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Thursday, June 3, 2021

रायसेन/देवरी, मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों से किया जा रहा काम, सरकारी योजना मैं किया जा रहा बंदर बाट।

मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों से किया जा रहा काम, सरकारी योजना मैं किया जा रहा बंदर बाट।

रायसेन/देवरी, मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीनों से किया जा रहा काम, सरकारी योजना मैं किया जा रहा बंदर बाट।

घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। उदयपुरा जनपद देवरी क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में मनरेगा मैं मजदूरों की जगह मशीनों से काम किया जा रहा है, जबकि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसको 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया है। शुरू में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहा जाता था लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पूरा नामकरण किया गया। इस योजना को कोरोना काल में शुरू किया गया है जिससे मजदूरों को गांव से बाहर काम पर ना जाना पड़े और इस योजना में मेहनत का आर्थिक लाभ मिल सके, लेकिन इस योजना का लाभ सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक उठा रहे हैं। रायसेन जिले की उदयपुरा विधानसभा की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में मशीनों से काम कर मजदूरों के पेट में लात मारी जा रही है। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्राम पंचायत में कराए जा रहे निर्माण कार्य मशीनों से कराया जा रहे है जबकि कोरोना काल मे मजदूर काम पाने के लिए भटक रहे हैं लेकिन निर्माण एजेंसी और जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के चलते मनरेगा के नियमों को ताक पर रखकर बंदरबांट किया जा रहा है। आदिवासी बहुमूल्य विकासखंड अनेक ग्राम पंचायतों में सड़क, मेड, बंधान निर्माण काम एजेंसी ग्राम पंचायतों के द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों में जेसीबी मशीन का खुलेआम धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। वहीं देवरी क्षेत्र की ग्राम पंचायत आली वाडा, खैरैंटी, कोडा, जमनिया, गोरखपुर, पडरिया सहित कई ग्राम पंचायतों में तालाबों में मजदूरों की जगह मशीनों से काम किया जा रहा है। वहीं मजदूर काम के लिए दर-दर भटक रहे हैं और मजदूरों को खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं कमा पा रहे हैं क्योंकि मजदूरों का हक तो ग्राम पंचायतों के अधिकारियों के द्वारा गोलमाल किया जा रहा है। रायसेन जिले में मनरेगा में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है वही लोग मीडिया के पीछे यही बोलते नजर आते ही मजदूर काम नहीं करना चाहता जबकि मजदूरों को जानकारी नहीं लगती ओर तालाब बनकर तैयार हो जाता है। फर्जी मास्टर मैं मजदूर का नाम चंढाकर राशि का आहरण सरपंच-सचिव करते हैं। जब इस विषय में जिला कलेक्टर उमाशंकर भार्गव से बात की तो उन्होंने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही और टीम गठित कर जांच करवाता हूं।

https://youtu.be/dG851FztKaM

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