रायसेन/बरेली, भरत श्री रामचंद्र को मनाने चित्रकूट चल दिए। - Ghatak Reporter

Ghatak Reporter

एक नज़र निष्पक्ष खबर. तथ्यों के साथ, सत्य तक।


BREAKING

Post Top Ad

Thursday, April 7, 2022

रायसेन/बरेली, भरत श्री रामचंद्र को मनाने चित्रकूट चल दिए।

भरत श्री रामचंद्र को मनाने चित्रकूट चल दिए।

रायसेन/बरेली, भरत श्री रामचंद्र को मनाने चित्रकूट चल दिए।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। छींद मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीराम महायज्ञ एवं श्रीमद् बाल्मीकि रामायण के पंचम दिवस कथा वाचक ब्रह्मचारी जी कथा पंडाल में उपस्थित श्रोताओं को भरत का चरित्र बताते हुए कहते हैं कि भरत का चरित्र समुद्र की भाँति अगाध है, बुद्धि की सीमा से परे है। लोक-आदर्श का ऐसा अद्भुत सम्मिश्रण अन्यत्र मिलना कठिन है। भ्रातृ प्रेम की तो ये सजीव मूर्ति थे।


ननिहाल से अयोध्या लौटने पर जब इन्हें माता से अपने पिता के स्वर्गवास का समाचार मिलता है, तब ये शोक से व्याकुल होकर कहते हैं - 'मैंने तो सोचा था कि पिता जी श्री राम का अभिषेक करके यज्ञ की दीक्षा लेंगे, किन्तु मैं कितना बड़ा अभागा हूँ कि वे मुझ बड़े भइया श्री राम को सौंपे बिना स्वर्ग सिधार गये। जब श्री राम ही मेरे पिता और बड़े भाई हैं, जिनका मैं परम प्रिय दास हूँ। उन्हें मेरे आने की शीघ्र सूचना दें। मैं उनके चरणों में प्रणाम करूँगा। अब वे ही मेरे एकमात्र आश्रय हैं।' जब कैकेयी ने श्री भरत को श्री राम वनवास की बात बतायी, तब वे महान दु:ख से संतप्त हो गये। उन्होंने कैकेयी से कहा- 'मैं समझता हूँ, लोभ के वशीभूत होने के कारण तू अब तक यह न जान सकी कि मेरा श्री रामचन्द्र के साथ भाव कैसा है। इसी कारण तूने राज्य के लिये इतना बड़ा अनर्थ कर डाला। मुझे जन्म देने से अच्छा तो यह था कि तू बाँझ ही होती। कम-से-कम मुझ जैसे कुलकंलक का तो जन्म नहीं होता। यह वर माँगने से पहले तेरी जीभ कट कर गिरी क्यों नहीं।'


इस प्रकार कैकेयी को नाना प्रकार से बुरा-भला कहकर श्री भरत जी कौशल्या जी के पास गये और उन्हें सान्त्वना दी। भरत ने गुरु वसिष्ठ की आज्ञा से पिता की अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न की। सबके बार-बार आग्रह के बाद भी इन्होंने राज्य लेना अस्वीकार कर दिया और दल-बल के साथ श्री राम को मनाने के लिये चित्रकूट चल दिये। श्रृंगवेरपुर में पहुँचकर इन्होंने निषादराज को देखकर रथ का परित्याग कर दिया और श्री रामसखा गुह से बड़े प्रेम से मिले। प्रयाग में अपने आश्रम पर पहुँने पर श्री भारद्वाज इनका स्वागत करते हुए कहते हैं - 'भरत! सभी साधनों का परम फल श्री सीताराम का दर्शन है और उसका भी विशेष फल तुम्हारा दर्शन है। आज तुम्हें अपने बीच उपस्थित पाकर हमारे साथ तीर्थराज प्रयाग भी धन्य हो गये।'

रायसेन/बरेली, भरत श्री रामचंद्र को मनाने चित्रकूट चल दिए।

No comments:

Post a Comment

ghatakreporter.com मै आपका स्वागत है।
निस्पक्ष खबरों के लिए निरंतर पढ़ते रहें घातक रिपोर्टर
आपकी टिप्पड़ी के लिए धन्यवाद

Post Bottom Ad

Read more: https://html.com/javascript/popup-windows/#ixzz6UzoXIL7n
close
Do you have any doubts? chat with us on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...