कोरोना का कहर - लाशों के ढेर पर बैठकर भी कालाबजारी, इंसानियत तार-तार; संक्रमितों के आधार कार्ड पर 670 मैं खरीद कर 12 हजार मैं जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबजारी, यहाँ क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर। - Ghatak Reporter

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Sunday, April 18, 2021

कोरोना का कहर - लाशों के ढेर पर बैठकर भी कालाबजारी, इंसानियत तार-तार; संक्रमितों के आधार कार्ड पर 670 मैं खरीद कर 12 हजार मैं जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबजारी, यहाँ क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर।

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कोरोना का कहर - लाशों के ढेर पर बैठकर भी कालाबजारी, इंसानियत तार-तार; संक्रमितों के आधार कार्ड पर 670 मैं खरीद कर 12 हजार मैं जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबजारी।

कोरोना का कहर - लाशों के ढेर पर बैठकर भी कालाबजारी, इंसानियत तार-तार; संक्रमितों के आधार कार्ड पर 670 मैं खरीद कर 12 हजार मैं जीवन रक्षक इंजेक्शन की कालाबजारी, यहाँ क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर।

कोरोना वायरस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है, जहां एक तरफ बीमार लोगों को अस्पताल में इलाज के लिए बेड नहीं मिल रहे हैं। वहीं, कोविड मरीजों के लिए जरूरी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जमकर हो रही है, सूरत क्राइम ब्रांच की टीम ने 899 रुपये का रेमडेसिविर इंजेक्शन 12 हजार रुपये में बेचने वाले एक गिरोह के छह लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह गिरफ्तारी गुप्त सूचना के आधार पर की। कोविड मरीजों के लिए जीवनरक्षक कहे जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन जिसकी कीमत 899 रुपये है, दवाइयों की कालाबाजारी करने वाले लोग एक इंजेक्शन को ब्लैक में 12 हजार रुपये में बेच रहे हैं। सूरत में कोरोना का जिस तरह से प्रकोप बढ़ रहा है, कोविड के गंभीर मरीजों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है रेमडेसिविर इंजेक्शन, इसकी भारी कमी देखने को मिल रही है।

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सूरत के पुलिस कमिश्नर अजय तोमर का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के चलते इसकी ब्लैक मार्केटिंग जमकर हो रही है। पिछले कुछ दिनों से पुलिस को गुप्त सूचना मिल रही थी, पुलिस ने नकली ग्राहक बनकर तफ्तीश शुरू की और कड़ियां मिलती गई। इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोग मेडिकल स्टोर में आने से पहले ही इसे ब्लैक कर देते थे। इस मामले में पुलिस ने नित्या हॉस्पिटल एंड मेडिकल के मालिक विवेक धामेलिया को गिरफ्तार किया है, जो अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों के आधार कार्ड का उपयोग कर डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन देकर अपने ही आदमी को सूरत सिविल हॉस्पिटल भेजकर सरकारी दाम 670 रुपये में यह इंजेक्शन मंगवाता था। फिर जो मरीज डिस्चार्ज हो जाते थे या इंजेक्शन बच जाता था उसे योगेश कवाड नाम का शख्स को 1500 रुपये में बेच देता था, योगेश इस इंजेक्शन को लिम्बायत के गोडादरा इलाके की फ़्यूजन पैथोलॉजी में 4000 में बेचता था।

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इसके बाद पैथोलॉजी चलने वाले शैलेश हड़िया और नितिन हड़िया इसे एजेंट के जरिये 12000 रुपये में बेचते थे। इसी क्रम में पुलिसकर्मी ग्राहक बनकर सबसे पहले पर्वत पाटिया इलाके में एक मेडिकल स्टोर के पास कल्पेश मकवाणा से मिले। मकवाणा ने 70 हजार में 6 इंजेक्शन दिलाने की बात की, मकवाणा के जरिये पुलिस प्रदीप कतरिया के पास पहुंची जो पैथोलॉजी चलनेवाले हड़िया बंधुओ का एजेंट है। एक के बाद एक कड़ियां मिलती गईं और पूरा गिरोह पुलिस के शिकंजे में आ गया। पुलिस ने इनके पास से 12 रेमडेसिविर इंजेक्शन और 2 लाख 45 हजार रुपये नकद बरामद किए हैं, क्राइम ब्रांच ने इन पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। सूरत के अलावा रेमडेसिविर की कालाबाजारी देश के कई राज्यों में हो रही है, महाराष्ट्र के पुणे में पुलिस ने दो भाइयों को गिरफ्तार किया है जो रेमडेसिवर इंजेक्शन 25,000 रुपये में बेच रहे थे। इससे पहले भी पुणे के फूड एंड ड्रग्स विभाग की मदद से क्राइम ब्रांच की टीमों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ 5 मामले दर्ज कर 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया और 9 बोतल पकड़ी थीं।

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