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Friday, April 30, 2021

रायसेन/मंडीदीप, जिंदगी की सांसों की मांग और आपूर्ति में अभी भी बड़ा अंतर, ऑक्सीजन अभी भी खुद वेंटिलेटर सपोर्ट पर।

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जिंदगी की सांसों की मांग और आपूर्ति में अभी भी बड़ा अंतर, ऑक्सीजन अभी भी खुद वेंटिलेटर सपोर्ट पर।

  • कतरा-कतरा बंट रही ऑक्सीजन, 23 टन की मांग 12 टन ही मिल पा रही ऑक्सीजन।
  • इसके बाद भी गैस फिलिंग सेंटर संचालक कह रहे हमारे यहां से कोई खाली नहीं लौट रहा।
  • निजी अस्पताल 7 मांग रहे तो सुबह से शाम तक में 2 सिलेंडर ही मिल रहे।


रायसेन/मंडीदीप, जिंदगी की सांसों की मांग और आपूर्ति में अभी भी बड़ा अंतर, ऑक्सीजन अभी भी खुद वेंटिलेटर सपोर्ट पर।

घातक रिपोर्टर, अरविंद सिंह जादौन, भोपाल।
9329393447/900202060
रायसेन/मंडीदीप। कोरोना संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ रहा है, लाइफ सपोर्ट सिस्टम कोमा में पहुंच रहा है। सरकारी अस्पताल हो या फिर प्राइवेट... हर जगह बेड और ऑक्सीजन के लिए वेटिंग बढ़ती जा रहा है और मरीजों की सांसें फूल रही हैं। हालात इतने गंभीर हैं की ऑक्सीजन की जितनी डिमांड भेजी जा रही उसका सिर्फ 40 फीसदी ही मिल रहा है। अस्पतालों में बेड के लिए विवाद हो रहे हैं। भले ही स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अधिकारी दावे कर रहे हैं कि अस्पतालाें के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच रही है, जबकि इसके उलट सच्चाई यह है कि प्राइवेट अस्पताल 7 सिलेंडर मांग रहे हैं तो उन्हें बमुश्किल दिन भर में 2 सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं। निजी अस्पतालों द्वारा जैसे-तैसे व्यवस्था की जा रही है और यदि 24 घंटे में एक बार भी ऑक्सीजन समय पर नहीं पहुंची तो अस्पताल के मरीजों की हालत खराब होना तय है। आरोग्य अस्पताल के संचालक डॉक्टर अभिजीत पाटिल बताते हैं कि हमारी प्रतिदिन की मांग 5 से 7 सिलेंडर है लेकिन हमें सुबह से शाम तक में 2 सिलेंडर ही मिल पाते हैं। इससे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखे गए मरीजों के सामने हमेशा ऑक्सीजन का संकट बना रहता है। ऐसे ही हालात रहे तो मरीजों को संभालना मुश्किल होगा। 

मांग के मुताबिक आधे ही मिल रहे सिलेंडर

गंगा हॉस्पिटल के मनोज बताते हैं कि उनके यहां प्रतिदिन 10 सिलेंडरों की खपत होती है, परंतु काफी जद्दोजहद के बाद 5 सिलेंडर ही मिल पा रहे हैं। मनोज का कहना है की मांग के अनुसार ऑक्सीजन ना मिलने से मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। ऑक्सीजन के अभाव में उन्हें जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

औद्योगिक क्षेत्र में दो फिलिंग सेंटर, दोनों को मिल रही 12 टन ऑक्सीजन

इनआइट क्रायोजेनिक ऑक्सीजन गैस प्लांट के संचालक महेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि हमें दो-तीन दिन छोड़कर 8 से 9 टन ऑक्सीजन गैस मिल जाती है। जिससे हम जिले की निजी और सरकारी अस्पतालों के साथ नर्मदापुरम जिले को भी गैस वितरित कर रहे हैं। हमारे यहां से कोई भी खाली नहीं लौट रहा है, सबको जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन दी जा रही है। वहीं भार्गव कार्बोनिक्स के संचालक सौरभ भार्गव बताते हैं कि उनकी प्रतिदिन की मांग 7 से 8 टन है परंतु उन्हें 2 दिन छोड़कर 4 टन ही ऑक्सीजन मिल पा रही है। वे बताते हैं कि क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग 23 टन की मांग है‌ जिसमें से 12 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति हो पा रही है।

नगर में प्रतिदिन 315 क्यूसेक मीटर ऑक्सीजन की हो रही खपत

औद्योगिक नगरी में एक सरकारी अस्पताल के साथ 6 निजी अस्पताल है। जहां सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन 15 सिलेंडरों की खपत होती है वहीं निजी अस्पतालों में 7 क्यूसेक मीटर क्षमता वाले 30 सिलेंडरों की खपत होती है। इस तरह पूरे उद्योग नगरी के सातों अस्पताल में प्रतिदिन 315 क्यूसेक मीटर ऑक्सीजन लग रही है।

इनका कहना है...

ऑक्सीजन गैस की अब कमी नहीं है, निजी और सरकारी अस्पतालों को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन दी जा रही है।
मुकेश राज, प्रभारी ऑक्सीजन फिलिंग व नायब तहसीलदार, औबेदुल्लागंज

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