रायसेन, मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा। - Ghatak Reporter

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Wednesday, April 6, 2022

रायसेन, मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा।

मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा।

  • दशहरे मैदान के शिवकथा पंडाल में चौथे रोज श्रद्धालुओं की संख्या पहुंची डेढ़ लाख के पार।

रायसेन, मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन। मेरा जटाधारी त्रिशूल धर्ता डमरू वाले भोला शंकर कण कण में समाहित है। नर्मदा नदी के हर पत्थर में महादेव का वास है।भोले शंकर औघड़दानी का जो भी भक्त सच्चे मन से नाम जप भक्ति भजन कीर्तन और समर्पण और और स्मरण करने से व्यक्ति के जीवन का उद्धार हो जाता है। यह विचार विश्व विख्यात शिव महापुराण कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा कुबरेश्वर धाम सीहोर ने बुधवार को संगीतमयी शिव कथा के चौथे दिन व्यक्त किए।

रायसेन, मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा।

बुधवार को कथा के मुख्य जजमान नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ एसी अग्रवाल उनकी धर्मपत्नी, प्रवीण मिश्रा उनकी धर्मपत्नी, दिनेश अग्रवाल उनकी धर्मपत्नी, राजेन्द्र राजू सक्सेना उनकी धर्मपत्नी, बंटी माहेश्वरी उनकी धर्मपत्नी, मुकेश राठी उनकी धर्मपत्नी बनीं। कथा का सफल संचालन आशीष वर्मा ने किया। उन्होंने आगे कहा मनुष्य का प्रथम सुख निरोगी काया होना चाहिए। अगर किसी के परिवार कुटुंब कबीले में कोई सदस्य बीमार पड़ जाए तो हरेक सदस्य को चिंता हो उठती है।

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निरोगी काया रखने के लिए शंभू भोले नाथ शिव शक्ति से नाता जोड़कर भजन कीर्तन आराधना से जुड़कर भक्त बम भोला भंडारी के शिवलिंग पर मन्दिर पहुंचकर एक लौटा जल बीलपत्र और अक्षत अकौआ धतूरा ॐ नमः शिवाय स्मरण कर समर्पित करें और सूर्यदेव को भी लौटे में भरे जल से अर्ध्य दें तो सब रोग दूर हो जाते हैं।इससे व्यक्ति को कभी हार्ट अटैक नहीं होता और शुगर हाई ब्लड प्रेशर से मुक्ति मिलती है।

रायसेन, मेरा जटाधारी भोला शंकर कण-कण में समाया है - पण्डित प्रदीप मिश्रा।

पंडित मिश्रा ने शिवकथा को ऊचाईयां देते हुए कहा कि भगवान शंकर का मूल आधार भजन सत्संग है।वनवास के समय भगवान प्रभु श्रीराम लक्ष्मण सीता माता की खोज करते हुए भीलनी शबरी के कुटी में पहुंचे। तब भीलनी शबरी ने श्रीराम को कुटी की ओर आते देख उसने भाव से देखा कि मेरा पति मेरे पास आ रहा है।

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इस दौरान प्रभु श्री राम ने इस प्रसंग में शबरी को माता नहीं कहा। श्री राम ने कहा कि शबरी का भजन सत्संग ज्ञान का दूर दूर तक नाता नहीं रहा। तब प्रभु श्री राम ने अगले जन्म में भीलनी शबरी को अवतार लेकर कृष्ण भगवान ने सत्यभामा के रूप में पत्नी बनाया था।

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जो भी व्यक्ति शिव, राम कथा, भागवत कथा पूरे मनोयोग से सुनता है उसे जीने मरने दिनचर्या व्यवहार शिवकथा और रामकथा आदर्श संस्कार त्याग समर्पण सिखाती है। संयुक्त परिवार में कभी मनमुटाव का वातावरण निर्मित नहीं होना चाहिए।घर में रौनक हंसी खुशी का माहौल बना रहे ऐसे प्रयास बने रहने चाहिए। वासुदेव कुटुंबकम के सिद्धांत पर परिवारों को सुख दुख में मिलजुलकर रहने की सीख लेना चाहिए।

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गुरुकुल आश्रम व्यस्था सदियों पुरानी है।यहां ब्राम्हण, क्षत्रिय शूद्र वर्ण व्यवस्था के आधार पर शिक्षा संस्कृति ज्ञान शस्त्र चालन आदि गुरुकुल में गुरु किशोरावस्था में सिखाते थे।नारद, बराह, विष्णु पुराण शिव पुराण नृसिंह अवतार में गुरुकुल आश्रम का उल्लेख है।

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