Post Top Ad
Thursday, March 7, 2024

Home
ताजा खबर
धर्म
मध्य प्रदेश
रायसेन
शिव का जन्मोत्सव रात्रि में क्यों? - देवी रत्नमणि द्विवेदी संरक्षक नर्मदा भक्ति पंथ
शिव का जन्मोत्सव रात्रि में क्यों? - देवी रत्नमणि द्विवेदी संरक्षक नर्मदा भक्ति पंथ
घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली
बरेली। 'रात्रि' वास्तव में अज्ञान, तमोगुण अथवा पापाचार की निशानी है। अत: द्वापरयुग और कलियुग के समय को 'रात्रि' कहा जाता है। कलियुग के अन्त में जबकि साधू, सन्यासी, गुरु, आचार्य इत्यादि सभी मनुष्य पतित तथा दुखी होते है और अज्ञान-निंद्रा में सोये पड़े होते है, जब धर्म की ग्लानी होती है और जब यह भरत विषय-विकारों के कारण कलिकाल बन जाता है, तब पतित-पावन परमपिता परमात्मा शिव इस सृष्टि में दिव्य-जन्म लेते है, इसलिए अन्य सबका जन्मोत्सव तो 'जन्म दिन' के रूप में मनाया जाता है परन्तु परमात्मा शिव के जन्म-दिन को 'शिवरात्रि' ही कहा जाता है। भगवान के चित्र में जो कालिमा अथवा अन्धकार दिखाया जाता है वह अज्ञानान्धकार अथवा विषय-विकारों की रात्रि का घोतक है। ज्ञान-सूर्य शिव के प्रकट होने से सृष्टि से अज्ञानान्धकार तथा विकारों का नाश जब इस प्रकार अवतरित होकर ज्ञान-सूर्य परमपिता परमात्मा शिव ज्ञान-प्रकाश देते है तो कुछ ही समय में ज्ञान का प्रभाव सारे विश्व में फ़ैल जाता है और कलियुग तथा तमोगुण के स्थान पर संसार में सतयुग और सतोगुण कि स्थापना हो जाती है और अज्ञान-अन्धकार का तथा विकारों का विनाश हो जाता है। सारे कल्पों में परमपिता परमात्मा शिव के एक अलौकिक जन्म से थोड़े ही समय में यह सृष्टि पापालय से बदल कर शिवालय बन जाती है और नर को श्री नारायण पद तथा नारी को श्री लक्ष्मी पद का प्राप्ति हो जाती है इसलिए शिवरात्रि हीरे तुल्य है।
"ॐ नम: शिवाय" वह मूल मंत्र है, जिसे कई सभ्यताओं में महामंत्र माना गया है। इस मंत्र का अभ्यास विभिन्न आयामों में किया जा सकता है। इन्हें पंचाक्षर कहा गया है, इसमें पांच मंत्र हैं। ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पांच तत्वों के प्रतीक हैं और शरीर के पांच मुख्य केंद्रों के भी प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से इन पांच केंद्रों को जाग्रत किया जा सकता है। ये पूरे तंत्र के शुद्धीकरण के लिए बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं।
महाशिवरात्रि का मूल
पुराणों में महाशिवरात्रि को लेकर कई तरह के वृत्तांत हैं। जिसमें सबसे अधिक प्रचलित है शिकारी द्वारा अनजाने में की गई शिवरात्रि की कथा। लेकिन यह कथा शिवरात्रि के व्रतफल की कथा है न कि इसकी मूल कथा। मूल कथा कुछ इस प्रकार है -
"शिव परंब्रह्म हैं। सृष्टि उनकी ही परिकल्पना है सृष्टि के अस्तित्व में आने के पहले चारों और सर्वव्यापक अन्धकार होता है। तब शिव सृष्टि की परिकल्पना करते हैं। ब्रह्माण्ड की रचना करते हैं, त्रिदेवों का गठन होता है। तथा सृष्टि अस्तित्व में आती है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि परंब्रह्म शिव का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया।"
जब कल्प के समाप्ति पर शिव सृष्टि को विलीन कर देतें हैं तो एक बार फिर रह जाता है - सिर्फ अन्धकार। ऐसे ही एक अवसर पर (जब पूरी सृष्टि अँधकार में डूबी हुई थी) पार्वतीजी ने शिवजी की पूर्ण मनोयोग से साधना की। शिव जी ने प्रसन्न होकर पार्वती जी को वर दिया। पार्वतीजी ने महादेव से यह वर मांगा कि जो कोई भी इस दिन अगर आपकी साधना करे तो आप उस पर प्रसन्न हो जांए तथा मनवांछित वर प्रदान करें। इस प्रकार पार्वती जी के वर के प्रभाव से शिवरात्रि का प्रारम्भ हुआ।
एक अन्य पुराण कथा के अनुसार जब सागर मंथन के समय सागर से कालकेतु विष निकला तब शिव ने संसार के रक्षा हेतु सम्पूर्ण विष का पान कर लिया और नीलकंठ कहलाए। इसी अवसर को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर ही शिव-पार्वती का विवाह भी सम्पन्न हुआ था। फाल्गुन कृष्ण-चतुर्दशी की महानिशा में आदिदेव कोटि सूर्यसमप्रभ शिवलिंग के रुप में आविर्भूत हुए थे। फाल्गुन के पश्चात वर्ष चक्र की भी पुनरावृत्ति होती है अत: फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को पूजा करना एक महाव्रत है जिसका नाम महाशिवरात्रि व्रत पड़ा।
Tags
# ताजा खबर
# धर्म
# मध्य प्रदेश
# रायसेन
Share This
About Ghatak reporter
रायसेन
Labels:
ताजा खबर,
धर्म,
मध्य प्रदेश,
रायसेन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Post Bottom Ad
Author Details
माता रानी की कृपा एवं मात्र पित्र आशीर्वाद
यह वैबसाइट दैनिक एवं साप्ताहिक घातक रिपोर्टर समाचार पत्र का अंग है जो आपकी बात प्रशासन के साथ कहता है, जनता से जुड़े हर मुद्दे को मंच देता है ताकि जनता को न्याय मिल सके। घातक रिपोर्टर समाचार पत्र का प्रकाशन प्रदेश की राजधानी भोपाल से किया जा रहा है जहां से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार की जाती है। घातक रिपोर्टर हिंदी भाषी समाचार पत्र, यू ट्यूब न्यूज चैनल व घातक रिपोर्टर वैबसाइट है जो अपने मूल मंत्र "खबर हमारी प्र्तयेक अपराधी पर भारी" के साथ आगे बढ़ रहा है। घातक रिपोर्टर एक एसी सोच की उपज है जो लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ "मीडिया" की दुनिया में नया अध्याय लिखना चाहते है। घातक रिपोर्टर की कुशल टीम सरोकारी पत्रकारिता को नये आयाम देते हुए न्याय दिलाने की हर कसौटी पर खरी उतरने की ओर अग्रसर है। देश और दुनियां की खबरों के लिए रहें हमारे साथ।
हमारे बिना अप्रतिनिधि वाले क्षेत्रों मैं प्रतिनिधि बनने के लिए संपर्क करें -
Mo. No. - 9329393447, 9009202060
Email - ghatakreporter@gmail.com
Website - www.ghatakreporter.com
No comments:
Post a Comment
ghatakreporter.com मै आपका स्वागत है।
निस्पक्ष खबरों के लिए निरंतर पढ़ते रहें घातक रिपोर्टर
आपकी टिप्पड़ी के लिए धन्यवाद