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Wednesday, April 14, 2021

कोरोना का कोहराम - सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें, शहर में आज 84 अंतिम संस्कार।

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कोरोना का कोहराम: सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें, शहर में आज 84 अंतिम संस्कार


कोरोना का कोहराम: भोपाल, सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें, शहर में आज 84 अंतिम संस्कार

राजधानी भोपाल आज फिर शवों की गिनती को मजबूर हैं शहर के श्मशान सारे शवों से भरे पड़ें है । भोपाल गैस त्रासदी का वो मंजर 1984 था। जब एक लापरवाही ने राजधानी भोपाल को लहू से लथपथ किया था। कोरोना त्रासदी का यह साल 2021 है...एक दिन में 84 मौतें। इस कोरोना विस्फोट से कांपते चेहरों के कराहने-चीखने का दर्द और भय भी 84 जैसा ही है। लगता है समय जैसे ठहर गया है और सिर्फ मौत भाग रही है। भोपाल में कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। मंगलवार को भदभदा, सुभाषनगर विश्राम घाट और झदा कब्रिस्तान पर 84 शवों का कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार हुआ। भदभदा पर हालात ऐसे हैं कि जगह कम पड़ गई तो 30 नए चिता स्थल बनाना शुरू कर दिए हैं, जबकि 30 चार दिन पहले ही बने हैं। कोरोना का कहर ऐसा कि पिछले पांच दिनों से रोज 50 से ज्यादा शव श्मशानों-कब्रिस्तानों में पहुंच रहे हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ों में इन 5 दिनों में सिर्फ 10 मौतें दर्ज हैं। आज जब शहर में 84 अंतिम संस्कार हुए तो सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें लिखी गईं।

कोरोना का कोहराम - सरकारी आंकड़ों में भोपाल में सिर्फ 4 मौतें, शहर में आज 84 अंतिम संस्कार।
तस्वीर भोपाल के गैस त्रासदी की

मध्यप्रदेश में पहली बार एक दिन में 8998 संक्रमित मिले

प्रदेश में मंगलवार काे 8998 नए संक्रमित मिले। यह पूरे काेराेनाकाल का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 40 काेविड मरीजाें की माैत भी हुई। बीते 24 घंटे में प्रदेश में 2509 मरीज, 4888 एक्टिव केस और संक्रमण दर 2.1 फीसदी बढ़ चुकी है। वहीं, भाेपाल में 1497 मरीज मिले और 84 शवाें का काेविड प्राेटाेकाॅल के तहत अंतिम संस्कार हुआ। इनमें 64 भाेपाल के हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि पूरे प्रदेश में काेराेना से सिर्फ 40 माैतें हुई हैं। इन्हें मिलाकर अब तक काेराेना से 4261 लाेग जान गंवा चुके हैं। अब प्रदेश में कोरोना के एक्टिव मरीज 43539 हो गए हैं।

तब हाथ ठेलों पर आए थे श‌व

इतने अंतिम संस्कारों ने गैस त्रासदी की याद दिला दी। 1984 में 2-3 दिसंबर की रात हुए हादसे के बाद अगले 4-5 दिन तक जिस किसी ने भी वह मंजर देखा है वह आज भी सिहर उठता है। हाथ ठेलों पर शव आ रहे थे, एक साथ कई अंतिम संस्कार हो रहे थे। छोला विश्रामघाट के नारायण कुशवाह बताते हैं- कम से कम 100 ट्रक लकड़ी का उपयोग हुआ होगा। कब्रिस्तान कमेटी के तजीन अहमद कहते हैं कि कब्र खोदने वाले तक कम पड़ गए थे। 5 दिन में 3500 शवों को दफनाया गया था।

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