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Wednesday, April 21, 2021

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रायसेन/बरेली, कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ी रामनवमी, लगातार दूसरे वर्ष नहीं मनाया गया राम जन्मोत्सव, जानिए क्यों और किस तरह मनाई जाती है रामनवमी।
रायसेन/बरेली, कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ी रामनवमी, लगातार दूसरे वर्ष नहीं मनाया गया राम जन्मोत्सव, जानिए क्यों और किस तरह मनाई जाती है रामनवमी।
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घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। एक बार फिर राम जन्मोत्सव की धूम रायसेन जिले में दिखाई नहीं दी, कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गई इस बार फिर रामनवमी ? बढ़ते हुए संक्रमण के कारण सभी धार्मिक, सामाजिक आयोजनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म उत्सव सड़कों पर नहीं इस बार फिर घरों और सोशल मीडिया पर ही मनाया गया।
भगवान विष्णु हर युग में अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना के लिए हर युग में अवतार लेते हैं। त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने राम और माता लक्ष्मी ने सीता का अवतार लिया था। जिस दिन श्रीहरि ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या की कोख से जन्म लिया था, उस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। इसलिए इस तिथि को राम नवमी के रूप में मनाई जाती है। साथ ही इसी दिन चैत्र नवरात्र का अंतिम दिन भी होता है। भगवान राम कभी भी स्त्री व पुरुष में भेद नहीं करते थे और समाज में व्याप्त ऊंच-नीच का भेद भी नहीं करते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के कल्याण में लगाया।
सनातन धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व बताया गया है। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 21 अप्रैल दिन बुधवार को है। इस दिन पुनर्वस नक्षत्र में कर्क लग्न में भगवान राम का जन्म हुआ था। लेकिन इस बार कोरोना के चलते ज्यादातर जगह कर्फ्यू लगाया जा चुका है और अयोध्या में तो सभी प्रमुख मंदिरों को बंद कर दिया गया है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म के लिए ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। घर के पूजा स्थल में से कुछ सामग्री लेकर बैठें। विष्णु अवतार होने के कारण रामजी की पूजा में तुलसी और कमल का फूल अनिवार्य होगा। एक चौकी लें जिस पर लाल कपड़ा बिछा लें और उस पर राम दरबार की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल की छीटें दें और चावल से अष्टदल बनाएं। अष्टदल पर तांबे का कलश रखें और उस पर चौमुखी दीपक जला दें। आप चाहें तो रामलाल की मूर्ति को पालने में झुला लें और राम आरती करें या फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद खीर, फल और मिष्ठान का भोग लगाएं। इस दिन आप राम के भक्ति में डूबकर कीर्तन कर सकते हैं। रामचरित मानस और राम स्त्रोत का भी पाठ किया जा सकता है। साथ ही शाम के समय राम कथा भी सुनें। रामनवमी का उपवास रखने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ शांति भी आती हैं और भगवान राम का आशीर्वाद मिलता है।
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