रायसेन/देवरी, प्रतिबंध के बाद भी नर्मदा में अवैध रेत का खनन जारी, जेसीबी से निकाली जा रही रेत, शोकलपुर घाट पर साल में तीन बार लगता है मेला। - Ghatak Reporter

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Wednesday, June 23, 2021

रायसेन/देवरी, प्रतिबंध के बाद भी नर्मदा में अवैध रेत का खनन जारी, जेसीबी से निकाली जा रही रेत, शोकलपुर घाट पर साल में तीन बार लगता है मेला।

प्रतिबंध के बाद भी नर्मदा में अवैध रेत का खनन जारी, जेसीबी से निकाली जा रही रेत, शोकलपुर घाट पर साल में तीन बार लगता है मेला।

रायसेन/देवरी, प्रतिबंध के बाद भी नर्मदा में अवैध रेत का खनन जारी, जेसीबी से निकाली जा रही रेत, शोकलपुर घाट पर साल में तीन बार लगता है मेला।

घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। अप्रैल माह में ठेकेदार का ठेका निरस्त हो चुका था और नर्मदा की रेत पर प्रतिबंध होने के बाद भी शोकलपुर घाट से जेसीबी से रेत भराई जा रही है। जबकि शोकलपुर घाट पर प्रति वर्ष साल में तीन बार मेला लगता हैं और अमावश्य और पूर्णिमा पर लोग स्नान करने जाते हैं पर नर्मदा तट शोकलपुर घाट से जेसीबी मशीन के माध्यम से रेत निकली जा रही है। यहां व्यापक स्तर पर नर्मदा मैया का अंचल छलनी कर मशीनों के द्वारा मनमाने ढंग से रेत निकाली जा रही है। यह चर्चा का विषय बना हुआ है। जब से बारिश रूकी है इसके बाद पुनः उक्त कारोबार शुरू हो गया है। जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई ना करना लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। रेत के अवैध खेल में नीचे से ऊपर तक मिलीभगत होने की व्यापक चर्चाएं चल रही हैं।

बारिश का दौर थमने से फिर होने लगा रेत का कारोबार

15 दिन से लगातार बारिश का दौर चल रहा था। इस कारण नर्मदा तटों पर रेत भारने के लिए ट्रैक्टर ट्राली नहीं पहुंच रहे थी। जैसे ही बारिश का दौर थमा वैसे ही रेत माफियाओ ने अपना कारोबार फिर शुरू कर दिया। क्योंकि बारिश से पूर्व स्टाक करने प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली नर्मदा तट शोकलपुर घाट पर पहुंचने लगे हैं। जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे की नर्मदा तट पर रेत की लूट मची हुई है। इसी का परिणाम है कि नर्मदा तटवर्ती ग्रामों की सरकारी निजी भूमियों पर सड़कों के किनारे रेत के पहाड़ नजर आने लगे हैं। पुलिस, राजस्व और खनिज विभाग को जगह-जगह लगे नर्मदा किनारे रेत के पहाड़ क्यों दिखाई नहीं दे रहे हैं। यह उच्च स्तरीय जांच और प्रभावी कार्रवाई का विषय बना हुआ है।

शोकलपुर घाट पर साल में तीन बार लगता है मेला

इसी घाट पर गुरु महाराज स्वामी की जिंदा समाधि बनी हुई है। इस कारण भी श्रद्धालुओं का आना-जाना प्रति दिन बना रहता है। श्रद्धालु नर्मदा स्नान कर गुरु महाराज स्वामी की समाधि स्थल पर दर्शन करने जाते हैं। परंतु इस समय शोकलपुर घाट पर रेत माफियाओं द्वारा इतने बड़े गड्ढे कर दिए गए हैं जिससे श्रद्धालुओं को स्नान करने में भी परेशानी होने लगी है। वही बारिश के समय नर्मदा स्नान आने वाले श्रद्धालुओं की इन गड्ढों में जान भी चली जाती है। उसके बाद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देता। दूसरी ओर इसी रेत में साल में तीन बार मेला लगता है। उसके बाद भी स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी होने के बाद भी रेत माफियाओं को ना रोकना चर्चा का विषय बना हुआ है। रेत माफियाओ का सूचना तंत्र इतना मजबूत है कि अधिकारियों के आने से पहले ही माफियाओं को अधिकारियों के बारे में पता चल जाता है। कहीं ना कहीं साथनीय प्रशासन भी इसमें अपना हिस्सा इन माफियाओं से ले रहा है इसीलिए तो प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहा यह क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। बार-बार ज्ञापन एवं सूचना देने के बाद भी माफियाओं को कैसे पता चल जाता है कि आज उन पर कार्रवाई होने वाली है, अगर ऐसे में कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो इसकी जवाबदारी कौन लेगा। ऐसे ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अवैध माफिया को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से यह संभव नहीं हो पा रहा है। इससे भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री की छवि कहीं ना कहीं धूमिल जरूर हो रही है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो कुछ ही दिनों में मां नर्मदा का अस्तित्व खत्म हो जाएगा फिर मां नर्मदा की गाथाएं हमको कथा भागवत में सुनने को ही मिलेंगी। अगर अभी हम लोग नहीं जागे तो आगे चलकर हम लोग मां नर्मदा के अस्तित्व को नहीं बचा पाएंगे। प्रशासन को चाहिए कि माफियाओं पर सख्त से सख्त कार्रवाई करके अवैध रेत उत्खनन को रोकना चाहिए।

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