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Sunday, October 10, 2021

रायसेन/सिलवानी, भगवान की भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाना चाहिए - पंडित सुंदरदास महाराज।

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भगवान की भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाना चाहिए - पंडित सुंदरदास महाराज।

  • चीचोली गांव में आयोजित की जा रही है श्रीमद् भागवत कथा।

रायसेन/सिलवानी, भगवान की भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाना चाहिए - पंडित सुंदरदास महाराज।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। भगवत भक्ति किए जाने के लिए आयु का बंधन नही होता हैं, किसी भी आयु में भगवान की भक्ति की जा सकती हैं। लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि भगवान की भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाना चाहिए, ना कि स्वार्थ मय होकर। स्वार्थ भाव से की गई भगवान की भक्ति फलदायक नही होती है। यह उद्गार पंडित सुंदरदास महाराज ने व्यक्त किए। वह तहसील मुख्यालय से 4 किलो मीटर दूर स्थित चीचोली गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस रविवार को कथा स्थल पर मौजूद श्रद्वालुओ को सबोधित कर रहे थे। कथा वाचक ने बताया कि बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका इष्ट या अपने गुरु का अपमान ना हो। यदि एसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर नही जाना चाहिए। चाहे वह स्थान जन्म दाता पिता का घर ही क्यो ना हो। उन्होने बताया कि भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी होए इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। पंडित सुंदर दास महाराज ने बताया कि परमात्मा की भक्ति मात्र जीवन के सारे संकट हर लेती है। शास्त्र वेद कहते है कि भगवान की भक्ति मात्र इस जीव आत्मा को सीधा भगवान से जोड़ देती है ओर यदि जीव आत्मा का भगवान से मिलन हो गया तो जीवन-मरण से जीव आत्मा स्वतंत्र हो जावेगी, ये संसार एक माटी का पुतला है, ये संसार प्रभु ने धर्म के लिए बनाया है। जहाँ धर्म, दान,सत्य, तप होता है वहा परमात्मा का निवास होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सद्कर्म करते रहना चाहिए। सत्संग हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित होकर कथा लाभ ले रहे हैं।

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