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Thursday, May 11, 2023

रायसेन/बरेली, शबरी का प्रसंग मानस में भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है, शबरी प्रसंग सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता।

शबरी का प्रसंग मानस में भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है, शबरी प्रसंग सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता।

रायसेन/बरेली, शबरी का प्रसंग मानस में भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है, शबरी प्रसंग सुनकर मंत्र मुग्ध हुए श्रोता।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। समनापुर काछी में चल रहे श्री राम महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस नर्मदा भक्ति पंथ परिवार की राष्ट्रीय अध्यक्ष रत्न मणि द्विवेदी ने शबरी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रभु राम जानते थे की शबरी तो कुछ समय बाद ही शरीर त्याग देंगी, पर फिर भी प्रभु ने उन्हे भक्ति का उपदेश क्यों दिया? बार-बार समझाने पर भी शबरी जब अपनी जाति की हीन भावना को नहीं छोड़ पा रही थी तो प्रभु क्या बोले? शबरी का प्रसंग मानस में भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है। प्रभु राम दंडकारण्य में शबरी का पता पूछते-पूछते शबरी के आश्रम पहुंचे हैं। मार्ग में इतने सारे ऋषि मुनि हाथ जोड़े प्रभु को अपने आश्रम में ले जाने के लिए दरवाजो पर टकटकी लगा कर खड़े थे पर प्रभु ने कहा नहीं-नहीं हमें शबरी का पता बताइये। शबरी राम प्रभु को पहचानती नहीं थी। शबरी ने गुरु से पूछा था गुरुदेव आप कहते हैं राम आएंगे पर मैं राम को पहचानुगीं कैसे? तो मतंग ऋषि ने कहा था शबरी तेरे द्वार पर जब पहली बार कोई पुरुष वेश में आए तो समझना राम आए है। तेरे द्वार पर काम कभी आएगा ही नहीं, आयेगा तो केवल राम आएगा। अब राम को देख कर शबरी को गुरु के वचन याद आ गए और शबरी गद-गद हो गयी। शबरी प्रेम में विहल हो गईं, उनके मुख से वचन नहीं निकलता। बस बार-बार प्रभु के चरण-कमलों में सिर नवाती है। अब शबरी कहने लगी हे प्रभु! में किस प्रकार आपकी वंदना करूँ। मुझे तो कोई विधि आती नहीं और आपकी पूजा तो विधि विधान से की जाती है। इस पर प्रभु बोले अरे शबरी विधि का क्या करोगी जब तुम्हारे सामने विधाता ही आ गया है तो विधि को भूल जाओ, बैठ जाओ, पर शबरी को अब सब्र नहीं है वो कहती है प्रभु में अधम (छोटी) जाति की हूँ, मंद बुद्धि हूँ, जड़ हूँ। और ऊपर से मैं नारी हूँ, और नारियों मेँ भी सबसे अधम नारी हूँ। पापनाशन हूँ। मैं कैसे आपके सम्मुख हो सकती हूँ। बार-बार समझाने पर भी शबरी जब अपनी जाति की हीन भावना को नहीं छोड़ पा रही थी तो प्रभु बोले - जाति, पाँति, कुल, धर्म, यश, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुराई ये दस चीजे मनुष्य को संसार में तो बड़ा बना सकती हैं पर मैं इन सब को नहीं मानता। इस पर शबरी बोली प्रभु तो आप क्या मानते है? प्रभु बोले! मैं तो केवल एक भक्ति ही का संबंध मानता हूँ। इस पर शबरी ने दूसरा प्रश्न कर दिया- प्रभु भक्ति आप किसको मानते है? ये सुन कर प्रभु राम बोले, हे शबरी जी मैं आपको भक्ति के पूरे नौ गुण समझता हूँ। ध्यान पूर्वक सुनिए– प्रभु जानते थे की शबरी तो कुछ समय बाद ही शरीर त्याग देंगी और उन्हे अब भक्ति की आवश्यकता नहीं है, पर शबरी को सर्वोत्तम पात्र जान कर प्रभु ने भक्ति का संदेश उनके माध्यम से सारे जगत को दिया, जगत कल्याण के लिए दिया।

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