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Tuesday, October 12, 2021

रायसेन/सिलवानी, सत्संग मे महापूरुषो की वाणी सुनकर उनके आचरण को जीवन में कुछ प्रतिशत भी उतार लिया तो भव सागर से पार हुआ जा सकता हैं - पंडित सुंदर दास।

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सत्संग मे महापूरुषो की वाणी सुनकर उनके आचरण को जीवन में कुछ प्रतिशत भी उतार लिया तो भव सागर से पार हुआ जा सकता हैं - पंडित सुंदर दास।

रायसेन/सिलवानी, सत्संग मे महापूरुषो की वाणी सुनकर उनके आचरण को जीवन में कुछ प्रतिशत भी उतार लिया तो भव सागर से पार हुआ जा सकता हैं - पंडित सुंदर दास।

घातक रिपोर्टर, जसवंत साहू, रायसेन/सिलवानी।
सिलवानी। जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प, दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को अनायास ही आकर्षित करती हैं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं वही श्री हरि है। ये संसार की मोह ही जीव आत्मा को भटकाती हैं और वह प्राणी ही भटकता है। यह उद्गार पंडित सुंदर दास महाराज ने चीचोली गांव में श्रद्वालुओ को कथा का श्रवण कराते हुए व्यक्त किए। कथा के छटवे दिन बड़ी संख्या में श्रद्वालु कथा श्रवण करने पहुचें। कथा वाचक ने बताया कि सत्संग किया जाना आवष्यक हैं। जहां भी महापुरुषो का सत्संग हो रहा हो उस सत्संग मेें अवश्य ही शामिल कर उपदेश को सुन कर आचरण में उतारना चाहिए। सत्संग मे महापूुरुषो की वाणी सुन कर उनके आचरण को जीवन में कुछ प्रतिशत भी उतार लिया तो भव सागर से पार हुआ जा सकता हैं। अधर्म से दूर रहने को आवश्यक बताते हुए उन्होने कहा कि मानव की मंद्व बुद्वि भगवत भक्ति से खुल सकती है। पंडित सुंदर दास महाराज ने बताया कि ये जन्म प्रभु ने किस लिए दिया है। पर मानव अपनी धुन में लगकर पूरा समय बर्बाद कर रहा हैं। आज परमात्मा की भक्ति के लिए भी समय नही है। मानव याद रखें जीव आत्मा की यात्रा सिर्फ पृथ्वी से शुरू होती हैं। पुण्य धन ही मानव का सबसे बड़ा धन है और यही पुण्य धन साथ जावेगा। जब अंत समय आयेगा ये दौलत धन ये सिर्फ संसार तक सीमित हैं। पुण्य धर्म सत्यसंग, गाय सेवा ये सीधा बैकुंड के धन है। नियमित पूजा अर्चना, संध्या भजन मात्र से मानव भव से पार हो जावेगा, पर आज भी प्राणी मेरा-तेरा में लगा हुआ है। इतनी मंदबुद्धि है कि समझ ही नही पा रहा हैं कि आखिर संसार का सत्य क्या है।

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