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Saturday, May 7, 2022

रायसेन, डी-लिस्टिंग की मांग को लेकर बैठक संपन्न।

डी-लिस्टिंग की मांग को लेकर बैठक संपन्न।

रायसेन, डी-लिस्टिंग की मांग को लेकर बैठक संपन्न।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन।
रायसेन। शनिवार को स्थानीय रामलीला मैदान के सभाकक्ष में जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वाधान में जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा की जा रही थी लिस्टिंग अर्थात धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाएं। उक्त मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा 29 मई को रायसेन में एक विशाल सभा आयोजित कर सरकार से मांग की जा रही है। इस मांग के समर्थन में बाड़ी विकासखंड के विविध संगठनों द्वारा बैठक आहूत की गई। बैठक में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार विजय प्रकाश तिवारी ने बताया कि देश की 700 से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था लेकिन इन सुविधाओं का लाभ उन जनजातियों के स्थान पर वे लोग उठा रहे हैं जो अपनी जाति छोड़कर ईसाई या मुस्लिम बन गए हैं। संविधान की मंशा के अनुरूप भारत के वन क्षेत्र में निवास कर रहे अनुसूचित जनजाति समुदाय का अर्थ है कि भौगोलिक दूरी, विशिष्ट संस्कृति के बोलीभाषा, परंपरा एवं रूढिगत न्याय व्यवस्था, सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन, संकोची स्वभाव अतः इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखकर उनके लिए न्याय और विकास को सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण एवं अन्य विशेष प्रावधान किए गए। जैसे- जनजाति उपयोजना हेतु वित्तीय प्रावधान, कस्टमरी लांज, अधिकार एवं अन्य प्रावधान शामिल है। इन प्रावधानों पर विशेष निगरानी हेतु राष्ट्रपति तथा राज्यपाल को विशेष अधिकार दिए गए। जनजातियों को यह सुविधाएं एवं अधिकार अपनी संस्कृति आस्था परंपरा की सुरक्षा करते हुए विकास करते हुए सशक्त बनाने के लिए दिए गए थें किंतु दुर्भाग्य की बात है कि कुछ धर्मांतरित लोग जो अपनी संस्कृति, आस्था, परंपरा को त्याग कर ईसाई या मुसलमान हो गए हैं उन सुविधाओं का 80 प्रतिशत लाभ मूल जनजाति समुदाय से छीन रहे हैं।

रायसेन, डी-लिस्टिंग की मांग को लेकर बैठक संपन्न।

कार्तिक उरांव का योगदान

संविधान की विसंगति को लेकर 1966-67 में जनजाति नेता स्वर्गीय कार्तिक उरांव ने तात्कालीन प्रधानमंत्री को 235 सांसदों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन दिया और ऐसे लोगों को हटाने की मांग की। उरांव ने अपने इस मुद्दे को 1970 में उठाया उस समय 348 सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए इतने प्रबल समर्थन के बाद भी इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और यह समस्या आज भी यथावत है। जनजाति सुरक्षा मंच इस मांग को लेकर पूरे देश भर में आवाज उठाएगा और सारे देश में जन जागरण और आंदोलन करेगा जब तक की जनजाति समुदाय को उनका हक नहीं मिल जाता। सुरक्षा मंच ने पूर्व में भी वर्ष 2009 में देश भर से 28 लाख लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सौंपा और 1950 में बनाए गए नियम में संशोधन करने की मांग की। सुरक्षा मंच ने पिछले वर्ष 2020 में स्व. कार्तिक उरांव के जन्मदिन से देशभर में व्यापक अभियान छेड़ा और देश के 288 जिलों में राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। 14 राज्यों में राज्यपालों और 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन दिए। आगामी समय में सुरक्षा मंच ने पूरे देश के साथ अपने प्रदेश में भी व्यापक जन जागरण और जिला सम्मेलन के कार्यक्रम बनाए जिसके तहत जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले सभी लोगों को जोड़कर गांव-गांव घर-घर जाकर जन जागरण का कार्य किया जाएगा और सभी जिला मुख्यालयों पर जनजाति जिला सम्मेलन के कार्यक्रम करते हुए सरकार से इस नियम संशोधन की आवाज उठाएगा। बैठक में मुख्य रूप से भागचंद उइके, गोपाल स्वरूप ठाकुर, नेपाल सिंह राजपूत, पवन रघुवंशी, अभिषेक राजपूत, पंकज श्रीवास्तव बाड़ी, हीरेन्द मालवीय और मनोज भार्गव सहित अन्य कार्यकर्ता और संगठन के लोग मौजूद रहें।

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