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Saturday, March 2, 2024

अपने फोन के डिस्प्ले के बारे में कितना जानते हैं आप? OLED की तुलना में AMOLED बेहतर ऑप्शन

अपने फोन के डिस्प्ले के बारे में कितना जानते हैं आप? OLED की तुलना में AMOLED बेहतर ऑप्शन

अपने फोन के डिस्प्ले के बारे में कितना जानते हैं आप? OLED की तुलना में AMOLED बेहतर ऑप्शन

टेक्नोलॉजी। जब आप नया फोन खरीदने जाते हैं तो कुछ फीचर्स का हमेशा खास ख्याल रखते हैं जिसमें बैटरी कैमरा और डिस्प्ले जैसे विकल्प शामिल होते हैं। मगर क्या आप इनके बारे में सबकुछ जानते है? आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिए हमने एक ऐसी सीरीज शुरू की है जिसमें हम आपको आपके फोन से जुड़ी अहम जानकारी देंगे। आज हम फोन के डिस्प्ले के बारे में जानेंगे। अक्सर जब आप फोन खरीदते होंगे या उसके फीचर्स के बारे में पढ़ते होंगे तो आपको डिस्प्ले सेक्शन में OLED LED, pOLED और AMOLED जैसे टर्म दिखाई देते होंगे, मगर क्या कभी आपने सोचा है कि ये अलग-अलग डिस्प्ले क्या है और कैसे काम करते हैं। आपके फोन के लिए ये डिस्प्ले क्यों जरूरी है? फोन से जुड़े आपके हर छोटे-बड़े सवालों का जवाब देने के लिए हमने नो योर फोन (Know Your Phone) से एक सीरीज शुरू की है। इस सीरीज के तहत हम पहले ही बैटरी के बारे में जान चुके हैं।आज हम फोन के डिस्प्ले और उससे जुड़ी सभी जरूरी चीजों के बारे में जानेंगे तो आइये शुरू करते हैं।

फोल्डेबल और रोलेबल डिस्प्ले
बीते कुछ सालों में फोल्डेबल डिस्प्ले का कॉन्सेप्ट काफी चर्चा में रहा है। ये OLED डिस्प्ले का अपग्रेटेड वर्जन है, जिसमें रोशनी(लाइट) की परत को हटाकर इसको और पतला और लचीला बनाया जाता है। ताकि इसे अपने मन मुताबिक मोड़ा जा सकें। इस डिस्प्ले का उपयोग ही रोलेबल या फोल्डेबल फोन में किया जाता है।

कौन सा डिस्प्ले है बेहतर?
अगर हमारे पास बहुत से ऑप्शन होते हैं तो अक्सर हमारे दिमाग में ये सवाल आता है कि कौन सा डिस्प्ले बेहतर है। हालांकि ये कहना कि गलत होगा, क्योंकि हर डिस्प्ले की अपनी खासियत होती है, जो उसे अन्य से अलग बनाती है।
LCD की बात करें तो इसका मतलब लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले है। यह स्मार्टफोन में पाई जाने सबसे सामान्य डिस्प्ले तकनीक है। इसमें पिक्सल को दिखाने के लिए बैकलाइट का उपयोग करता हैं। बैकलाइट लिक्विड क्रिस्टल के माध्यम से चमकती है, और इन क्रिस्टल की व्यवस्था हर पिक्सेल से गुजरने वाले प्रकाश की मात्रा निर्धारित करती है।
वहीं अगर OLED की बात करें तो इसे ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड कहा जाता है। OLED डिस्प्ले को अलग बैकलाइट की जरूरत नहीं होती है।
LCD की तुलना में OLED डिस्प्ले बेहतर कंट्रास्ट, अधिक जीवंत रंग और गहरा काला रंग देते हैं। येडिस्प्ले पतले, हल्के और फ्लेक्सिबल भी होते हैं। अपनी क्वालिटी के कारण ये डिस्प्ल LCD की तुलना में अधिक महंगे हैं।
इसके अलावा सैमसंग फोन अपने ज्यादातर फोन में AMOLED डिस्प्ले का उपयोग किया जाता है। इसका मतलब एक्टिव मैट्रिक्स ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड है। ये डिस्प्ले OLED डिस्प्ले तकनीक का एक अपडेटेड या एडवांस वर्जन है, जो हर पिक्सेल को कंट्रोल करने के लिए एक्टिव मैट्रिक्स तकनीक का उपयोग करता है।
AMOLED डिस्प्ले हर पिक्सेल को एक्टिवली कंट्रोल करने के लिए एक थिन-फिल्म ट्रांजिस्टर (TFT) का उपयोग करता है। इसका मतलब है कि इस डिस्प्ले के साथ आपको बेहतर व्यूइंग एक्सपीरियंस मिलता है।

