भयावह मंजर :- कोरोना की मार; तड़प रही थी माँ, पिता व पुत्र की हुई मौत, होम क्वारंटाइन था परिवार, भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने दी सूचना तो हथोड़े से दरवाजा तोड़कर निकले गए शव। - Ghatak Reporter

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Sunday, May 2, 2021

भयावह मंजर :- कोरोना की मार; तड़प रही थी माँ, पिता व पुत्र की हुई मौत, होम क्वारंटाइन था परिवार, भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने दी सूचना तो हथोड़े से दरवाजा तोड़कर निकले गए शव।

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भयावह मंजर :- कोरोना की मार; तड़प रही थी माँ, पिता व पुत्र की हुई मौत, होम क्वारंटाइन था परिवार, भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने दी सूचना तो हथोड़े से दरवाजा तोड़कर निकले गए शव।


भयावह मंजर :- कोरोना की मार; तड़प रही थी माँ, पिता व पुत्र की हुई मौत, होम क्वारंटाइन था परिवार, भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने दी सूचना तो हथोड़े से दरवाजा तोड़कर निकले गए शव।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ही थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग इलाकों से होम आइसोलेशन में रहने वाले 3 मरीजों के शव बरामद होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। एक तरफ जहां कृष्णानगर के एलडीए कॉलोनी सेक्टर सी–वन में होम आइसोलेशन में रह रहे पिता-पुत्र की मौत हो गई। भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने कृष्णानगर पुलिस को सूचना दी, मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो पिता और पुत्र का शव घर के अंदर मिला।

पिता व पुत्र की लाश, घायल अवस्था में मां मिली

जानकारी के अनुसार, LDA कॉलोनी सेक्टर सी–वन निवासी अरविंद गोयल (60) अपने बेटे आशीष गोयल (25) संग होम आइसोलेशन में थे। घर में अरविंद की दिव्यांग पत्नी रंजना गोयल भी थी। मोहल्ले वालों ने घर से तेज दुर्गंध आने पर इसकी सूचना पुलिस को दी। रंजना ने बताया कि कमरे में पति और बेटे का शव पड़ा देखकर वह चीखती रहीं‚ लेकिन किसी मोहल्ले वाले ने उनकी आवाज नहीं सुनी। घर पर चारपाई पर पड़ी थीं, चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण वह घर के बाहरी दरवाजे तक भी नहीं पहुंच सकीं, दरवाजा अंदर से बंद था। कृष्णानगर इंस्पेक्टर महेश दुबे के मुताबिक‚ अरविंद और उनका बेटा आशीष दोनों होम आइसोलेशन में थे, संक्रमित होने के कारण ही उनकी मौत हुई है। अरविंद की पत्नी को अस्पताल भेजा गया है, पिता–पुत्र के शव पोस्टमार्टम के लिए भेजे गए हैं। वहीं कृष्णा नगर थाना क्षेत्र के सेक्टर डी–वन में शनिवार को होम आइसोलेशन में रह रहे अंदर विवेक शर्मा (35) की मौत हो गई। इस घर से भी दुर्गंध आने के बाद पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद पुलिस ने घर का दरवाजा तोड़ कर शव को बाहर निकाला। जानकारी के मुताबिक विवेक शर्मा भी कोरोना से संक्रमित थे और होम आइसोलेशन में रह रहे थे।

भयावह मंजर :- कोरोना की मार; तड़प रही थी माँ, पिता व पुत्र की हुई मौत, होम क्वारंटाइन था परिवार, भीषण दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने दी सूचना तो हथोड़े से दरवाजा तोड़कर निकले गए शव।

अस्पतालों में जगह नहीं, केजीएमयू समेत चार हॉस्पिटल में मरीजों का सबसे ज्यादा दबाव
उधर, करीब 25 दिन बाद कोरोना मरीजों की संख्या 3500 से नीचे पहुंची है। शनिवार को 3125 लोग वायरस की जद में आ गए हैं, इनमें 100 से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बाकी मरीजों ने होम आइसोलेशन में रहने का फैसला किया है। डाक्टरों का कहना है कि काफी मरीज गंभीर अवस्था में अस्पताल आ रहे हैं, समय पर मुकम्मल इलाज न मिलने से स्थिति बिगड़ रही है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल के पूर्व प्रभारी अधिकारी फार्मेसी डॉ. एसएन बक्श के निधन पर अस्पताल के बड़़ी संख्या में अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त किया। उनका निधन कोरोना के चलते हुआ है या नहीं इसका पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में 90 वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित होने पर भर्ती करायी गयी थीं। उनके बेहतर देखभाल के कारण वह अब निगेटिव हो गई हैं।

उनके पुत्र संजय भटनागर ने ट्वीट कर बताया कि मां घर आ गयी लेकिन उनकी परेशानी यह है कि वह उस नर्स का नाम नहीं जान सकी जो उनको अपने हाथ से चाकू से काटकर सेब खिलाती थी। इसके अलावा कुल मिलाकर कोरोना से जंग जीतने वाले 6189 मरीज ठीक हुए। ठीक होते मरीजों ने हालात धीरे–धीरे सामान्य होने की ओर संकेत कर रहे हैं। संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हो रहे हैं, 6189 मरीजों ने वायरस को मात देने में कामयाबी हासिल की है। वहीं राजधानी में सक्रिए मरीजों का ग्राफ 41042 बचा है। लगातार सक्रिए मरीज कम होने से डाक्टरों ने राहत की सांस ली है। अस्पतालों में मरीजों का दबाव लगातार बना हुआ है। छोटे अस्पतालों में कोरोना मरीजों की भर्ती प्रभावित होने का फर्क बड़े अस्पतालों पर पड़ रहा है। मरीजों का दबाव केजीएमयू‚ बलरामपुर‚ लोहिया व लोकबंधु जैसे अस्पतालों पर पड़ रहा है। मरीजों की कतार लगी है, ऑक्सीजन की किल्लत से छोटे अस्पताल सभी बेड पर मरीज भर्ती नहीं कर पा रहे हैं, मरीज भटक रहे हैं।

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