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Wednesday, September 21, 2022

रायसेन/बरेली, नगर में हुआ कवि सम्मेलन, बहुत याद आती है पापा तुम्हारी कविता सुन छलके आंखों में आंसू।

नगर में हुआ कवि सम्मेलन, बहुत याद आती है पापा तुम्हारी कविता सुन छलके आंखों में आंसू।

रायसेन/बरेली, नगर में हुआ कवि सम्मेलन, बहुत याद आती है पापा तुम्हारी कविता सुन छलके आंखों में आंसू।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। श्री नर्मदा भक्ति पंत परिवार बरेली द्वारा पितृपक्ष के पावन अवसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के मंच से मानस सत्संग भवन बरेली में हिंदी दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय संस्था राष्ट्रीय कवि संगम मध्य भारत प्रांत बरेली के सहयोग से राष्ट्रीय कवि संगम के मध्य भारत प्रांत के प्रांतीय उपाध्यक्ष नगर के कवि प्रेम नारायण साहू के कवि संयोजन में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं भगवान श्री कृष्ण की पूजन अर्चन से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात सभी कवियों का स्वागत पार्षद अरविंद मालवीय, बंटी ठाकुर, संजय शर्मा, निराला साहित्य समिति से अवध सक्सेना, गुलाब राजौरे, श्री नर्मदा भक्ति पंत परिवार से नीलेश शर्मा, आचार्य रजनीश एवं सभी सदस्यों ने शाल श्रीफल से किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत आगरा से आई कवियत्री रचना गोस्वामी ने मां सरस्वती वंदना से प्रारंभ की। पितृपक्ष के अवसर पर निखिल खरे ने अपने पिता स्वर्गीय प्रभु दयाल खरे गज्जै भैया को याद करते हुए जा रहो है ससुराल तो जल्दी आइए कविता सुनाई। भोपाल के कवि प्रतीक द्विवेदी ने बिसारिऐ ना राम को सुना कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। कांटा फोड़ देवास से आए कवि मनोज दुबे ने पितृपक्ष के अवसर पर पिता पर कविता बहुत याद आती है पापा तुम्हारी सुनाकर लोगों के आंखों में आंसू छलका दिए। कभी देवी जैन ने सखी तेरा बेलन देना सुना कर हंसाया। संचालन कर रहे प्रेम नारायण साहू ने गौ माता पर कविता सुनाकर पीकर जिसके दूध को देखो बने पहलवान से हम सुना कर खूब भरपूर तालियां बटोरी। पन्ना से आए कवि देश के सुप्रसिद्ध व्यंग कार डॉक्टर सुरेश पराग ने अपनी प्रसिद्ध कविता एक वह है जो चोंच देने से पहले दाना देते हैं। एक यह है जो पहले चोंच काटते हैं फिर खाना देते हैं सुनाकर खूब वाह वाही लूटी। आगरा से आई कवियत्री रचना गोस्वामी ने भागवत के मंच से भगवान श्री कृष्ण पर कविता रचाए रास इस ब्रज में उसी देश की निवासी हूं ना राधा हूं ना मीरा हूं तेरे चरणों की दासी हूँ सुनाकर कवि सम्मेलन को ऊंचाइयों प्रदान की। प्रेम नारायण साहू ने अपने सफल संचालन से श्रोताओं को बांधे रखा। सभी रात्रि के द्वितीय पहर तक बैठे रहे आयोजन समिति की ओर से हिमकर उपाध्याय ने सभी का आभार प्रकट किया।

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