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Wednesday, September 22, 2021
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रायसेन/देवरी, शोभा की सुपारी बनी उप मंडी, लटका हुआ ताला, किसान हो रहे परेशान।
रायसेन/देवरी, शोभा की सुपारी बनी उप मंडी, लटका हुआ ताला, किसान हो रहे परेशान।
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आईबीएन और तहलका यूट्यूबर दलाल अजय आहूजा का यह खेल कोई नया नहीं, यह सब ब्लैकमेल करने का इसका पुराना तरीका।
https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_842.html
इस दलाल की जब हमने पोल खोलना प्रारंभ की तो इसने हमारी हत्या की साजिश रची तो एक लेख इसके लिये हमने लिखा नीचे लिंक को खोलकर अवश्य पढ़ें
https://www.ghatakreporter.com/2020/12/blog-post_529.html
Thank you
Chief Editor GHATAK REPORTER
BHOPAL
घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। जहां एक और सरकार द्वारा खेतों को लाभ का धंधा बनाने की सोच रखते हुए किसानों को हर संभव मदद करने की बात कहते हुए कृषि के क्षेत्र में अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है। मगर अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि जब किसानों द्वारा रात-दिन मेहनत करते हुए अपना खून पसीना एक करके पैदा की गई फसल को बेचने से लेकर उसका भुगतान की भीक मांगने के लिए मजबूर होना पड़े तो फिर क्या यह लाभ का धंधा साबित हो जाएगा। इस बात की सच्चाई इस समय देवरी क्षेत्र में परेशान हो रहे किसानों को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। जहां पर किसान इस समय अपनी मूंग और अन्य फसलों को औने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर होते हुए देखे जा रहे हैं और इसी का फायदा उठाते हुए निजी व्यापारी द्वारा किसानों की फसल को मन मानिक दामों में खरीदते हुए खुलेआम उनका शोषण करने से भी नहीं चूक रहे हैं। कहने को तो देवरी की उप मंडी का निर्माण 2005 में हुआ था और कुछ समय तक यह उप मंडी व्यवस्था रुप से चलती रही। पर 10 वर्षों से यह उप मंडी में ताला लगा हुआ है। वहीं दूसरी और मंडी प्रशासन की भूमिका पर अनेक प्रकार के सवाल पैदा करने से भी नहीं चूक रहे हैं। जानकारी के अनुसार देवरी उप मंडी में क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 79 गांवो के किसान आते हैं जो इस मंडी के समीप होने के माध्यम से अपना अनाज विक्रय करने में सहूलियत पा सकते हैं। मगर 10 वर्षों से उप मंडी का चालू ना होना निश्चित ही चिंताजनक बात होने के साथ-साथ केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही किसान हितेषी योजनाओं पर भी सवाल खड़े करने से नहीं चूक पा रही है। यदि सच्चाई पर गौर किया जाए तो इस समय जिस प्रकार से देखा जा रहा है कि नर्मदा क्षेत्र में मूगं-धान की फसल के लिए प्रमुख माने जाने वाले देवरी क्षेत्र के किसान फसल को बेचने के लिए परेशान होते हुए देखा जा सकता है। इसके चलते कृषि लाभ का धंधा बनाने की बात तो दूर परेशानी का कारण जरूर बनता जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक व्यापारी गांव-गांव जाकर ओने-पौने दामों पर करते हैं खरीदी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि देवरी उप मंडी में जो भी कर्मचारी पदस्थ रहता है वहां इन व्यापारियों से तालमेल रखता है। इस कारण इन व्यापारियों पर कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाती और मंडी के कर्मचारियों को 5 हजार से 10 हजार रुपए प्रति व्यापारी से मिल जाता है। जिससे किसानों का माल तो बिक जाता है परंतु मंडी प्रशासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। जबकि किसानों ने बताया कि जब शासन ने मंडी बनाई है तो इसे चालू भी करवाना चाहिए। जो व्यापारी मंडी में व्यापार नहीं करना चाहता है उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। परंतु मंडी के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा 10 वर्षों से फल-फूल रहा है।
जैसे कि भाई दूज के दिन सभी व्यापारी और कर्मचारी एकत्र होकर देवरी उपमंडी में पहुंचकर तोल कांटों की पूजा करते हैं और खरीदी करते हैं। उसके बाद सालभर उपमंडी में कोई खरीदी नहीं की जाती। जबकि मंडी कर्मचारी उन व्यापारियों से बोल भी सकते हैं कि मात्र साल भर में एक ही दिन खरीदी क्यों की जाती है। साल भर उपमंडी में खरीदी क्यों नहीं करते। परंतु मंडी के कर्मचारियों के तालमेल के कारण तो यह गोरखधंधा चलता है। क्योंकि व्यापारी मंडी में खरीदी करने लगे तो मंडी के कर्मचारियों को बाहर से खरीदने में जो पैसे मिलते हैं वह व्यापारियों द्वारा देना बंद कर देंगे। इसलिए उन व्यापारियों पर कोई प्रेशर नहीं देना चाहते और खुलेआम खरीदी करने की छूट दे रखी है।
हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि देवरी उप मंडी चालू है, परंतु किसान पहुंच नहीं रहे हैं। हम सीजन पर पूर्ण प्रयास करेंगे कि मंडी चालू हो।
हरेन्द्र सिंह राठोर, उप मंडी, देवरी
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