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Thursday, September 9, 2021

रायसेन/देवरी, सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने से छात्र नहीं दिखा पा रहे प्रतिभा।

सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने से छात्र नहीं दिखा पा रहे प्रतिभा।

  • ग्रामीणों ने की गांव के हाई सेकेंडरी स्कूल पर खेल मैदान बनाने की मांग।

रायसेन/देवरी, सरकारी स्कूलों में खेल का मैदान नहीं होने से छात्र नहीं दिखा पा रहे प्रतिभा।

घातक रिपोर्टर, दुर्गेश तिवारी, रायसेन/देवरी।
देवरी। उदयपुरा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले 17 स्कूलों में से 12 हाई स्कूल ऐसे हैं। जहां छात्रों को खेलने के लिए खेल मैदान नहीं हैं। जबकि पांच हायर सेकंडरी स्कूलों में से मात्र तीन स्कूल के पास खेल मैदान हैं। जबकि उदयपुरा ब्लॉक से कई छात्रों ने स्टेट लेवल और राष्ट्रीय स्तर तक खेलकर अपनी प्रतिभा उजागर कर चुके हैं। लेकिन हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में खेल मैदानों की कमी छात्रों की प्रतिभाओं को कहीं न कहीं अवश्य रोक रही है। नगर के उत्कृष्ट विद्यालय उदयपुरा में खेल का मैदान है। वहीं कन्याशाला स्कूल खेल मैदान से वंचित है। कैंपस के अंदर ही छात्राएं छुट-पुट खेलकर अपनी प्रतिभा में निखार ला रही हैं। वहीं हायर सेकंडरी बालक देवरी के पास खेल का मैदान है और कन्याशाला देवरी में भी अंदर ही छात्राएं खेलकर अपनी प्रतिभा में निखार ला रही हैं। हायर सेकंडरी स्कूल थाला दिघावन के पास खेल का मैदान है, लेकिन यह विकसित नहीं है। इसके अतिरिक्त ब्लॉक के 12 हाई स्कूल ऐसे हैं जहां खेल मैदान ही नहीं हैं और यहां केवल बच्चे स्वयं ही छोटे-मोटे मैदानों में खेलकर खेल गतिविधियों को पूर्ण कर लेते हैं। शासन जहां छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बनाने का प्रयास कर रहा है। वहीं खेल मैदान न होने के कारण छात्रों के स्वास्थ्य के अलावा अध्यापन में भी विपरीत प्रभाव डाल रही है।

स्कूल मैदान को समतल किया जाए

थालादिघावन के हाई सेकेंडरी स्कूल में इस समय बच्चों की संख्या 9वी एवं 10वी के 251 बच्चे दर्ज हैं। स्कूल के छात्र सौरभ लोधी, शिवम, रितक, रोहित ने बताया कि हमारे स्कूल में स्टाफ के साथ-साथ खेल के मैदान की भी कमी है। जिससे हमें काफी परेशानी होती है। गांव के युवा अर्जुन, अमन, निर्मल आदि ने कहा कि स्कूल के मैदान को अगर थोड़ा समतल किया जाए तो एक अच्छा खेलने लायक मैदान बन जाएगा। स्कूल में बच्चों के लिए खेल के मैदान बहुत जरूरी है और इन मैदानों के प्रति ना तो पंचायत जागरुक है ना ही जनप्रतिनिधियों ने इन मैदानों के प्रति गंभीरता दिखाई है। जबकि शासन द्वारा हर ग्राम पंचायत में खेल मैदान के लिए बजट भी दिया जाता है। उसके बाद भी पंचायत स्तर पर इसका कोई लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है।

इनका कहना है...

विद्यार्थियों को खेलने में काफी परेशानी होती है, हमने ग्राम पंचायत को भी अवगत कराया कि यह खेल मैदान बना दिया जाए। लेकिन ग्राम पंचायत ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया और खेल मैदान के लिए विभाग को भी अवगत कराया कि बच्चों के लिए खेल मैदान बनाया जाए।
कौशल विश्वकर्मा, हाई सेकेंडरी स्कूल प्रभारी, थालादिघावन

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