रायसेन/बरेली, मन क्रम वचन से जो मेरा ध्यान करता है मैं उनके हृदय में रहता करता हूं - ब्रह्मचारी जी। - Ghatak Reporter

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Friday, April 8, 2022

रायसेन/बरेली, मन क्रम वचन से जो मेरा ध्यान करता है मैं उनके हृदय में रहता करता हूं - ब्रह्मचारी जी।

मन क्रम वचन से जो मेरा ध्यान करता है मैं उनके हृदय में रहता करता हूं - ब्रह्मचारी जी।

रायसेन/बरेली, मन क्रम वचन से जो मेरा ध्यान करता है मैं उनके हृदय में रहता करता हूं - ब्रह्मचारी जी।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। छींद मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीराम महायज्ञ एवं श्री वाल्मीकि रामायण के छठवें दिन कथावाचक ब्रह्मचारी जी धर्म और मोक्ष से संबंधित कथा का रसपान कराते हुए श्रोताओं को बताते हैं कि काम और अर्थ यह पूर्व जन्म के ऊपर आधारित है। तुमको कितना सब लोग मिलना है और दुख भोग मिलना है यह पिछले जन्म के कर्मों पर आधारित है। यह पूर्व जन्म से पहले ही निश्चित हो चुका है। पूर्व जन्म के कर्मों को भोगने के लिए अवतरित पुरुष भी नहीं बच पाए तो हम और आप कैसे बच सकते हैं।


ब्रह्मचारी जी कहते हैं कि भगवान मैं बैराग्य बताया, ज्ञान बताया और भक्ति बताई, इन तीनों गुणों का जो त्याग कर दे वही बैराग्य है। ज्ञान बैराग्य रूपी घड़े में प्रकट होता है। बिना बैराग्य आए ज्ञान प्रकट होता नहीं है। किंतु भक्ति ज्ञान बैराग्य में यदि कोई श्रेष्ठ है तो भक्ति श्रेष्ठ है। भक्ति स्वतंत्र है और भक्ति के आधीन ज्ञान भी है और भक्ति के आधीन विज्ञान भी है, भक्ति अनुपम है, भक्ति से परमात्मा वशीभूत हो जाते हैं, शीघ्र परमात्मा आत्मा पर कृपा करने लगते हैं।


कृपा तो निरंतर बरस रही है, भक्ति के कारण भगवान जो है प्रकट हो जाते हैं और भक्ति में सबसे पहले ब्राह्मणों की चरणों की भक्ति करना साधु महात्माओं की भक्ति करना यहां से भक्ति का आरंभ होता है और गुरु की सेवा, पिता की सेवा, मां की सेवा इस सेवा के द्वारा धीरे-धीरे भक्ति बढ़ती है। भगवान नाम संकीर्तन से हृदय गदगद हो जाता है। भगवान कहते हैं मन कर्म वचन से निरंतर जो मेरा ही भजन करते हैं निष्काम भाव से उनके हृदय में मैं अपना डेरा बना लेता हूं। मन क्रम वचन वाणी भी भगवान में लग जाए और मन कर्म भी भगवान में लग जाए। कथा के छठवें दिन पूर्व विधायक राजपूत की उपस्थिति कथा पंडाल में रही। कथा की समाप्ति पर मंदिर अध्यक्ष कृष्ण कुमार रघुवंशी ने परिवार के साथ ब्रह्मचारी जी का पूजन कर उनसे आशीर्वाद लिया।

रायसेन/बरेली, मन क्रम वचन से जो मेरा ध्यान करता है मैं उनके हृदय में रहता करता हूं - ब्रह्मचारी जी।

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