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Thursday, March 24, 2022

रायसेन, युवा किसान नेताओ ने दी भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को शहादत।

युवा किसान नेताओ ने दी भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को शहादत।

रायसेन, युवा किसान नेताओ ने दी भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को शहादत।

घातक रिपोर्टर, राकेश,दुबे, रायसेन।
रायसेन। कस्बा में युवाओं ने शहीद दिवस के उपलक्ष में 23 मार्च को राजगुरु, सुखदेव तथा शहीदे भगत सिंह की सहादत पर दीप प्रज्वलित करें और गुलाल लगाकर शहीदों को अमरता प्रदान की। इसी समय पर सुल्तानगंज कस्बे के समस्त युवा मौजूद रहे जिनमें रामपाल परिहार, यशपाल सिंह राजपूत, कुलदीप सिंह, नीलेश घाना, जयप्रताप परमार, शिवांशवन गोस्वामी, अमन गोस्वामी सहित क्षेत्र के बड़ी संख्या में युवा मौजूद रहे। कार्यक्रम युवा किसान नेता सत्येंद्र सिंह राजपूत की अध्यक्षता में किया गया। सत्येंद्र राजपूत ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज से करीबन 90 साल पहले भारत के महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक भगत सिंह को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दी गई। उनके इस जज्बे को देखते हुए कई लोगों ने क्रांतिकारी मार्ग को अपनाया। 23 साल की युवा उम्र में ही भगत सिंह ने मां भारती की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस

भारत की आजादी के पीछे स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत संघर्ष किया है। भारत की आजादी की लड़ाई में अहम योगदान निभाने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आज ही के दिन यानी 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी, जिसके बाद देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते उन्होंने अपने प्राण देश पर न्योछावर कर दिए थे। देश के बहादुर क्रांतिकारियों और महान सपूतों द्वारा दिए गए बलिदान की याद में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। बताया जाता है कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने महात्मा गांधी से अलग रास्ते पर चलते हुए अंग्रेजों से लड़ाई शुरू की थी। भारत के इन तीन सपूतों ने बहुत कम उम्र में देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। इस दिन का मकसद वीरता के साथ लड़ने वाले सेनानियों की वीर गाथाओं को लोगों के बीच लाना है। इनकी याद में और इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आज का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। सतेन्द्र सिंह ने बताया जैसा कि किताबो मे पढा है कि 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन के विरोध के दौरान लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्काट के आदेश पर लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह घायल हो गये थे 17 नवंबर 1928 को इसी चोट के कारण बलिदान हो गये उनकी मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह सुखदेव राजगुरु एवं साथियों ने लाहौर के पुलिस अधिकारी जान सांडर्स की हत्या कर दी जिस ने लाठीचार्ज किया था । इस घटना के उपरांत सभी साथियों ने लाहौर शहर छोड़ दिया राजगुरु 30 सितंबर 1929 को पुणे से पकड़ लिए गए और उनके ऊपर मुकदमे में भारतीय दंड संहिता की सेक्शन 131, 302  के तहत इन्हें भगत सिंह एवं सुखदेव जी के साथ  23 मार्च 1931 को फांसी दी गई।

जेब में रखते थे डिक्शनरी और किताब

भगत सिंह के बारे में बताया जाता है कि वह अपनी एक जेब में डिक्शनरी और दूसरी में किताब रखते थे, उनके दिमाग में किताबी कीड़ा था।

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