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Tuesday, August 1, 2023

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तेजी से फैल रहा आई फ्लू का प्रकोप, अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार हो रहा इजाफा।
तेजी से फैल रहा आई फ्लू का प्रकोप, अस्पतालों में मरीजों की संख्या में लगातार हो रहा इजाफा।
घातक रिपोर्टर, शिवेंद्र सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश।
औरैया। इस समय आईफ्लू बीमारी का प्रकोप फैला हुआ है। जिला अस्पताल में आने वाले अधिकतर मरीज आईफ्लू से ग्रसित आ रहे हैं। प्रदेश सरकार भी आईफ्लू से बचने के लिए लगातार एडवाइजरी जारी कर रही है। आईफ्लू के प्रकोप से बच्चों से लेकर बूढ़े तक हर कोई ग्रसित है। शहर के प्रार्थना नर्सिंग होम में बैठने वाले नेत्र परीक्षण कर्ता आदित्य कुमार वर्मा ने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस अथवा आई फ्लू आंखों को प्रभावित करने वाला एक जीवाणु अथवा विषाणु जनित संक्रमण है। जिसे रेड आई अथवा पिंक आई के नाम से भी पुकारा जाता है, क्योंकि इस स्थिति में आंखों का रंग लाल अथवा गुलाबी हो जाता है। वर्तमान परिस्थितियों में बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के कारण आई फ्लू के केसेज अधिक संख्या में सूचित हो रहे हैं। कंजक्टिवाइटिस का रोग 3-4 दिन तक प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कंजकिक्टवाइटिस के लक्षण बताते हुए कहा है कि आईफ्लू होने पर आंखों के सफेद भाग का गुलाबी अथवा लाल हो जाना। आंखो में दर्द के साथ स्राव (मवाद आना)। रुक-रुक कर सिरदर्द होना। आंखो में खुजली। आंखो की पलकों अथवा भौहों के ऊपर पपड़ी का बनना अथवा आंखों की पलकों का चिपकना। पलकों के किनारों में सूजन। बच्चो में आंखों से संबंधित लक्षणों के साथ बुखार का लक्षण भी प्रकट हो सकता है।
हाथ को बार-बार करें साफ
उन्होंने आईफ्लू के बचाव के विषय में कहा कि इससे बचने के लिए हाथों को बार-बार साबुन तथा पानी से साफ करें। अपनी आंखो और चेहरे को साफ करने के लिए स्वच्छ टिशु पेपर अथवा तौलिये का प्रयोग करें और प्रयोग के उपरान्त उनका उचित प्रकार से निस्तारण करें। संक्रमित आंख को छूने के उपरान्त हाथों को अच्छी तरीके से साफ करना सुनिश्चित करें और आंखों को साफ करने के लिए प्रयोग की गई सामग्री यथा गौज अथवा रुई को प्रयोग करने के उपरान्त उचित प्रकार से निस्तारित करें। नियमित रूप से प्रयोग किए जाने वाले चश्मे को भली भांति साफ करें।
सनग्लासेज का करें प्रयोग
संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए (यदि उपलब्ध हो तो) सनग्लासेज (गहरे रंग के चश्मे का प्रयोग करें। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का प्रयोग करें। यदि आंखो में लालिमा है अथवा आंखों से पास किसी प्रकार का स्राव हो रहा है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। पर्याप्त अवधि तक विश्राम करें। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बचाव में किन किन बातों की सावधानियां रखनी चाहिए। कहा कि आंखो को बार-बार न छुएं। सूरज की सीधी धूप तथा धूल-मिट्टी इत्यादि से दूर रहें। घरेलू नुस्खों अथवा अप्रशिक्षित डॉक्टर की सलाह का प्रयोग ना करें।
संक्रमित के छुए सामान का प्रयोग न करें
संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए जा रहे आई- ड्रॉप, टिशू पेपर, आंखो के मेकअप की सामग्री, तौलिए, तकिए के कवर इत्यादि का प्रयोग न करें। स्विमिंग पूल, तालाब इत्यादि का प्रयोग न करें। आंखो की देखभाल में प्रयोग होने वाली किसी व्यक्तिगत सामग्री को अन्य व्यक्तियों के साथ साझा न करें। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंसेस का प्रयोग करते हैं तो संक्रमण की अवधि तक इनका प्रयोग रोक दें और डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही कॉन्टैक्ट लेंसेज को पुनः प्रयोग करना प्रारंभ करें।
आंखों को बार-बार रगड़ें नहीं
चिकित्सक की सलाह के बिना किसी प्रकार की आई ड्रॉप्स अथवा औषधि का प्रयोग ना करें। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से यथासंभव बचें। उपचार के विषय में कहा कि कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखो को साफ करने के लिए आई वाइप्स का प्रयोग करें।आँखों को बार बार न छुएं, आंखों को रगड़ें नहीं। नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में चिकित्सक की सलाह के अनुसार उपचार करें। चिकित्सक द्वारा बताई गई पूर्ण अवधि के लिए आई ड्राप्स तथा औषधि का प्रयोग करें। यथासंभव स्वयं को आइसोलेशन में रखें तथा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। दृष्टि के धुंधला होने की स्थिति में तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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