प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर। - Ghatak Reporter

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Tuesday, May 10, 2022

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

  • मास्टर ने बच्चों को कलम की जगह थमाई झाड़ू, बच्चों से प्रतिदिन लगवाई जाती झाड़ू।

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

घातक रिपोर्टर, शिवेंद्र सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश।
औरैया। जिन बच्चों के हाथ में किताबें होनी चाहिए उन्हें स्कूल के मास्टर झाड़ू थमा देते हैं। प्रशासन की छवि को बट्टा लगाने पर सरकारी मास्टर तुले हुए हैं। अध्यापक बच्चों को आदेशित कर अपनी साइकिल में हवा भी भरवाते हैं। ऐसा ही वाकया सोमवार को विकासखंड क्षेत्र के ग्राम जैतपुर क्षेत्र उच्च प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिला जहां पर मास्टर द्वारा बच्चों से झाड़ू लगवाई जा रही है।

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

इतना ही नहीं मास्टर साहब गहन निद्रा में कुर्सी पर विराजमान है। वहीं एक अन्य शिक्षक द्वारा बच्चों को झाड़ू लगाने के लिए कहा जा रहा है। विकासखंड क्षेत्र के ग्राम जैतपुर स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक मोटी तनख्वाह पाते हैं, इसके बावजूद वह अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करते हैं। सोमवार को उपरोक्त स्कूल के बच्चों से झाड़ू लगवाई जा रही है। इस आशय का वीडियो वायरल हुआ है। इतना ही नहीं मास्टर साहब बच्चों से अपनी साइकिल में पंप से हवा भी भरवाते हैं।

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

मास्टर अपनी कर्तव्य का निर्वहन नहीं करते हुए पढ़ाना तो दूर की बात है बल्कि बच्चों के हाथ में साफ-सफाई के लिए झाड़ू थमा देते हैं जिससे बच्चों के मन-मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव पड़ता है। कुछ ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विद्यालय के अध्यापक द्वारा बच्चों से झाड़ू लगाने का काम प्रतिदिन कराया जाता है। इसी के चलते सरकारी विद्यालयों में छात्रों की संख्या नहीं बढ़ती है। विसंगतियों के चलते जब छात्र विद्यालय छोड़कर किसी दूसरे विद्यालय में प्रवेश ले लेते हैं और वह विद्यालय के प्रधानाचार्य से अपनी टीसी मांगते हैं तो वह टीसी देने से इंकार कर देते हैं।

प्रशासन को बदनाम करने में जुटे सरकारी स्कूल के मास्टर, ड्यूटी की बजाय अक्सर सोते मिलते उच्च प्राथमिक विद्यालय के मास्टर।

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