लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी। - Ghatak Reporter

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Tuesday, June 15, 2021

लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी।

लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी।


लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी।

रायपुर। खालसा स्कूल पर ट्रैफिक अपनी पूरी रफ्तार पर था, एक बुजुर्ग पीठ पर अपनी पत्नी को लादे लोगों से मदद मांग रहा था। इस जोड़े की हालत देखकर लोग रुककर कुछ रुपए दे रहे थे। दुर्ग की सिकोला बस्ती में ओवर ब्रिज के पास रहने वाले 65 साल के राम प्रवेश हर दिन इसी तरह पत्नी को पीठ पर लादकर निकलते हैं, जिंदगी के हालातों ने इन्हें लोागों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है। राम प्रवेश ने बताया कि साल 1989 में राम प्रवेश और उसकी पत्नी साको देवी यूपी के मथुरा में रहते थे। एक दिन रात के वक्त घर में चोर घुस आए, साको देवी ने चोरों को पकड़ लिया। देसी कट्‌टे से एक बदमाश ने साको पर गोली चला दी। गोली रीढ़ की हड्‌डी को चीरकर सामने सीने से निकल गई। इस हादसे में साको देवी की जान तो बच गई मगर अब वो चल नहीं पातीं। उम्र बढ़ने के साथ अब परेशानी बढ़ गई है, शरीर कमजोर हो गया है, कहीं बैठ गईं तो वहां से उठ भी नहीं सकतीं। पति इन्हें पीठ पर लादकर ही बाहर लेकर जाते हैं।

लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी।

राम प्रवेश ने महासमुंद और दुर्ग के FCI के गोदामों में मजदूरी की है। लॉकडाउन से पहले कोसीकला के गोदाम में बोरियां ढोने का काम करते थे। पिछले एक साल से इन्हें काम से निकाल दिया गया। अब दो वक्त की रोटी का कोई बंदोबस्त नहीं है। एक बेटा है मगर वो मानसिक रूप से विकलांग है। उसके इलाज का बोझ भी राम प्रवेश के बूढ़े कंधों पर है। काम नहीं है मगर मुश्किलें हर दिन बढ़ रही हैं। पत्नी की हालत दिन ब दिन खराब हो रही है। उसे पीठ पर लादकर रायपुर आते हैं यहां सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर से मिलते हैं, भीख में मिले चंद रुपयों से खाने की चीजें और दवा लेकर ट्रेन से दुर्ग लौट जाते हैं।

लॉकडाउन में काम जाने से मजबूर मजदूर अपाहिज पत्नी को पीठ पर लादकर भिक्षा मांगने को मजबूर, बदमाशों की गोली से अपाहिज हुई थी पत्नी।

राम प्रवेश ने बताया कि बेटा मेरा बीमार रहता है, पत्नी उठ नहीं पाती। चलना तो दूर, उसे टॉयलेट जाना हो तो मैं गोद में लेकर जाता हूं। मेरा शरीर और सांस जब तक चल रही हैं, इसी तरह उसकी जरूरतों को पूरा करता रहूंगा। ये सब झेलता रहूंगा, क्या करूं काम भी नहीं है, पैसों की जरूरत है। महासमुंद के एक डॉक्टर से मैंने बात की थी तो 50 हजार रुपए का खर्च बताया। अब इतने रुपए कहां से लाऊं। कुछ दिन पहले पत्नी बेहोश हो गई थी ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने के 600 रुपए लगे ये पैसे भी उधार लेकर दिए थे, हम चाहते हैं कि सरकार हमारी कोई आर्थिक मदद कर दे।

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