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Friday, May 26, 2023

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रायसेन/बरेली, रावण की बेटी या मृत्यु बनकर प्रकट हुई थीं देवी सीता।
रायसेन/बरेली, रावण की बेटी या मृत्यु बनकर प्रकट हुई थीं देवी सीता।
घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। दशानन रावण के घर में सीता जी सुरक्षित थी, लेकिन आज घरों में और गर्भ में बेटियां सुरक्षित नहीं है। उक्त कथा छिंद धाम में आयोजित श्रीराम महायज्ञ और श्री राम कथा के चौथे दिवस वृंदावन धाम से पधारे कथा व्यास अनिरुद्ध आचार्य जी ने हजारों श्रद्धालुओं को श्रवण कराई। कथा व्यास कथा का रसपान कराते हुए कहते हैं की रामायण के दो प्रमुख पात्र हैं। एक भगवान राम और दूसरी उनकी अर्धांगिनी देवी सीता। देवी सीता की महिमा ऐसी है कि राम से पहले देवी सीता का नाम लिया जाता है। देवी सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, लेकिन विभिन्न रामायणों और पौराणिक कथाओं में देवी सीता के जन्म को लेकर रहस्यमयी और रोचक कथाएं हैं। इसकी वजह यह है कि देवी सीता के माता-पिता भले ही सुनयना और राजा जनक कहलाते हैं, लेकिन यह केवल इनके पालक माता-पिता हैं। इनका जन्म भूमि से हुआ है, इसलिए इनके जन्म के संदर्भ में कई कथाएं मिलती हैं। इनमें सबसे प्रचलित कथा वाल्मीकि रामायण की है। महर्षि वाल्मीकि ने अपने रामायण में लिखा है कि मिथिला राज्य में अकाल पड़ गया। ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ का आयोजन करने के लिए कहा ताकि वर्षा हो। यज्ञ की समाप्ति के अवसर पर राजा जनक अपने हाथों से हल लेकर खेत जोत रहे थे, तभी उनके हल का नुकीला भाग जिसे सीत कहते हैं किसी कठोर चीज से टकराया और हल वहीं अटक गया। जब उस स्थान को खोदा गया तो एक कलश प्राप्त हुआ, जिसमें एक सुंदर कन्या खेल रही थी। राजा जनक ने उस कन्या को कलश से निकाला और उस कन्या को अपनी पुत्री बनाकर अपने साथ ले गए। निःसंतान सुनयना और जनक की संतान की इच्छा पूरी हुए। हल के सीत के टकराने से वह कलश मिला था, जिससे सीता प्रकट हुई थीं इसलिए कन्या का नाम सीता रखा गया।
रावण की बेटी थी सीता?
अनिरुद्ध आचार्य जी आगे कथा श्रवण कराते हुए बताते हैं कि देवी सीता से संबंधित एक अन्य कथा का उल्लेख अद्भुत रामायण में मिलता है। इस रामायण में लिखा है कि रावण ने कहा था कि जब उसके हृदय में अपनी पुत्री से विवाह की इच्छा उत्पन्न हो तो उसकी पुत्री ही उसकी मृत्यु का कारण बने। इस संदर्भ में कथा का विस्तार इस तरह मिलता है कि गृत्समद नाम के ऋषि देवी लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने के लिए हर दिन मंत्रोच्चार के साथ कुश के अग्र भाग से एक कलश में दूध की बूंदे डालते थे। एक दिन जब ऋषि आश्रम में नहीं थे तब रावण वहां आ पहुंचा और वहां मौजूद ऋषियों को मारकर उनका रक्त कलश में भर लिया। इस कलश को रावण ने महल में लाकर छुपा दिया। मंदोदरी उस कलश को लेकर बहुत उत्सुक थी कि आखिर उसमें है क्या। एक दिन जब रावण महल में नहीं था तब चुपके से मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा। मंदोदरी कलश को उठाकर सारा रक्त पी गई, जिससे वह गर्भवती हो गई। यह भेद किसी को पता ना चले इसलिए वह लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छुपाकर मिथिला भूमि में छोड़ आई। इस तरह सीता को रावण की पुत्री बताया जाता है।
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