में जमकर भीड़ के नजारे आसानी से देखे जा सकते हैं, खरीददार हो या विक्रेता दोनों लोगों के एक ही हाल हैं। जब पुलिस प्रशासन आता है तो इधर-उधर भागते नजर आते हैं और यहां तक कि मास्क भी जब भी चेहरे पर लगाया जाता है, नहीं तो मास्क चेहरे से नीचे थोड़ी पर आसानी से देखा जा सकता है, अब ऐसे लोगों को खतरो का खिलाडी ना कहे तो क्या कहें।
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इंद्रानगर यूनियन बेंक के पास खरीददारी करते ग्राहक |
हम आपदा को भी अवसर बनाना जानते है
मंगल बाजार, गांधी चौक, गणेश चौक, राधा कृष्ण मंदिर चौक, दुर्गा चौक, स्टेशन रोड या नेशनल हाईवे सभी जगह दुकानदारों के लगभग एक ही हाल हैं। दुकान के बाहर खड़े रहना, ग्राहक का इंतजार करना, ग्राहक भीड़ के रूप में आए ग्राहक को अंदर कर लेना और शटर गिराकर व्यापार करना। उसमें दुकानदार को यह भी कतई चिंता नहीं होती कि कोई संक्रमित व्यक्ति उनके पास आकर उनके और उनके परिवार की जान को संकट में डाल सकता है। एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दुकान के बाहर अपने एजेंट को 15 से 20 प्रतिशत तक कमीशन ग्राहक लाने का वह देते हैं, स्वभाविक है इस 15 से 20 प्रतिशत कमीशन की मार भी ग्राहक की जेब पर ही पड़ती है। यह स्थिति तब है जब मंडीदीप के सतलापुर रोड पर श्मशान घाट में रोजाना 15 से 20 दाह संस्कार किए जा रहे हैं, जबकि इसके पहले दो से तीन या ज्यादा से ज्यादा एक दिन में पांच दाह संस्कार के रिकॉर्ड हैं।
पिछले दो हफ्तों में नगर के चार व्यापारी भी गवां चुके हैं अपनी जान
संक्रमण के इस दौर में इसको लापरवाही कहें या नियति, नगर के चार प्रतिष्ठित व्यापारी भी संक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं, इसके बावजूद भी दुकानदारों में अभी तक कोई जागृति उत्पन्न दिखाई नहीं देती। प्रशासन की शख्ती के बावजूद भी दुकानदार दुकानों के अंदर ग्राहकों की भीड़ लगाकर सामान बेच रहे हैं। हालांकि प्रशासन की शख्ती के कारण शटर बंद कर लेते हैं और शटर के बाहर एक अपना एजेंट छोड़ देते हैं। एक दुकानदार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दुकान के बाहर अपने एजेंट को 15 से 20 प्रतिशत तक कमीशन ग्राहक लाने का वह देते हैं, स्वभाविक है इस 15 से 20 प्रतिशत कमीशन की मार भी ग्राहक की जेब पर ही पड़ती है।
कबिस्तान मैं भी बढ़े आंकड़े
मंडीदीप सतलापुर मिलाकर 11 कबिस्तान है जिनमें से 6 कबिस्तान चालू है। पहले कबिस्तान मैं महीने मैं लगभग 2 से 4 अंतिम संस्कार होते है, इस महीने 6 कबिस्थानों मैं लगभग 15 लोगों को दफनाया जा चुका है, जिनमें ज्यादातर 70 साल से ऊपर के उम्र वाले पुरुष व महिलाओं मैं इससे कम उम्र की सामिल रहीं है। बीमारी की बात करें तो इनमें कोविड के अलावा अस्थमा, दमा जैसी बीमारी के लोग भी शामिल है।
सतलापुर श्मशान घाट मैं अप्रेल मैं अंतिम संस्कारो के बढ़े आंकड़े
मंडीदीप के मुख्य शमशान घाट सतलापुर रॉड स्थित हर महीने 40 से 50 दाह संस्कार होते थे, अप्रेल माह मैं खबर लिखे जाने तक 90 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके है जिनमे कोरोना पॉजिटिव मरीजो के भी अंतिम संस्कार किये गए है। हालांकि इनमें ओबेदुलगंज व भोपाल से भी अंतिम संस्कार के लिए शव पहुंच रहे है।
अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी पड़ी कम
पिछले हफ्ते से अचानक अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण कल शमशान घाट मैं चिता मै प्रयोग होने वाली लकड़ी की कमी आ गयी। हालांकि शमशान घाट में लकड़ी तो थी मगर लकड़ी गीली होने व लकड़ी को चीरने वालों की कमी होने के कारण चिता में प्रयोग होने वाली लकड़ी की कमी आ गई। हालांकि शमशान घाट प्रबंधक ने बताया कि हमारे पास 3-4 मजदूर लकड़ी चीरने-फाड़ने मैं लगे हैं, इस अप्रत्याशित कमी से निपटने के लिए मंडीदीप के जैन समाज ने 100 क्विंटल लकड़ी श्मशान घाट को दान देने की बात कही, जिसमें कुछ लकड़ी श्मशान घाट में भिजवा भी दी गई है। वही अभी तक कोविड-19 दौर में मंडीदीप नगर पालिका के द्वारा भी 20-25 ट्राली लकड़ी श्मशान घाट को दी गई, वही ट्रेक्टर निर्माण करने वाली आइसर व दवाई कंपनी ल्युपिन जैसी कंपनियों ने भी इस महामारी में अपना हाथ बढ़ाया और श्मशान घाट को लकड़ी दान में दी हैं।
चिताओं से उठती ज्वाला भी लोगों में नही ला पा रही जाग्रति
कोरोना संक्रमण काल में बढ़ते मौतों का आंकड़ा, अप्रत्याशित अंत, अंतिम संस्कार होते सितारों की ज्वाला भी लोगों को जागृत करने में नाकामयाब हो रहे हैं। मदन श्मशान घाट प्रबंधन से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया की अंतिम संस्कार करने आए लोग भी संक्रमण की गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं, ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं और ना ही ज्यादातर लोग मास्क लगाते हैं। एसे हालत में श्मशान घाट प्रबंधन शक्ति भी दिखाता है इसके बावजूद भी कई बार लोग ना तो मास्क लगाते हैं और ना ही शारीरिक दुनिया बनाकर रखते हैं।
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सांकेतिक छाया चित्र |
इनका क्या कहना है...सरकार ने कोरोना की गाइड लाइन तय की है जिसका सभी दूकानदारों को पालन करना चाहिए जो दुकानदार नियम तोड़ता है उसके वीरुध शख्त कार्यवाही प्रशाशन को करनी चाहिए चाहे वो मेरा भाई ही क्यों न हो।
व्यापारी संघ अध्यक्ष, विमल जैन
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