रायसेन/बरेली, राजगुरु के समझाने के बाद राजा दशरथ ने राम को विश्वामित्र के हाथों सौंप दिया, विधायक पहुंचे कथा श्रवण करने। - Ghatak Reporter

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Saturday, March 18, 2023

रायसेन/बरेली, राजगुरु के समझाने के बाद राजा दशरथ ने राम को विश्वामित्र के हाथों सौंप दिया, विधायक पहुंचे कथा श्रवण करने।

राजगुरु के समझाने के बाद राजा दशरथ ने राम को विश्वामित्र के हाथों सौंप दिया, विधायक पहुंचे कथा श्रवण करने।

रायसेन/बरेली, राजगुरु के समझाने के बाद राजा दशरथ ने राम को विश्वामित्र के हाथों सौंप दिया, विधायक पहुंचे कथा श्रवण करने।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। स्थानीय नरसिंह टेकरी पर आयोजित रामकथा महोत्सव में जहां क्षेत्र से कथा का रसपान करने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वहीं आसपास के ग्रामीण अंचलों से भी श्रद्धालुओं का कथा स्थल पर पहुंचना प्रतिदिन बना हुआ है। रामकथा के चौथे दिवस राम कथा प्रारंभ होने से पूर्व क्षेत्रीय विधायक देवेंद्र सिंह पटेल की उपस्थिति कथा पांडाल में रही। उन्होंने ब्रह्मचारी जी से आशीर्वाद लेकर कथा श्रवण का लाभ उठाया। कथा पंडाल में कथा श्रवण करने पहुंचे श्रोताओं को कथावाचक श्री विष्णु दत्त जी शास्त्री ने भगवान श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि महर्षि विश्वामित्र के आने की सूचना मिलते ही राजा दशरथ सिंहासन छोड़कर उनके स्वागत के लिए आगे बढ़े और उन्हें उचित आसान पर बैठाया। विश्वामित्र बोले कि राक्षस राज रावण के दो अनुचर मारीच व सुबाहु हमें यज्ञ नहीं करने देते। यज्ञ की रक्षा के लिए आपके वीर पुत्र राम को मांगने आए है। इतना सुनते ही राजा दशरथ के प्राण सूख गए। आगे जब राजगुरु वशिष्ठ ने राजा को समझाया, तब राजा दशरथ ने राम को विश्वामित्र के हाथ सौंप दिया। लक्ष्मण भी बड़े भाई के साथ चल दिए। ताड़का को राम ने उसे चारों ओर से वाणों से घेर कर उसके हृदय में ऐसा तीक्ष्ण बाण मारा कि वह गिर पड़ी। विश्वामित्र ने राम को गले से लगा लिया। प्रसन्न होकर ऋषि ने दंडचक्र, कालचक्र, ब्रह्मास्त्र आदि अनेक दिव्यास्त्र राम को दिए। विश्वामित्र ने उसी दिन यज्ञ आरंभ कर दिया। पांच दिन तक यज्ञ निर्विघ्न चलता रहा। छठे दिन आकाश में घोर गर्जना सुनाई पड़ी। देखते-देखते काले बादल जैसे दो विशालकाय राक्षस वहां आ पहुंचे। एक ताड़का का पुत्र मारीच और दूसरा उसका साथी सुबाहु था। श्रीराम ने मारीच पर मानवास्त्र चलाया। उसके आघात से वह मूिर्च्छत हो गया और बहुत दूर समुद्र के पास जा गिरा। जब उसे होश आया तो वह दक्षिण की ओर भाग गया। सुबाहु को श्रीराम ने आग्नेयास्त्र से मार डाला। विश्वामित्र का यज्ञ निर्विघ्न समाप्त हो गया। जब राम ने विश्वामित्र से पूछा कि अब आगे क्या आज्ञा है, विश्वामित्र ने कहा वत्स मिथिला के राजा जनक के यहां बहुत बड़ा यज्ञ हो रहा है। वहां हमलोग को जाना है।

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