रायसेन/बरेली, मूर्ख ब्रह्मा ने ये पलकें क्यों बना दी, गोविंद के दर्शन में बाधा डालती हैं - उत्तम स्वामी जी महाराज। - Ghatak Reporter

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Thursday, April 20, 2023

रायसेन/बरेली, मूर्ख ब्रह्मा ने ये पलकें क्यों बना दी, गोविंद के दर्शन में बाधा डालती हैं - उत्तम स्वामी जी महाराज।

मूर्ख ब्रह्मा ने ये पलकें क्यों बना दी, गोविंद के दर्शन में बाधा डालती हैं - उत्तम स्वामी जी महाराज।

रायसेन/बरेली, मूर्ख ब्रह्मा ने ये पलकें क्यों बना दी, गोविंद के दर्शन में बाधा डालती हैं - उत्तम स्वामी जी महाराज।

घातक रिपोर्टर, राकेश दुबे, रायसेन/बरेली।
बरेली। ग्राम पंचायत कामतोन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के छठवें दिवस कथा पंडाल श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था। जैसे ही कथावाचक गद्दी पर आकर विराजमान हुए तो कथा के मुख्य यजमान हीरा भैया धाकड़ ने कथावाचक और श्रीमद् भागवत कथा की पूजन अर्चना की। तत्पश्चात कथावाचक ने श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि गोपियाँ कहती हैं, स्वर्ग का अमृत थोड़ा-थोड़ा देवताओं को पिलाया जाता है, कहीं अमृत का घड़ा खाली न हो जाए। किन्तु हरि कथा मे कंजूसी नहीं है, चाहे जितना पियो पिलाओ, हरि अनंत हरि कथा अनंता इसमें कृपणता इसलिए नहीं है क्योंकि यह अनंत है। कभी समाप्त होने वाला अमृत नहीं है। हरि सर्वत्र पीयते संत महात्माओं ने तथा महर्षि वेदव्यासजी ने शास्त्रों के पात्र में खूब चकाचक भर दिया है। कभी खत्म नहीं होगा, जीवन भर पीते रहो। गोपियाँ कहती हैं- हे प्रभों कथा दान से बड़ा कोई दान नहीं होता। गोपियाँ कहती है- कि हे प्रभों! आपके दर्शन में पलक भी गिर जाए तो ब्रह्मा जी पर बड़ा क्रोध आता है। मूर्ख ब्रह्मा ने ये पलकें क्यों बना दीं, गोविंद के दर्शन में बाधा डालती हैं। कथावाचक इस प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए बताते हैं सोचो पलक गिरने की स्थिति जब असहनीय हो जाती हैं तो ये घंटे कैसे गुजरे होंगे। आपके लिए पति, पुत्र, समस्त परिजनों का परित्याग करके हम आईं हैं और आप हमें अधूरा संगीत सुनाकर भाग गए। इस अंधेरी रात में आप भागेंगे तो कांटे आपके पैरों में चुभेंगे और पीड़ा हमारी छाती में होगी। अरे! जिन चरणों को हम अपने सिने पर रखने में भी डरती हैं कि कहीं हमारा कठोर वक्ष आपके चरणों में चुभे नहीं ऐसे सुकुमार चरणों से आप इस कंटीले जंगल में घूमे यह विचारकर ही हमारा हृदय व्यथित हो जाता है। शुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! इतना कहकर गोपियाँ एक स्वर में विलाप करने लगी। हे गोविंद, हे माधव कहकर रूरुदु, सुस्वरम राजन कृष्ण दर्शन लालसा कृष्ण दर्शन की लालसा में विरहातुर व्रजअंगनाएं विकल होकर विलाप करने लगीं। कैसे प्रकट हुए तो साक्षात मन्मथ-मन्मथ इतने सुंदर कि आज कामदेव के मन को मथ देने वाला भगवान का सौन्दर्य है। मदन के मन को भी मोह लेने वाले मदन मोहन प्रकट हो गए। पीताम्बर धर, क्यों कहा पीताम्बर भी कह सकते थे। लेकिन पीताम्बर धर, इसलिए कहा, क्योकि भगवान पीताम्बर हाथ में लेकर विरह वियोग से अश्रुपात कर रही गोपियों के आँसू पोछने के लिए दौड़े। जब गोपियों ने प्रभु के उस दिव्य सौंदर्य को देखा तो मानो मरे हुए शरीर में प्राणों का संचार हो गया हो। गोपियों ने चारो तरफ से गोविंद को घेर लिया, गोपियों का प्रेम बरस पड़ा। एक गोपी टेढ़ी नजर से भगवान को देख रही थी बहुत कुछ कहना चाह रही थी किन्तु कह नहीं पाती।

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