रायसेन/देवरी, आंगनवाड़ी केंद्रों पर अभी तक उपलब्ध नहीं हुई स्वास्थ किट; वायरल फीवर, सदीं-जुकाम, उल्टी, पेट दर्द जैसी बीमारियों से कैसे होगी सुरक्षा। - Ghatak Reporter

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Tuesday, September 7, 2021

रायसेन/देवरी, आंगनवाड़ी केंद्रों पर अभी तक उपलब्ध नहीं हुई स्वास्थ किट; वायरल फीवर, सदीं-जुकाम, उल्टी, पेट दर्द जैसी बीमारियों से कैसे होगी सुरक्षा।

आंगनवाड़ी केंद्रों पर अभी तक उपलब्ध नहीं हुई स्वास्थ किट; वायरल फीवर, सदीं-जुकाम, उल्टी, पेट दर्द जैसी बीमारियों से कैसे होगी सुरक्षा।

  • सुपरवाइजर ने कहा - यदि बच्चों को उल्टी-दस्त होते हैं तो उसकी जवाबदारी आशा कार्यकर्ता की है, हमारी आंगनवाड़ी कि नहीं।

रायसेन/देवरी, आंगनवाड़ी केंद्रों पर अभी तक उपलब्ध नहीं हुई स्वास्थ किट; वायरल फीवर, सदीं-जुकाम, उल्टी, पेट दर्द जैसी बीमारियों से कैसे होगी सुरक्षा।

घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। इस साल किसी भी आंगनवाड़ी केंद्रों पर स्वास्थ्य किट नहीं है। प्रत्येक साल आंगनवाड़ी केंद्रों पर बारिश से पहले स्वास्थ्य किट रख दिए जाते थे। इससे जरूरत पड़ने पर बुखार, पेट दर्द, उल्टी, दस्त की दवा ग्रामीणों को उपलब्ध कराई जा सकें। इस साल बारिश के चलते ठंडक और गर्मी का वातावरण बना हुआ है। इससे गांव में वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, उल्टी, पेट दर्द जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। उनको प्राथमिक उपचार नहीं मिल पा रहा है। उपचार के अभाव में गरीब ग्रामीण को परेशान होना पड़ रहा है। ग्रामीणों को उपचार के लिए या तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचना पड़ रहा है। जो ग्रामीण अस्पताल नहीं जा पा रहे वह नीम हकीमों से अपना उपचार करा रहे हैं।

यह रहता था स्वास्थ्य किट में

आंगनबाड़ी केंद्रों पर रखे जाने वाली स्वास्थ्य किट में बुखार, मलेरिया, पेट दर्द, उल्टी, दस्त की गोलियां रहती हैं। जीवन रक्षक ओआरएस के पैकेट रहते हैं। गोलियों के अलग-अलग पैकेट रहते हैं। पैकेटों पर लिखा रहता है कि कौन से पैकेट की गोली किस मरीज को देना है। आंगनवाड़ी पर कार्यकर्ता उसी मर्ज के अनुसार दवा मरीज को दे देती है। इससे मरीज को इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार मिल जाता था। उसकी अस्पताल पहुंचने की राह आसान हो जाती है। किट में कौन सी दवा है, किस मर्ज पर देना है उसका प्रशिक्षण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को दिया जाता है। 

इसलिए की है व्यवस्था

यह व्यवस्था इसलिए की जाती है कि भारी बारिश के दौरान रास्ते बंद होने या इमरजेंसी पड़ने पर मरीज को प्राथमिक उपचार मिल सके। इससे उसकी हालत ज्यादा ना बिगड़ पाए। इससे उसे सुरक्षित उपचार केंद्र तक पहुंचाया जा सके। बारिश के दौरान पहले कई घटनाएं हो चुकी हैं। रास्ते बंद होने या फिर आपातकालीन समय में पीड़ित को प्राथमिक उपचार दिया जा सके। इससे वहां अस्पताल तक सुरक्षित पहुंच सके।

मौसमी बीमारियां तेज

कोरोना संक्रमण जैसे ही कम हुआ। अब वायरल फीवर सर्दी-जुकाम-बुखार तेजी से फैल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रात के समय डॉक्टर भी नहीं मिलते। ऐसे में ग्रामीण को रात में बुखार-दस्त-उल्टी की शिकायत होने पर आंगनवाड़ी केंद्र पर दवा नहीं मिल रही। इससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोई इलाज की व्यवस्था नहीं है। यदि रात के समय किसी को उल्टी दस्त होती हैं तो आंगनवाड़ी केंद्रों पर स्वास्थ किट भी नहीं होने से और ज्यादा परेशानी बढ़ जाती है।

इनका कहना है...

अभी तक हमारे पांजरा सेक्टर में कोई मेडिसन आया ही नहीं है। न अभी तक हमने कोई मांग की गई है। बिना मांगे ही मेडिसन मिल जाता था। अब गांव में उल्टी, दस्त आदि की समस्या आती है तो उसकी जवाबदारी आशा कार्यकर्ता की है, हमारी आंगनबाड़ी की नहीं।
चंद्रकला चक्रवर्ती, सुपरवाइजर, पांजरा सेक्टर

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