फोन में इस्तेमाल होते हैं ये डिस्प्ले
बीते कुछ सालों में फोन के डिस्प्ले में काफी बदलाव देखा गया है, जहां पहले हम कीपैड फोन का इस्तेमाल करते थे, वहीं अब हमारे पास फोल्डेबल और रोलेबल डिस्प्ले या डिवाइस का विकल्प भी है। ऐसे में बदलती तकनीकी के साथ-साथ डिस्प्ले की तकनीकी भी बेहतर हुई है।
स्मार्टफोन की बात करें तो उसमें कई अलग-अलग तरह के डिस्प्ले मिलते हैं, जिसमें LCD, OLED, AMOLED, सुपर AMOLED, TFT, IPS और TFT-LCD शामिल हैं।
अगर मिड रेज से लेकर हाई एंड के फोन की बात करें तो इनमें सबसे अधिक पाया जाने वाला डिस्प्ले IPS-LCD है। हालांकि फोन के डिस्प्ले के लिए AMOLED को OLED से बेहतर माना जाता है। ऐसे में अगर आप भी इसको लेकर कंप्यूज रहते हैं तो हम आपकी मदद करने जा रहे हैं।

OLED से बेहतर है AMOLED
फोन के डिस्प्ले के लिए AMOLED को OLED से बेहतर माना जाता है। इसका कारण यह है कि AMOLED एलईडी के कंडक्टरों के बीच कार्बनिक एलीमेंट का उपयोग करने के बजाय इंडिविजुअल पिक्सेल कंट्रोल के लिए ट्रांजिस्टर के एक एक्टिव वायरिंग मैट्रिक्स को शामिल करके OLED तकनीक पर आधारित है।

इन फैक्टर्स से भी प्रभावित होता है आपका डिस्प्ले
अक्सर डिस्प्ले के साथ रिजॉल्यूशन, ब्राइटनेस और रिफ्रेश रेट जैसे फैक्टर्स की बात होती है। ये फैक्टर्स आपको बेहतर व्यूइंग एक्सपीरियंस देने में मदद करते हैं। आइये इनके बारे में जानते है।

रिजॉल्यूशन: स्क्रीन की साइज को HD, HD+, FullHD, 4K में पेश किया जाता है और इसे डिस्प्ले का रिजॉल्यूशन कहते है। ये रिजॉल्यूशन फोन की स्क्रीन पर प्रदर्शित पिक्सेल की संख्या का दर्शाता है। अगर किसी डिस्प्ले पर अधिक पिक्सेल है तो उसपर इमेज या वीडियो बेहतर ढ़ग से दिखती है। स्मार्टफोन ब्रांड अपने फोन के लिए आमतौर पर एचडी, फुलएचडी और अल्ट्राएचडी डिस्प्ले का उपयोग करते हैं।

डिस्प्ले की ब्राइटनेस: किसी डिस्प्ले की ब्राइटनेस आपको कम रोशनी या अधिक रोशनी की स्थिति में आसानी से देखने लायक बनाती है। इसे Nits में मापा जाता है। जितनी अधिक ब्राइटनेस उतना ही स्क्रीन की विजिबिलिटी होती है और तेज छूप में भी आप इसे देख सकते है।

रिफ्रेश रेट: अक्सर हम पढ़ते हैं कि किसी फोन के डिस्प्ले का रिफ्रेश रेट 90Hz या 120Hz है, लेकिन क्या आप इसके बारे में जानते है? इसे रिफ्रेश रेट कहते हैं। ये वैल्यू जितनी अधिक होती है उतने ही फ्रेम पर सेकेंड बनता है। इसे गेमिंग और वीडियो देखते समय काफी मदद मिलती है। आपको बता दें कि 2019 और 2020 में हाई-एंड और यहां तक कि कुछ मिड-रेंज स्मार्टफोन में भी इनका काफी इस्तेमाल हुआ है।

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