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Wednesday, January 31, 2024

रायसेन/बरेली, छल से कभी मित्रता नहीं निभ सकती - ब्रह्मचारी महाराज

छल से कभी मित्रता नहीं निभ सकती - ब्रह्मचारी महाराज

  • रोगोपचार पौराणिक नुख्शो की विस्तार से की व्याख्या

रायसेन/बरेली, छल से कभी मित्रता नहीं निभ सकती - ब्रह्मचारी महाराज

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली
बरेली। बुधवार को मानस मंडल सम्मेलन समिति के तत्वावधान में मानस सत्संग भवन में चल रही श्रीगरुड़ महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के छठवें दिन कथा व्यास ब्रह्मचारी महाराज ने जीवन शैली और रोग उपचार के पोराणिक नुख्सों की विस्तार से व्याख्या की। महाराज जी ने बताया की छल से कभी मित्रता नहीं निभ सकती। सुख चाहने वालों को विद्या प्राप्त नहीं हो सकती, विद्या सुख से नहीं आती। कथा व्यास ने बताया श्रीगरुड़ महापुराण के अनुसार मंत्र चिकित्सा, रसायन चिकित्सा, औषधी चिकित्सा सहित चार प्रकार की चिकित्सा होती है। रोग होने और आयु कम होने के लिए 6 प्रमुख कारण होते हैं। इनमें ज्यादा पानी पीना, कठिन अर्थात गरिष्ठ भोजन, धतु का क्षय, मल, मूत्र आदि वेगों का रोकना, दिन में सोना और रात्रि में जागना होते हैं। सूर्य को उदय काल में देखना, अधिक विषय, मुर्दों के धुंआ में रहना, आग में ज्यादा हाथ तापना, रजस्वला स्त्री को देखने से आयु क्षीण होती है। अकाल मौत के कारणों में मेला कपड़ा पहनना, दातून न करना, बहुत ज्यादा भोजन करना, निष्ठुर भाषण, सूयोदय और सूर्यास्त के समय सोना, धन की चोरी करना, बैठे-बैठे तिनका तोड़ना, पैर के नाखून से जमीन खोदना, सिर के बालों को बिना तेल का रूखा रखना, बिना वस्त्र के सोना, अपने शरीर पर बजाना सम्मिलित है। वहीं दूसरी औऱ सिर को और पैर को अच्छे से साफ रखना, ज्यादा भोजन न करना शुभ और लक्ष्मी कारक हैं। नहाने के बाद के गीले वस्त्र का पानी, झाड़ू की धूल, चर्चारत दो ब्राह्मण, गुरु शिष्य, पत्नी पति के बीच से निकलना अशुभ माना गया है।

बहुत फलदाई होता है एकादशी का व्रत
एकादशी का व्रत बहुत पुण्यकारी और फलदाई होता है। विशेष रूप से हमारी रक्षा करता है। माघ की शुक्ल पक्ष की गयरस के व्रत से ब्रह्म हत्या का पाप भी कट जाता है। ग्यारस व्रत का पुण्य लाभ दान, तीर्थ, यज्ञ से भी ज्यादा होता है। ग्यारस के व्रत विधि के अनुसार सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान दैनिक क्रिया के उपरांत पंच गव्य का सेवन करने के साथ व्रत शुरू होता है। तीन बार स्नान करना, जमीन में सोना, एकांत में रहकर यज्ञ हवन आदि करना चाहिए।

चारों पुरुषार्थों का साधन शरीर है
ब्रह्मचारी महाराज ने बताया कि शरीर पुरुषार्थ करने का साधन है। शरीर नाराज हो जाए तो क्षमा नहीं करता। शरीर से कभी अन्याय नहीं करना चाहिए। वित्त, कफ पित्त तीनो से बढ़ने से होने वाला बुखार जान लेवा होता है। बुखार का कारण मिथ्या भोजन, बार-बार भोजन, विरुद्घ भोजन जैसे मूली और ढूध एक साथ लेना, अचार औऱ ढूध साथ खाना विरुध्द भोजन है। मधुमेह वाले व्यक्ति को सामान्य व्यक्ति की तुलना में 8 गुना क्षमता का हार्ट अटैक होता है। मधुमेह के रोगी को परिश्रम करना चाहिए।

भोजन चुराने वाला व्यक्ति मक्खी बनता है
ब्रह्मचारी महाराज ने गरुड़ पुराण के अनुसार बताया की भोजन चुराने वाला मनुष्य मक्खी, सोने की चोरी करने वाला साँप बनता है, अग्नि की चोरी करने वाला बगुला, सुगंधित पदार्थो की चोरी करने वाला मनुष्य छछुंदर बनता है।

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