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Saturday, August 5, 2023

जो दिख रही है खून पसीने की चमक है, पत्थर की चमक है ना नगीने की चमक है, श्रीवास्तव की पंक्ति पर झूमे श्रोता।

जो दिख रही है खून पसीने की चमक है, पत्थर की चमक है ना नगीने की चमक है, श्रीवास्तव की पंक्ति पर झूमे श्रोता।

जो दिख रही है खून पसीने की चमक है, पत्थर की चमक है ना नगीने की चमक है, श्रीवास्तव की पंक्ति पर झूमे श्रोता।

घातक रिपोर्टर, शिवेंद्र सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश।
औरैया। कवि समाज का दर्पण होता है और कविताओं से प्रेरणा मिलती है। यह बात श्री गहोई सेवा समिति द्वारा राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की 137वीं जयंती पर गोपाल वाटिका में आयोजित कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि गहोई समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्ण कुमार कठिल ने कही। विशिष्ट अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष अनूप गुप्ता ने कहा कवि सम्मेलनों को नगर के अलावा ग्रामीण अंचलों में भी आयोजित करने की आवश्यकता है। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय अध्यक्ष कठिल, नगर पालिका अध्यक्ष अनूप गुप्ता व एसडीएम सदर अखिलेश कुमार सिंह ने मां सरस्वती एवं राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर गहोई समाज के ही एक दर्जन से अधिक मार्गदर्शन मंडल के सदस्यों (बुजुर्गों) को राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त की प्रतिमा देकर व माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन की शुरुआत अयोध्य्या से आई कवयित्री पूजा मिश्रा यक्ष ने सरस्वती वंदना से की। उन्नाव से पधारे कवि स्वयं श्रीवास्तव ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि पत्थर की चमक है न नगीने की चमक है, जो दिख रही है खून पसीने की चमक है। उत्कर्ष उत्तम की कविता संग-संग रह लूंगा तेरे सदाचार की तरह, खाने में रहूंगा तेरे अचार की तरह पर खूब तालियां बजी। कवि गौरव चौहान ने ये मुल्क शहीदों की चिंताओं पर टिका है, सुना कर वाहवाही लूटी। दमदार बनारसी की गजलों का भी श्रोताओं ने भरपूर लुत्फ लिया। कार्यक्रम में उन्नाव के वरिष्ठ कवि सुरेश फक्कड़ को बुंदेली बन्धु सम्मान से अलंकृत किया गया। नगर निवासी राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि अजय अंजाम ने अपनी ओजस्वी कविता चेतक सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने पर विवश कर दिया। इसके अलावा जिले के वरिष्ठ कवि डॉ. गोविन्द द्विवेदी, स्वेता कनक, गीता चतुर्वेदी, इति शिवहरे, प्रमोद भारती व शर्मिष्ठा गहोई ने भी काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन रायबरेली के आए कवि नीरज पांडे ने किया। इस मौके पर गहोई समाज के संरक्षक दिनेश चंद्र कनकने, मोहन सेठ, सुरेश चंद्र कुरेले, अध्यक्ष विष्णु कुमार गहोई, महामंत्री अमित कुमार सुहाने, कोषाध्यक्ष राम कुमार विश्वारी, रामेश्वर दयाल बरसइया, विकास सेठ, श्याम कुमार बरसैया, संजीव रेजा, अमित सोनी, मनीष गुप्ता, मुकेश बरसैया, रामू सोनी, सोनू कनकने, मंगलेश सुहाने, बृजेश बंधु, अनुज बरसैया, राजार्षी कनकने, सुधीर कुमार सोनी, दीप इठौलिया, निवास सोनी, आनंद बरसैया, देवेन्द्र सेठ, रवि बरसैया, योगेश कस्वार, गोपाल सेठ, संगीता सोनी, कविता बरसैया, रत्ना सुहाने, इंदु, ममता, रुचि सुहाने व आभा बिलैया आदि रहे।

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