संक्रमण से पीड़ित पत्रकार का घर मे पड़ा था शव, नहीं पहुंचे परिजन तो पुलिस ने दिखाई मानवता, यहाँ क्लिक कर पढ़े पूरी खबर। - Ghatak Reporter

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Saturday, May 1, 2021

संक्रमण से पीड़ित पत्रकार का घर मे पड़ा था शव, नहीं पहुंचे परिजन तो पुलिस ने दिखाई मानवता, यहाँ क्लिक कर पढ़े पूरी खबर।

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संक्रमण से पीड़ित पत्रकार का घर मे पड़ा था शव, नहीं पहुंचे परिजन तो पुलिस ने दिखाई मानवता।


संक्रमण से पीड़ित पत्रकार का घर मे पड़ा था शव, नहीं पहुंचे परिजन तो पुलिस ने दिखाई मानवता, यहाँ क्लिक कर पढ़े पूरी खबर।

गोमती नगर निवासी चंदन प्रताप सिंह पुत्र एनपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार थे, वो घर पर परिवार के साथ रहते थे। कुछ दिन पहले उन्हें कोरोना हो गया था, जिसके चलते वो घर पर ही क्वारैंटाइन हो गए थे। गोमती नगर पुलिस का कहना है कि उन्हें सूचना मिली कि एक घर से अजीब से महक आ रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि ये घर पत्रकार का है, जिन्हें कोरोना हो गया था। पुलिस घर के अंदर दाखिल हुई तो वहां चंदन प्रताप का शव पड़ा था। पड़ोसियों ने बताया कि जब से चंदन घर पर अकेले थे उनके परिवार से कोई मिलने नहीं आया। पुलिस ने उनके परिजनों को जानकारी दी बावजूद इसके कोई नहीं आया। जिसके बाद गोमती नगर थाने में तैनात दरोगा दयाराम साहनी, अरुण यादव, प्रशांत सिंह और राजेंद्र बाबू ने मृतक पत्रकार के परिजनों की भूमिका निभाते हुए उनकी अर्थी को कांधा दिया और बैकुंठ धाम पहुंचाया। यहां पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया गया। पुलिस के इस मानवीय पहल से जहां विभाग की साख बढ़ी है, वहीं लोग पुलिस की तारीफ भी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार मृतक पत्रकार की पत्नी उनसे अलग रह रही थी।


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ कोरोना संक्रमण के मामले में वुहान बनता नजर आ रहा है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि मरने के बाद अब परिजन भी शव लेने से किनारा कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला लखनऊ में सामने आया है। एक वरिष्ठ पत्रकार का कोरोना के चलते निधन हो गया, उनका शव घर पर पड़ा रहा। कोई परिजन उनकी सुध लेने समय से नहीं पहुंचा तो अंत में यह जिम्मेदारी लख़नऊ पुलिस को निभानी पड़ी। जानकारी के अनुसार, गोमतीनगर थाने में तैनात चार उपनिरीक्षक ने कंधा दिया। यहां तक कि अपनों ने ही उन्हें लावारिस घर पर छोड़ दिया। ऐसे में गोमती नगर पुलिस ने ना सिर्फ इंसानियत की मिसाल पेश की बल्कि शव के वारिस भी बने और अर्थी को कंधा देकर उन्हें भैसाकुण्ड श्मशान घाट पहुंचाया।

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