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Thursday, October 7, 2021

रायसेन/सिलवानी, वीरांगना रानी दुर्गावती की जन्म जयंती पर किया गया नमन।

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वीरांगना रानी दुर्गावती की जन्म जयंती पर किया गया नमन।

रायसेन/सिलवानी, वीरांगना रानी दुर्गावती की जन्म जयंती पर किया गया नमन।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। रानी दुर्गावती जन्मजयंती के अवसर पर चैनपुर गांव में ग्रामीणों के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके आदर्श पर चलने का संकल्प लिया। इस मौके पर पप्पू ठाकुर, चंदन सिंह मेहरा, हरिनारायण ठाकुर, सुरेशबाबू, गणपतसिंह, राजेश ईमने, शिवराज सिंह, योगेंद्र पुजारी, जयप्रकाश इमने, खेतसिंह आदि उपस्थित रहे। रानी दुर्गावती जी की चित्र पर पुष्प अर्पित कर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। वक्ताओ ने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती हमारे देश की वो वीरांगना है जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हो गई। वे बहुत ही बहादुर और साहसी महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य संभाला बल्कि राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी। हमारे देश के इतिहास की बात की जाये तो बहादुरी और वीरता में कई राजाओं के नाम सामने आते है, लेकिन इतिहास में एक शक्सियत ऐसी भी है जोकि अपने पराक्रम के लिए जानी जाती है। कार्यक्रम में बताया कि रानी दुर्गावती अपने पति की मृत्यु के बाद गोंडवाना राज्य की उत्तराधिकारी बनीं और उन्होंने लगभग 15 साल तक गोंडवाना में शासन किया। रानी दुर्गावती को बचपन से ही तीरंदाजी, तलवारबाजी का बहुत शौक था। इनकी रूचि विशेष रूप से शेर व चीते का शिकार करने में थी। इन्हें बन्दूक का भी अच्छा खासा अभ्यास था। इन्हें वीरतापूर्ण और साहस से भरी कहानी सुनने और पढ़ने का भी बहुत शौक था। रानी ने बचपन में घुड़सवारी भी सीखी थी। सन 1550 में राजा दलपत शाह की मृत्यु हो गई तब वीर नारायण सिर्फ 5 साल के थे। रानी दुर्गावती ने अपने पति की मृत्यु के बाद अपने पुत्र वीर नारायण को राजगद्दी पर बैठा कर खुद राज्य की शासक बन गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।

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