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Thursday, April 21, 2022
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UP, प्राइवेट निजी स्कूलों की मनमानी व अबैध बसूली से परेशान है अभिभावक।
UP, प्राइवेट निजी स्कूलों की मनमानी व अबैध बसूली से परेशान है अभिभावक।
घातक रिपोर्टर, शिवेंद्र सिंह सेंगर, उत्तर प्रदेश।
औरैया। जिले के प्राइवेट/निजी स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलने दबाव बना रहे हैं। इन पर सरकार की जारी गाइड लाइन का कोई असर नहीं है और जिला प्रशासन इस ओर घोर लापरवाही करता आ रहा है। शिक्षा विभाग इस बात का दावा कर रहा है कि ऐसी कोई शिकायत ही नहीं आ रही जिससे कि वह विद्यालयों पर कार्रवाई करे। ऐसे में अभिभावक स्कूल संचालकों की मनमानी से बेहद परेशान हो रहे है। उधर, सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो सभी स्कूलों में प्राइवेट और महंगी किताबें पढ़ाई जा रही है, जिसमें स्कूल संचालक जमकर कमीशनखोरी कर रहे। जिले में विभिन्न बोर्डों द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों में कुछ वित्त विहीन स्कूलों कालेजों में मनमानी फीस वसूली जा रही हैं। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की फीस आम तौर एलकेजी से दूसरी कक्षा तक 18 से 25 हजार रुपये, तीसरी कक्षा से पांचवी तक 30 से 35 हजार रुपये, छठवीं से 10 वीं तक 40 से 46 हजार और इंटर तक की फीस 50 हजार रुपये वार्षिक वसूली जा रही है। इसके अलावा अधिक कमीशन वाली मंहगी किताबें व ड्रेस खरीदने पर, स्कूलों में होने वाले परीक्षा, अंकपत्र, जनरेटर, डांस प्रोग्राम, प्रतियोगिताओं सहित विभिन्न कार्यक्रमों के लिए अलग से भारी रकम वसूली जाती है। इनमें से कई स्कूल सीबीएसई और आईसीआई पैटर्न पर पठन पाठन कराने का दावा करते हैं। अधिकांश स्कूल कालेज यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। सरकार का निर्देश है कि इन स्कूलों में एनसीआरटी की किताबों से पढाई की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त स्कूल दूसरे प्रकाशनों की महंगी किताबे पढ़ा रहे है। ऐसे में इनके द्वारा जमकर कमीशनखोरी की जा रही। लेकिन प्रशासन इसके प्रति पूरी तरह लापरवाह बना है। वहीं अभिभावक इन स्कूलों की मनमानी झेलने को विवश हैं।
सरकार ने निजी स्कूलों के लिए कुछ गाइड लाइनों का निर्धारण किया है। प्रवेश के समय डानेशन नहीं ली जाएगी। री-एडमीशन के नाम पर छात्र से फीस नहीं ली जाएगी। बोर्ड से निर्धारित पुस्तकों से ही पढाई की जानी है। मंहगी किताबों को खरीदने के लिए छात्र को बाध्य नहीं किया जा सकता। मासिक फीस में दस से 20 प्रतिशत से अधिक वृद्धि नही की जा सकती है। ड्रेस और अन्य कार्यक्रमों के लिए छात्र से मनमानी रकम नहीं वसूली जा सकती।
निजी स्कूलों द्वारा अधिक फीस वसूलने संबंधित कोई शिकायत नहीं मिल रही है। यदि कोई शिकायत मिलती है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
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