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Thursday, October 14, 2021

जाने कहाँ - हनुमान जी का 40 किलो वजनी मुखोटा लगकर 6-7 किलोमीटर की निकालते है शोभायात्रा।

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जाने कहाँ - हनुमान जी का  40 किलो वजनी मुखोटा लगकर 6-7 किलोमीटर की निकालते है शोभायात्रा।


जाने कहाँ - हनुमान जी का  40 किलो वजनी मुखोटा लगकर 6-7 किलोमीटर की निकालते है शोभायात्रा।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन। जिले में असत्य पर सत्य के प्रतीक दशहरा पर्व अलग-अलग परंपराओं के तहत मनाया जाता है पर मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में 51 साल से चली आ रही एक अद्भुत व अनूठी परंपरा जो आज भी उसी ढंग से मनाई जाती है। रायसेन जिले में दो जगहों और दो पर्व पर एक दशहरे के रावण दहन के दिन तो दूसरी रामलीला मेले के समापन पर रावण दहन के दिन ही 40 किलो वजनी का वीर हनुमान का मुखौटा लगाकर शहर के प्राचीन खेड़ापति हनुमान मंदिर बावड़ीपुरा से शोभायात्रा निकालने की परंपरा आज भी पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ ढोलन-गाड़ों के साथ निकाली जाती है। रायसेन शहर के वार्ड 2 स्थित बावड़ी पुरा प्राचीन खेड़ापति हनुमान मंदिर से दशहरे पर्व की शाम को एक शोभायात्रा शहर में निकाली जाती है।

इस शोभायात्रा में वीर हनुमान जी का 40 किलो वजनी मुखौटा जो 8 से 10 फीट का होता है, इसे 40 दिन तक के ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति अथवा कोई युवक अपने सिर पर धारण कर शहर में निकलते हैं। यह शोभायात्रा निकालने के लिए अलग से जय महावीर जय रघुवीर समिति बनीं हुई है। यह समिति के सदस्य पूरी तैयारी करते हैं। शोभायात्रा ढोल-नगाड़ा और वीर हनुमान, लाल लंगोटा जय हनुमान, जय रघुवीर तेरी जय महावीर के जयकारों से गूंजती हुई शहर के विभिन्न मार्गों से रावण दहन स्थल दशहरे मैदान पहुंचती है। इस शोभायात्रा का जगह-जगह फूल-मालाओं से और आरती उतार कर स्वागत किया जाता है।


रायसेन शहर में यह परंपरा साल में दो बार की जाती है। एक दशहरे के दिन तो दूसरी रामलीला मेले के समापन पर लंकापति रावण दहन के दौरान। इस संबंध में लगातार छह बार वीर बजरंगवली का मुखौटा धारण करने वाले स्व. गुट्टी लाल कुशवाह के पुत्र कल्याण कुशवाह बताते हैं कि यह परंपरा रायसेन जिले में एक ओबेलुल्लागंज और एक रायसेन शहर में की जाती है। यह परंपरा लगभग 70 साल पुरानी है और अभी तक 70 से 75 लोग अपने सिर पर वीर हनुमान का मुखौटा धारण कर चुके हैं। कल्याण कुशवाह ने बताया कि मेरे पिता स्व. गुट्टी लाल कुशवाहा द्वारा छह बार मुखौटा धारण किया गया था। मुखौटा का चेहरा पानीपत से पूरी भक्ति भाव श्रद्धा से जय महावीर समिति रायसेन द्वारा लाया गया था। मुखोटा शोभायात्रा निकालने की शुरुआत बाबा निरंजन दास और कपड़ा व्यापारी नगर सेठ स्व. बोधराज खन्ना द्वारा करीबन वर्ष 1965 में की थी। तब से ही यह परंपरा शहर में निरन्तर चली आ रही है।

मुखौटा उठाने से पहले की प्रक्रिया प्राचीन हनुमान मंदिर बावड़ी पुरा में जय महावीर समिति द्वारा जो लोग मुखौटा धारण करने की इच्छा रखते हैं। उनके नाम की 2 पर्ची मंदिर मैं हनुमान प्रतिमा के सामने डाली जाती हैं फिर इन पर्ची को किसी कन्या के हाथ से उठवाया जाता है। पहली पर्ची में नाम आने वाले को दशहरा पर मुखौटा सिर पर धारण कराया जाता है और वहीं दूसरी पर्ची में नाम आने वाले को वार्षिक श्री रामलीला मेले में रावण दहन के दिन मुखौटा धारण किया जाता है। इस बार शहर के ठाकुर मोहल्ला निवासी दीपेंद्र दीपू राजपूत द्वारा वीर हनुमान का मुखौटा धारण किया जा रहा है। इससे पहले 40 दिन का ब्रह्मचर्य व्रत का कठिन साधना कराई जाती है। इस दौरान सिद्ध हनुमान मंदिर नबावपुर वार्ड 4 रायसेन पहुंचकर अलसुबह और शाम कड़ी तपस्या साधना और मेहनत की जाती है। खुद के हाथ से बनाया या अपनी मां और बहन के हाथ का बना भोजन ही साधक को ग्रहण करना पड़ता है।

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