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Friday, June 18, 2021

रायसेन/देवरी, लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता हुआ जलमग्न, किसान हो रहे परेशान।

लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता हुआ जलमग्न, किसान हो रहे परेशान।

  • मूंग की फसल पहले ही चौपट, अगली फसल के लिए रास्ता बंद।

रायसेन/देवरी, लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता हुआ जलमग्न, किसान हो रहे परेशान।

घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। देवरी से रम्पुरा की ओर जाने वाली रास्ते पर जहां पर ग्राम पंचायत देवरी का पानी सप्लाई रूम है उसके नजदीक से लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता जो कि पारताल तक जाता है। वही रास्ता लगभग सौ से डेढ़ सौ किसानों के निकलने का मुख्य रास्ता है, वह इस समय पानी में डूबा हुआ है। रास्ता पूर्ण रूप से बंद है अब किसान अपनी बची हुई मूंग की फसल को कैसे बचा सकते हैं, यह बहुत बड़ा प्रश्न है। ट्रैक्टर, थ्रेशर आदि वहां जा नहीं सकते मजबूरी में बेचारा किसान अपनी फसल को बर्बाद होते देख रहा है। किसान करें तो क्या करें, प्रशासन उसकी सुनता नहीं है। घातक रिपोर्टर उसी जगह पर रिपोर्टिंग करने के लिए गया वहां जाकर देखा तो किसानों पर दया आ गई। किस प्रकार से रास्ता बंद होने के कारण किसान परेशान हैं, चारों ओर पानी ही पानी है। जैसे-तैसे मौसम खुलने पर कुछ बची मूंग को बहने बचा सके तो निकलने का रास्ता पानी में डूबा हुआ है, आने वाली अगली फसल पर भी गहरा संकट है। उपस्थित किसानों ने बताया कि दीपावली के लगभग तक यह रास्ता बंद रहता है। रास्ते पर मौजूद किसानों ने हमें बताया कि कई बार विधायक, सांसद, तहसीलदार, ग्राम पंचायत को ज्ञापन दे चुके लेकिन कोई सुनवाई अभी तक नहीं हुई है। यह ज्ञापन देने का सिलसिला विगत 3 बरसों से लुकाछिपी के भाती चल रहा है। वहां पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित होकर किसानों के दुख को बांटने के लिए नहीं पहुंचा। किसान बहुत निराश हैं और इस आशा में कि कोई तो उनकी बात को मुख्यमंत्री, कलेक्टर और कृषि मंत्री तक पहुंचाएं जिससे उनकी समस्या का हल हो सके। कई किसान ऐसे थे जोकि रिपोर्टिंग के दौरान फूट-फूट कर रोने लगे, रोते हुए उन्होंने बताया कि हमारी मूंग की फसल पहले ही चौपट हो गई अब अगली फसल के लिए रास्ता बंद है, हम क्या करें। यदि प्रशासन इस रास्ते को ठीक कर देता है तब तो हम अगली फसल की बोवनी कर सकते हैं नहीं तो बेबस-मजबूर है। सभी किसानों ने मुख्यमंत्री, कलेक्टर और तहसीलदार से निवेदन किया है कि उनकी समस्या को सुलझाएं नहीं तो सभी किसान एकजुट होकर यही धरने पर बैठेंगे और आंदोलन करेंगे। आखिर किसानों के साथ ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा है। किसानों की मजबूरी का फायदा ना उठाया जाए। अगर किसान जाग गया तो मध्य प्रदेश सरकार की ईट से ईट बजा देगा, इसका खामियाजा मध्य प्रदेश सरकार एक बार भुगत चुकी है। ऐसे में अगर किसान की इस समस्याओं को हल नहीं किया जाता है तो फिर किसान आगामी समय में सरकार को किसानों की ताकत का एहसास कराएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने किसान का बेटा कहते हैं, लेकिन किसानों की समस्याओं का निराकरण करने वाला कोई भी नहीं है। ऐसे में किसान अपनी समस्या लेकर जाए तो जाए कहां, अजब मध्यप्रदेश की गजब तस्वीर है।

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