जाने कोन से संस्थान ने कईं किलोमीटर पहाड़ी को बना दिया हरा-भरा, पठार पर रौप डाले कई हजारों पौधे।
- हरियाली बढ़ाने के साथ ही ग्रमीणों को मिल रहा रोजगार।
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प्रतिकात्मक फोटो |
घातक रिपोर्टर, दीपांशु सिंह जादौन, रायसेन/मंडीदीप।
मंडीदीप। कहते है कि यदि मन में कुछ कर गुजरने का जोश और जज्बा हो तो मार्ग में आने वाली मुश्किलें भी मददगार बन जाती है। ऐसा ही कुछ कीरतनगर में देखने को मिल रहा है। जहां निखिल धाम चैरिटीबल संस्थान के प्रयासों ने पथरीली जमीन पर पेड़-पौधे उगाकर पहाड़ी को हरा-भरा कर घना जंगल बना दिया। संस्थान द्वारा न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरानीय काम किया जा रहा है, बल्कि ग्रमीणों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में कभी सुनसान और पथरीला रहने वाला यह स्थान आज आस-पास के गांव का सबसे सुंदर और लोगों की आमदनी का माध्यम बन गया है। शिव धाम भोजपुर के रास्ते में लगे बरगद, नीम, शीशम, पीपल आदि प्रजातियों के हजारों पेड़ो की हरियाली हर किसी राहगीर का मन मोह लेती है। हालांकि 15 साल पहले ऐसा नहीं था, तब निखिल धाम संस्थान ने यहां पठार पर हरियाली बढ़ाने की जीद की। संस्थान के संचालक स्वामी अरविंद सिंह बताते हैं कि हमने वर्ष 2007 में यहां पौधारोपण की शुरुआत की थी। पहाड़ी पर पेड़ उगाना आसान काम नहीं था। ऐसे में सबसे पहले हमने आसपास के गांव से निकलने वाली मिट्टी खरीदी और 15 एकड़ क्षेत्र में 4 फीट की ऊंचाई तक मिट्टी डाली इसके बाद पूरी पठार को मिट्टी से समतल कर पौधे रोपना शुरू किया। इस काम में ग्रामीणों के साथ वन विभाग का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।
12 महीने लगाते हैं पौधे
स्वामी अरविंद बताते हैं कि पौधे लगाने का कोई मौसम नहीं होता। उनकी देखभाल करना महत्वपूर्ण होता है। वे 12 महीने पौधे लगाते हैं। यही कारण है कि इतने कम समय में यहां घना जंगल खड़ा हो गया। इनकी सिंचाई के लिए आश्रम में 30 फीट पर पर्याप्त पानी है। जिससे इन पेड़ों में प्रतिदिन 8 से 10 टैंकर पानी से सिंचाई की जाती है। अरविंद बताते हैं कि यहां जो पौधे लगे हैं वह सभी विशेष वैरायटी के हैं। हम आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से 250 से 300 रुपए में आठ से 10 फीट ऊंचाई के पौधे मंगवाते हैं। अधिक ऊंचाई का होने कारण इनके पनपने की अधिक संभावनाएं होती है।
मिल रहा रोजगार
निखिल धाम संस्थान द्वारा यहां जंगल उगाने से आसपास के कीरत नगर, नयापुरा एवं मेंदुआ आदि गांव के सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है। जबकि 25 ग्रामीणों को नियमित रूप से रोजगार मिला हुआ है। जो पौधे लगाने से लेकर सिंचाई, चौकीदारी सहित अन्य काम करते हैं। वहीं इस गर्मी के सीजन में ग्रामीण जंगल में लगे तेंदूपत्ता तोड़कर 250 से 500 रुपए प्रतिदिन कमा आ रहे हैं। इसके बाद अगामी दिनों में वे महुआ बीनकर कमाई कर सकेंगे।
वन विभाग ने किया सपोर्ट
औबेदुल्लागंज वन मंडल अधिकारी विजय कुमार बताते हैं कि आश्रम का काम बहुत सराहनीय है। उन्हें हमारी ओर से टेक्निकल और लीगल सहायता दी गई। सामाजिक वानिकी विभाग ने उन्हें पौधे उपलब्ध करवाए थे। पौधे लगाने में जो भी खर्च हुआ है वह उनके द्वारा ही वहन किया गया है। इस तरह की हरियाली बढ़ाने के लिए अन्य लोगों को भी आगे आना चाहिए।
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