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Sunday, August 7, 2022

रायसेन/मंडीदीप, नजरें मिशन-2023 पर होने के कारण नपा अध्यक्ष के चयन में उलझी भाजपा, लगातार जारी है बैठकों का दौर।

नजरें मिशन-2023 पर होने के कारण नपा अध्यक्ष के चयन में उलझी भाजपा, लगातार जारी है बैठकों का दौर।

रायसेन/मंडीदीप, नजरें मिशन-2023 पर होने के कारण नपा अध्यक्ष के चयन में उलझी भाजपा, लगातार जारी है बैठकों का दौर।

घातक रिपोर्टर, दीपांशु सिंह जादौन, रायसेन/मंडीदीप।
मंडीदीप। नगर पालिका में 26 में से 19 पार्षद जीतने के बाद जश्न के माहौल में डूबे भाजपा संगठन के लिए नपा अध्यक्ष का चयन उलझन का विषय बन गया है। इसकी वजह 19 में से 5 पार्षदों द्वारा सीधे और खुले तौर पर अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करना है। इसके लिए वे भोपाल पहुंचकर वरिष्ठ नेताओं के दरबारों में रोजाना हाजिरी लगा रहे हैं। नेताओं द्वारा सभी को मौखिक आश्वासन देने के चलते सभी का जोश भी बढ़ा हुआ है। भाजपा संगठन चाहता है कि किसी ऐसे चेहरे या जाति वर्ग के पार्षद को अध्यक्ष चुना जाए जिसका फायदा पार्टी को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मिले। इसी को ध्यान में रखते हुए संगठन ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कुछ दावेदारों की कमजोरी और शिकायतें भी संगठन के पास पहुंचने से उनकी दावेदारी प्रभावित हुई है। ऐसे में संगठन किसी ऐसे चेहरे पर भी दांव लगा सकता है, जिससे सभी चौक जाएं। उधर, ओबीसी वर्ग से आने वाले पार्षद भी अपनी दावेदारी मजबूती से रख रहे हैं। वही सामान्य वर्ग के नेताओं के समर्थकों का तर्क है कि जब पद अनारक्षित है तो हमें मौका क्यों नहीं? इस बार की दावेदारी में विभिन्न पार्षद भी जातिगत प्रभाव दिखाने के लिए अपने समाज के वरिष्ठों के माध्यम से पार्टी के बड़े नेताओं तक संदेश भिजवाने में लगे हैं।

सामने आई संगठन की लाचारी

कशमकश के बीच नगर पालिका चुनाव संपन्न हुए। परिणाम आने के 19 दिन हो चुके परंतु परिषद का अध्यक्ष कौन बनेगा यह विषय नगर में गर्मा-गर्मी के बीच उबल रहा है। नगर में भाजपा संगठन की लाचारी देखने को मिल रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 19 पार्षदों के साथ पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी अब तक अध्यक्ष का निर्णय नहीं कर सका। इससे न केवल पदाधिकारियों की लाचारी उजागर हो रही है, बल्कि उनकी कार्य पद्धति पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। वही विधायक सुरेंद्र पटवा भी कशमकश वाली स्थिति में फंसे हुए हैं। अगले साल होने वाले विस चुनाव को देखते हुए वे किसी एक को उपकृत कर अन्य दावेदारों को नाराज करने के मूड में नहीं है।

पार्षदों ने पार्टी पर छोड़ा फैसला

पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी संगठन पार्षदों में असंतोष फैलने को लेकर डरा हुआ है। पार्षदों की पसंद का ही अध्यक्ष बने इसके लिए भले ही पार्टी ने पार्षदों की राय जानने के लिए रायशुमारी कराई लेकिन पार्षदों के मन में भय था, रायशुमारी मे किसका पक्ष रखे। गोपनीयता भंग हुई तो इसका परिणाम 5 साल भुगतना पड़ेगा। इसी कारण सभी ने संगठन और विधायक के पाले में ही गेंद डाल दी।

हो सकता है चौंकाने वाला फैसला

नए युग की मोदी भाजपा सरकार चौकानेवाले फैसलों के लिए जानी जाती है। ऐसा ही कुछ मंडीदीप नपा अध्यक्ष के मामले में भी होने की संभावनाएं जताई जा रही है। मुख्य रूप से अध्यक्ष के लिए प्रियंका अग्रवाल और उषा भार्गव का नाम चर्चा में चल रहा है। लेकिन ऐसे भी कयास लगाए जा रहे है कि नगर में गुटबाजी व वरिष्ठ पार्टी के नेताओं की अंतर्कलह को समाप्त करने के लिए किसी नए चेहरे को भी नगर सरकार मुखिया की कमान सौंपकर सबको चौंकाया जा सकता है।

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