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Thursday, April 28, 2022

रायसेन/बाड़ी, माता-पिता और भाई को खो चुका मासूम रेडक्रास में लड़ रहा अपनी जिंदगी की जंग।

माता-पिता और भाई को खो चुका मासूम रेडक्रास में लड़ रहा अपनी जिंदगी की जंग।

रायसेन/बाड़ी, माता-पिता और भाई को खो चुका मासूम रेडक्रास में लड़ रहा अपनी जिंदगी की जंग।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन। 10 साल का मासूम कार्तिक सोनी, भोपाल के सिद्धांता रेडक्रॉस अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है। होश में आते ही उसकी आंखें अपनों को खोजती रही। मासूम मम्मी, पापा और भैय्या को खोजता रहा लेकिन आसपास कोई अपना नजर नहीं आया, दिखते हैं तो सिर्फ नर्स और डॉक्टर। आपको बता दे, रायसेन में रहने वाले मासूम के पिता जितेंद्र सोनी ने सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात दोनों बेटों और पत्नी को जहर देने के बाद उनका गला घोंट दिया था, फिर खुद भी मौत को गले लगा लिया। इस दौरान छोटा बेटा कार्तिक बच गया, जो अस्पताल में भर्ती है। कार्तिक को बाड़ी अस्पताल से इमरजेंसी में हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया था। मासूम के दादा, उसे भोपाल फ्रेक्चर हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां नाकाफी इंतजाम होने के कारण एक घंटे बाद ही छुट्‌टी करा ली। फिर दादा वहां से उसे प्रोफेसर कॉलोनी स्थित बॉम्बे चिल्ड्रन हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। यहां अस्पताल में बेड खाली नहीं थे। इसके चलते डॉक्टर्स की सलाह पर मासूम को सिद्धांता रेडक्रास हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।


कार्तिक की देखरेख कर रहे रोहित सोनी के मुताबिक सुबह जब मासूम को अस्पताल में भर्ती कराया था। तब उसका चेहरे का रंग नीला पड़ गया था। इलाज शुरू होने के बाद अब चेहरे का रंग सामान्य होना शुरू हुआ है। जानकारी के मुताबिक, बच्चे की हालत स्थिर है, ICU में डॉक्टर्स की टीम बच्चे की सेहत में हो रहे बदलावों की लगातार निगरानी कर रही हैं। शाम से बच्चे को 20-30 मिनट के अंतर से होश आना शुरू हुआ है।



ज्ञात हो, रायसेन के सराफा व्यापारी जितेंद्र सोनी आर्थिक तंगी से इतना परेशान हो गया कि उसने परिवार सहित जीवन का अंत करने की ठान ली। जितेंद्र के दोनों बच्चे वैष्णव और कार्तिक दादा-दादी के पास सोते थे, लेकिन घटना वाले दिन जितेंद्र दोनों को अपने कमरे में ले गया। देर रात उसने पत्नी रिंकी और दोनों बच्चों को पहले जहर दिया, फिर गला घोंट दिया। बाद में खुद भी फांसी लगा ली। रिंकी और बड़े बेटे वैष्णव और जितेंद्र की मौत हो गई, जबकि छोटा बेटा कार्तिक बच गया है। भोपाल में उसका इलाज चल रहा है।

जितेंद्र ने सुसाइट नोट में लिखा की 'मैं पत्नी-बच्चों से बहुत प्यार करता हूं। उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकता। व्यापार ठीक नहीं चल रहा है और काफी घाटा पड़ रहा है। इसको सहन करना मेरे बस से बाहर हो रहा है, इसलिए मुझे यह कदम उठाना पड़ रहा है, इसके लिए मैं स्वयं जिम्मेदार हूं।' मृतक के दोस्त के मुताबिक, जितेंद्र के परिवार की सात एकड़ जमीन का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। यह जमीन प्रशासन के पास है, जिससे वापस पाने के लिए यह परिवार लंबे समय से संघर्ष कर रहा है।

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